ज्यादा साउंड से हुई दिक्कत
पूर्व एएसआई अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि आगरा किला लगभग 400 साल पुराना है। यह लाल पत्थरों से बना हुआ है। दीवान-ए-आम में बतासा, दाल इत्यादि से बने स्पेशल लाइम मोर्टार से प्लास्टर किया गया है। 400 साल से इस प्लास्टर को मेंटेन किया जा रहा है। हो सकता है कि कार्यक्रम के दौरान 40 डेसिबल से ऊपर का साउंड हुआ हो। इसके कारण पलास्टर में दरारे आ गई हों। पूर्व एएसआई अधिकारी ने बताया कि यूनेस्को ने डिफाइन किया हुआ है कि मॉन्यूमेंट्स के पास 40 डेसिबल से ज्यादा का साउंड नहीं होना चाहिए।
500 वर्ष मेें हुए कई बदलाव
आगरा किले के दीवान-ए-आम की छत दोहरी है। यानी जो छत नीचे से नजर आती है और जो ऊपर है, उसके बीच में 6 फुट का अंतर है। इस छह फुट में मिट्टी के बड़े घड़े भरे हुए हैं। नीचे वाली छत में पतले पत्थरों के बीम है, जिस पर पत्थर रखकर उनके बीच के जोड़ को मोर्टार से भरा गया है। साउंड सिस्टम की तेज धमक से पतले पत्थरों के बीच वाइब्रेशन हुए और इसका नतीजा दरार के रूप में सामने आया है। यह छत कई जगह मोटी और कई जगह पतली है। 500 साल में इस इमारत में कई बार बदलाव भी किए गए हैं।
सपाट छत से ढंके दीवान ए आम की लंबाई 201 फीट है, जबकि इसकी चौड़ाई 67 फीट है। बाहरी संरचना में 9 बड़े-बड़े मेहराब बने हुए हैं। लाल पत्थर से यह बना है पर सफेद प्लास्टर का इस्तेमाल करने से यह सफेद संगमरमर के जैसा दिखता है।
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शिवाजी जयंती पर किला में कार्यक्रम की मांगी अनुमति
आगरा किला में छत्रपति शिवाजी की 393 वीं जयंती पर महाराष्ट्र के संभाजी नगर का अजिंक्य देवगिरी प्रतिष्ठान ने आगरा किला में कार्यक्रम करने की अनुमति मांगी थी। एएसआई ने बिना कारण बताए अनुमति देने से मना कर दिया। इसके बाद प्रतिष्ठान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। कोर्ट ने केंद्र सरकार पक्ष सुनने के बाद याचिका निस्तारित कर दी।
एएसआई ने जताई आपत्ति?
कुछ हल्कों में यह भी बात हो रही है कि पहले आगरा किला में जी-20 मेहमानों को आगरा किला में डिनर कराने की योजना बनाई जा रही थी। लेकिन बाद में इसे लाइट एंड साउंड शो में तब्दील कर दिया। कार्यक्रम पर एएसआई ने आपत्ति भी जताई थी। लेकिन इसके बावजूद जी-20 मेहमानों के लिए आगरा किला में भव्य कार्यक्रम किया गया। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि आगरा किला में इस प्रकार का कार्यक्रम नहीं होना चाहिए था।
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यह कहना मुश्किल है कि दरार कैसे आई है। हम इसको लेकर अब अध्ययन किया जा रहा है। दरार अब ज्यादा विजिबल हो रही है.
- डॉ। राजकुमार पटेल, अधीक्षण पुरातत्वविद, एएसआई
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यमुना से छेड़छाड़ का मुद्दा उठा
जी-20 मेहमानों की आवभगत में वैश्विक धरोहर से लेकर यमुना नदी तक में काम किया गया। चाहे ताज के पीछे रेत का ताजमहल बनाना हो या एत्माद्दौला में पोकलेन मशीन चलाना हो। शहर में यह मुद्दा भी चर्चा का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा भी हो रही है।
सोशल मीडिया पर छाया मुद्दा
यमुना से की जा रही छेड़छाड़ को लेकर आमजन में भी आक्रोश है। यमुना में खोदाई का जब फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया तो बुधवार को ये मुद्दा छाया रहा। इस पर शहरवासियों ने भी तल्ख कमेंट किए।
कोई सुध नहीं ले रहा है। सरकार नींद में है। इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही।
राजीव शर्मा
जी-20 के मेहमान और रुक जाते। मेहमानों के स्वागत के लिए ही यमुना नदी से छेड़छाड़ की जा रही है।
गोपाल सिंह
नदिया में पानी का कम ज्यादा होना तो एक बार माना जा सकता है। परंतु नदियों में नालों का पानी बहे और उनके चारों ओर गंदगी का साम्राज्य छाया रहे। यह अस्वीकार्य होना चाहिए।
अशोक कुमार गुप्ता