हिंदू की आस्था का प्रतीक है मंदिर
बात 1965 की है, जौनपुर के एक गांव का यह दृश्य देश के हर उस हिंदू के घर का हो सकता है। जो श्री राम मंदिर के निर्माण की बाट पीढिय़ों से जोह रहा है। 10 साल के मासूम कोई और नहीं आगरा के प्रसिद्ध न्यूरो सर्जन प्रो। डॉ। आरसी मिश्र हैं। संयुक्त परिवार में रहे रहे प्रो। मिश्र के बाल्यावस्था का यह घटनाक्रम उनके दिमाग में यह छाप छोड़ गया कि हर हिंदू की आस्था के प्रतीक रामलला मंदिर में नहीं हैं। और उसी दिन से उन्होंने संकल्प लिया कि अयोध्या अब तभी जाएंगे, जब रामलला, राम मंदिर में स्थापित हो जाएंगे।
नहीं मालूम था, क्या है विवाद?
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को इस घटनाक्रम की जानकारी देते हुए प्रो। मिश्र ने बताया कि तब ताऊजी रामलला के दर्शन किए बिना ही हनुमान गढ़ी से वापस लौट आए थे। 22 जनवरी को राम मंदिर में श्री राम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। अब वे उत्साहित हैं, और कह रहे हैं कि अब आयोध्या जाकर राम मंदिर में रामलला के दर्शन करेंगे। संस्मरण को याद करते हुए प्रो। मिश्र ने बताया कि 'तब मुझे नहीं मालूम था कि, राम मंदिर को लेकर कोई विवाद भी है?Ó उन्होंने बताया कि मेडिकल की पढ़ाई के दौरान 1973 में एक बार लखनऊ से हमारे मित्रों ने अयोध्या जाने का प्लान बताया किंतु मैंने मना कर दिया। मुझे अपनी वो कसम याद थी कि जब तक रामलला मंदिर में शोभायमान नहीं होंगे तब तक अयोध्या नहीं जाएंगे। हालांकि इस बात पर साथियों ने जमकर तंज भी कसा। प्रो। मिश्र ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा मंदिर के पट खुलवाने के बाद उन्हेंं राम मंदिर को लेकर कोर्ट में चले आ रहे विवाद की जानकारी हुई। और इसके बाद से ही वे राम मंदिर को लेकर देशभर में विभिन्न घटनाक्रमों जैसे- 2 दिसंबर 1992 के दिन ढांचा गिराने की घटना, देशभर में तत्कालीन भाजपा नेता लालकृष्ण अड़वाणी द्वारा मंदिर निर्माण को लेकर निकाली गई रथयात्रा आदि की विस्तृत जानकारी रखने लगे।
भूमि पूजन के दिन कराया सुंदरकांड का पाठ
प्रो। मिश्र ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ऐसा लगा जैसे पूज्य बाबाजी और ताऊजी की आत्मा को आज कितनी शांति मिली होगी। राम मंदिर के निर्माण के लिए जिस दिन भूमि पूजन किया गया था उस दिन आगरा के उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल में सुंदरकांड का पाठ कराया था। अब 22 जनवरी को रामलला, राम मंदिर में स्थापित होने जा रहे हैं। मेरे लिए यह दिन किसी उत्सव से बढ़कर है। हर्ष से प्रफुल्लित प्रो। मिश्र का कहना है कि अब अयोध्या जाएंगे और रामलला के दर्शन करके आएंगे। राम से जुड़ाव का जिक्र करते हुए वे भाव विभोर हो गए और बोले कि हमारे यहां 'राम में नाम हैंÓ। तभी तो ज्यादार लोगों के नाम में राम मौजूद होते हैं।