आगरा(ब्यूरो)। पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू होने के बाद 47 थानों वाले आगरा महानगर में पुलिस के अधिकार और शक्तियां बढ़ी हैं। शांति भंग में जेल भेजने के लिए आरोपी को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश नहीं करना पड़ेगा। गुंडा एक्ट, गैंगस्टर, संपत्ति जब्तीकरण, जिला बदर आदि की फाइल डीएम के पास अनुमति के लिए नहीं भेजनी पड़ेगी। एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की शक्तियां पुलिस को मिल जाएंगी।
इमरजेंसी की स्थिति में नहीं करना होगा इंतजार
अब तक बड़े शहरों में ही यह व्यवस्था लागू थी। अब आगरा में भी यह व्यवस्था लागू होगी। इसके बाद शांति भंग और 107-116 की कार्रवाई में एसीपी की कोर्ट में पेश होना होगा। एसीपी अधिकारियों की संख्या बढ़ेगी। इमरजेंसी की स्थिति में कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस कमिश्नर खुद फैसला लेकर कार्रवाई के लिए निर्देशित कर सकेंगे।
पुलिस कमिश्नर ले सकेंगे डिसिजन
- प्रदर्शन, किसी आयोजन, रूट प्लान की अनुमति आदि के लिए जिलाधिकारी के पास नहीं जाना होगा।
-दंगा होने की स्थिति में कितनी फोर्स लगाई जानी है। लाठीचार्ज करना है या नहीं, इसकी अनुमति भी नहीं लेनी पड़ेगी।
-होटल, बार और हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास होगा
-जमीन से संबंधित विवाद के निस्तारण के लिए भी अधिकार पुलिस के पास ही पहुंच जाएंगे।
नई व्यवस्था में पुलिस के पद
-पुलिस आयुक्त या पुलिस कमिश्नर (सीपी)
-संयुक्त आयुक्त या ज्वाइंट कमिश्नर (जेसीपी)
-डिप्टी कमिश्नर (डीसीपी )
-सहायक आयुक्त (एसीपी)
-पुलिस इंस्पेक्टर
-सब इंस्पेक्टर