आगरा(ब्यूरो)। वेस्ट मैटेरियल की ट्रेनिंग देने वाली नीलम सिरसा कुशवाह बताती हैैं कि जन शिक्षण संस्थान के 100 से अधिक स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को वह वेस्ट मैटेरियल से उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग देती हैैं। रक्षाबंधन के अवसर पर समूह की महिलाएं वेस्ट मैटेरियल से राखी बना रही हैैं। उन्हें प्लास्टिक के ढक्कन और बोतलों से राखी बनाने की ट्रेनिंग दी है। अब महिलाएं पानी की बोतल और कोल्डड्रिंक की बोतल से निकलने वाले ढक्कन में छेद करके राखी बना रही हैैं। इसमें ऊन व मोतियों की झालर लगाई जा रही है।
ऐसे बन रही राखी
नीलम ने बताया कि ढक्कन में छेद करने के बाद ऊन लगाने से ढक्कन छिप जाता है। सफेद ऊन के नीचे हरे रंग की ऊन लगाई जाती है। इससे फूल बनाते हैैं। इसके बाद में सफेद रंग की ऊन के ऊपर केसरिया रंग की ऊन लगाई जाती है। इसके बाद में बोतल से पट्टïा बनाकर उस पर ऊन लपेट दी जाती है। इस तरह से ब्रेसलेट वाली तिरंगी राखी बन जाती है।
जन्माष्टमी के लिए बन रहे कान्हाजी
नीलम बताती हैैं कि इसी तरह से हम वेस्ट मैटेरियल कान्हाजी और गणेश जी बना रहे हैैं। स्वयं सहायता समूह की महिला रीता बताती हैैं कि वह न्यूजपेपर की रद्दी को गलाकर उसमें मिट्टïी मिलाती हैैं। इसके बाद में उससे कान्हाजी की मूर्ति की शेप देती हैैं। इसके बाद में उस मूर्ति को सुखाकर उसपर पेंट किया जाता है। पेंट होने के बाद में यह मूर्ति तैयार हो जाती है और उसे पैक कर दिया जाता है। समूह की सदस्य श्वेता बताती हैैं कि वेस्ट मैटेरियल से घर की साज-सज्जा के लिए अन्य उत्पाद भी बना रहे हैैं।
घर बैठे सीखा काम
श्वेता बताती हैैं कि वह पहले घरेलू महिला थीं और केवल घर के काम में ही व्यस्त रहती थीं। लेकिन नीलम के कहने पर वह स्वयं सहायता समूह से जुड़ गईं। अब वह अपने घर के काम के साथ-साथ दोपहर में वेस्ट मैटेरियल से विभिन्न उत्पाद भी बना रही हैैं। इससे उन्हें घर बैठे आमदनी भी हो रही है और स्वयं सहायता समूह के जरिए उनकी बचत भी हो रही है। इससे वह अपने बच्चों के लिए कुछ अच्छा कर पाएंगी।
जन शिक्षण संस्थान के जरिए 100 से अधिक महिलाओं को वेस्ट मैटेरियल से राखी सहित अन्य उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी। अब यह महिलाएं राखी बना रही हैैं। मार्केट में जाकर यह राखी बिकेंगी। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित होगा और इनसे समूह की महिलाओं को पैसे भी मिलेंगे।
- नीलम सिरसा कुशवाह, ट्रेनर, एसएचजी ग्रुप
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100 एसएचजी ग्रुप बना रहे वेस्ट मैटेरियल से उत्पाद
150 महिलाओं को मिल रहा रोजगार