आगरा(ब्यूरो)। समय रहते अपने आसपास के जल और वायु प्रदूषण को रोक लिया गया तो आपके और आने वाली आपकी पीढिय़ों को प्रदूषण के कारण होने वाले नुकसान से बचाव हो सकता है। ताजनगरी आगरा में रोजाना प्रत्येक आदमी 100 सिगरेट के बराबर धुएं को ऑब्जर्व कर रहा है। डायरेक्ट और इन डायरेक्ट रूप से प्रदूषित यमुना भी आगराइट्स की सेहत को नुकसान पहुंचा रही है।
यमुना में अब भी गिर रहे नाले
तीन बार के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह ने बताया कि सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बेहद पूज्य और कृष्ण प्रिया कालिंदी (यमुना) नदी में आज भी 61 नालों का पानी गिर रहा है। लाखों लोग प्रदूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं क्योंकि जल शुद्धि के लिए आधुनिक तकनीक ही हमारे पास उपलब्ध नहीं और जो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट उपलब्ध भी हैं तो उनके कर्मचारी डीजल बचाने के चक्कर में उनका पूर्ण उपयोग नहीं करते। परिणाम स्वरुप यमुना जल निरंतर प्रदूषित हो रहा है।
एक्शन प्लान से नहीं सुधरे हालात
पूर्व मंत्री ने बताया कि जब यमुना मां की हालत वैसी की वैसी है तो यह समझ में नहीं आता कि आखिरकार यमुना को निर्मल बनाने के लिए यमुना एक्शन प्लान-1 और यमुना एक्शन प्लान-2 के तहत खर्च हुए सरकार के एक हजार करोड़ रुपए आखिर कहां गए? उन्होंने बताया कि यह चिंता जताते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव (मुख्यमंत्री) और मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को जनहित में ऐतिहासिक नगरी आगरा की मूलभूत समस्याओं के निराकरण के साथ विशेष कार्य योजना को अमल में लाने के संबंध में गंभीर और विस्तृत पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि यमुना एक्शन प्लान एक और यमुना एक्शन प्लान दो के तहत यमुना नदी में सीधे गिरने वाले 91 नालों को टैप किए जाने के लिए जापानी सहायता से फंड आया था। इसके बावजूद आज भी यमुना में 61 नालों का पानी गिर रहा है।
करवाएं टेक्निकल ऑडिट
राजा अरिदमन सिंह ने बताया कि उन्होंने पत्रों में लिखा है कि यमुना को निर्मल बनाने के लिए सरकार द्वारा यमुना कार्य योजनाओं के तहत जारी किए गए एक हजार करोड़ रुपए प्रशासन द्वारा खर्च किए गए। इसका टेक्निकल ऑडिट यानी भौतिक सत्यापन कराया जाना जरूरी है क्योंकि यमुना की हालत तो वैसी की वैसी ही है। उन्होंने कहा कि यमुना में 1990 के दशक में हुए अध्ययन के अनुसार अपस्ट्रीम या डाउनस्ट्रीम बैराज बने।
जल स्रोतों को किया जाए पुनर्जीवित
आरटीआई से जुटाई गई सूचना के अनुसार आगरा में तालाब, पोखर और अन्य जल श्रोतों सहित तहसीलवार कुल 2825 ऐसी वाटरबॉडीज हैं, जिन पर अवैध कब्जे नहीं हैं। इनको पुर्नजीवित किया जाना चाहिए।
बढ़ता वायु प्रदूषण, घटता रोजगार
ताजनगरी में ताज ट्राइपेजियम जोन लागू है। इसके बावजूद आगरा में एक्यूआई का स्तर 300 से 400 तक पहुंच जाता है। आमतौर पर हवा में कार्बन, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड सहित अन्य विषैली गैस के तत्व हवा में मौजूद रहते हैैं। एसएन मेडिकल कॉलेज की एक शोध रिपोर्ट बताती है कि वायु प्रदूषण के कारण माताएं समय से पूर्व ही बच्चों को जन्म (प्री-टर्म बर्थ)दे रही हैं। फेफड़े व अन्य अंग भी इससे ग्रसित होकर बीमार हो रहे हैं। आदमी की उम्र भी कम हो रही है।
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आगरा में वायु प्रदूषण
अक्टूबर- 2023
स्टेशन पीएम 10 एक्यूआई स्थिति
बोदला - 133 122 संवेदनशील
नुनहाई- 183 155 संवेदनशील
अक्टूबर 2022
स्टेशन पीएम 10 एक्यूआई स्थिति
बोदला - 75 75 संवेदनशील
नुनहाई- 160 140 संवेदनशील
अक्टूबर 2021
स्टेशन पीएम 10 एक्यूआई स्थिति
बोदला - 188 159 संवेदनशील
नुनहाई- 202 168 संवेदनशील
अक्टूबर 2020
स्टेशन पीएम 10 एक्यूआई स्थिति
बोदला - 195 163 संवेदनशील
नुनहाई- 290 240 संवेदनशील
(नोट- पूरे माह में हवा की स्थिति, आंकड़े यूपीपीसीबी द्वारा जारी किए गए हैैं.)
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आगरा में यमुना नदी की स्थिति
अक्टूबर 2023 --
स्थान डीओ बीओडी श्रेणी
बटेश्वर-6.2-8.8-डी
कैलाशघाट-7.5-7.2 डी
ताजमहल- 6.9-8.4- डी
अक्टूबर-2022---
स्थान डीओ बीओडी श्रेणी
बटेश्वर-6.2-8.0-डी
कैलाशघाट-6.0-7.2 डी
ताजमहल- 5.4-8.4- डी
अक्टूबर-2021---
स्थान डीओ बीओडी श्रेणी
बटेश्वर-6.4-8.4-डी
कैलाशघाट-6.5-8.8 डी
ताजमहल- 5.8-12.8- डी
(नोट- पूरे माह लिए गए सैैंपल की रिपोर्ट, आंकड़े यूपीपीसीबी द्वारा जारी किए गए हैैं.)
यमुना की बदहाली और वायु प्रदूषण को लेकर शासन को पत्र लिखा है। यमुना में अब भी नाले गिर रहे हैैं। दो-दो एक्शन प्लान लागू करके करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैैं, लेकिन परिणाम नहीं मिला है।
- राजा अरिदमन सिंह, पूर्व मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार
सर्दियां आते ही एक्यूआई का स्तर बढ़ जाता है। हवा में मौजूद विषैले तत्व फेंफड़ों सहित शरीर के अन्य पाट्र्स को नुकसान पहुंचाते हैैं। यमुना की बदहाली तो जगजाहिर है। जिम्मेदारों को आगे आकर यमुना को स्वच्छ करना चाहिए।
- डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य, पर्यावरण एक्टिविस्ट