आगरा। पीएचडी की प्रवेश परीक्षा के संयोजक प्रो। लवकुश मिश्रा ने बताया कि शोध निर्देशक बनने के लिए शिक्षकों से आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं। 450 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से तमाम शिक्षक ऐसे हैं जो पहली बार शोध निर्देशक बनेंगे। इनके आवेदनों को शोध निर्देशक निर्धारण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। वहीं मानकों पर खरे उतरने वाले शिक्षकों को ही शोध निर्देशक बनने की अनुमति प्रदान की गई है। समिति को शिक्षकों के आवेदन भेज दिए गए हैं।
यूनिवर्सिटी में न रोके जाएं शोध कार्य
यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क अधिकारी प्रो। प्रदीप श्रीधर ने बताया कि कुलपति विनय कुमार पाठक के निर्देश पर पीएचडी एंट्रेंस का कार्यक्रम घोषित किया गया है। कोविड के चलते पिछले दो वर्ष से शोध कार्य बंद चल रहा था, कुलपति ने जल्द से जल्द पेंडिंग प्रोसेस शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि शोध कार्य किसी भी हाल में नहीं रोका जाए। इससे स्टूडेंट्स को नुकसान होता है।
वर्ष 2018 में कराया गया था एंट्रेंस एग्जाम
पीएचडी एंट्रेंस इससे पहले वर्ष 2018 में शुरू किया गया था। जिसमें आठ सौ स्टूडेंट्स को सिलेक्ट किया गया था, जबकि एक हजार से अधिक ने आवेदन किया था। इसमें लगभग सभी स्टूडेंट्स का कोर्स वर्क पूरा हो चुका है, साथ ही अन्य प्रोसेस भी पूरे हो चुके हैं, कोविड के बाद कुलपति के निर्देश के बाद एक बार फिर से पंडिंग कार्य शुरू किया गया है।
तैयार हुआ सीटों का ब्यौरा
शोध निर्देशकों के तय होने के बाद पीएचडी की सीटों की संख्या का ब्योरा तैयार हो चुका है। इसी के अनुसार प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन मांगे जाएंगे। जनवरी से पीएचडी कार्यक्रम को लेकर असमंजस बना था, प्रभारी कुलपति द्वारा शोध स्टूडेंट के भविष्य को ध्यान में रखते हुए फिर से प्रोसेस को शुरू किया गया है।
पीएचडी एडमिशन कार्यक्रम
-शोध के लिए मांगे आवेदन
7 फरवरी
-स्केन कॉपी समिट
26 फरवरी
-जारी होगा पीएचडी विज्ञापन
2 मार्च
-पीएचडी को मांगे आवेदन
3 से 21 मार्च
-स्केन कॉपी होगी समिट
26 मार्च
-एडमिट कार्ड होंगे जारी
30 मार्च
-एंट्रेंस एग्जाम की डेट
3 अप्रैल
-रिजल्ट किया जाएगा जारी
10 मार्च
वर्जन
पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम को श्डयूल जारी किया गया है, इसमें 3 अप्रैल को एंट्रेंस टेस्ट और दस मार्र्च को रिजल्ट घोषित किया जाएगा। वहीं पेंडिंग शोध प्रोसेस को भी जारी करने के दिशा निर्देश दिए गए है, शोध कार्य रुकने नहीं चाहिए।
-विनय कुमार पाठक, प्रभारी कुलपति