केस-1
सिकंदरा क्षेत्र के निवासी रविंद्र सिंह के पांच साल के बच्चे को सुबह छींके आना शुरू हुआ और शाम को बुखार आ गया। इसके बाद बच्चे को उल्टी होना शुरु हो गया। डॉक्टर के पास गए तो पता चला उसे वायरल निमोनिया की शिकायत है। अब उन्हें डर है कि कहीं यह इंफ्लुएंजा-ए तो नहीं है।
केस-2
दयालबाग क्षेत्र के निवासी धीरज कुमार ने बताया कि उनके परिवार में पांच सदस्य हैैं। इनमें से तीन लोगों को वायरल हो गया है। वह दस दिन से अधिक समय से दवाई खा रहे हैैं। लेकिन खांसी नहीं जा रही है। उन्हें भी डर है कि कहीं यह इंफ्लुएंजा-ए तो नहीं है। वह प्रिकॉशनरी मास्क पहन रहे हैैं।
आगरा(ब्यूरो)। विशेषज्ञों का कहना है कि बुखार, खांसी जुकाम जैसे लक्षण होने पर दो से तीन दिन तक डॉक्टर के परामर्श बगैर ही दवा लेने से यह वायरल निमोनिया में बदल रहा है। डॉक्टरों के पास देर से पहुंच रहे 10 परसेंट बच्चों में कोविड की तरह वायरल निमोनिया मिल रहा है। इन्हें एच3एन2 वायरल से संक्रमित मानते हुए इलाज किया जा रहा है।
करना पड़ रहा एडमिट
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक (आईएपी) डॉ। अरुण जैन ने बताया कि हर साल इंफ्लुएंजा वायरस के वेरिएंट में बदलाव हो रहा है, इससे वायरस ज्यादा घातक होता जा रहा है। इस बार इंफ्लुएंजा ए के सब वेरिएंट एच3एन2 से संक्रमण फैल रहा है। इसमें पहले दो से तीन दिन तक तेज बुखार आ रहा है। इसी दौरान वायरल ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। बुखार आने पर लोग दो से तीन दिन अपने स्तर से दवा लेने के बाद आ रहे हैैं। दस परसेंट बच्चों में वायरल निमोनिया शिकायत मिल रही है। उन्हें भूख नहीं लग रही है और डिहाइड्रेशन भी हो रहा है। सांस लेने में परेशानी होने पर बच्चों को एडमिट भी करना पड़ रहा है।
इंफ्लुएंजा आ रहा पॉजिटिव
एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ। नीरज यादव ने बताया कि ओपीडी में 60 परसेंट मरीजों में तेज बुखार, सर्दी जुकाम और खांसी के लक्षण सामने आ रहे हैैं। ठीक न होने पर बच्चों को लक्षणों के आधार पर दवाएं देने के साथ ही आराम करने के लिए कहा जा रहा है। वहीं शहर के प्राइवेट क्लीनिकों में तेज बुखार, खांसी से पीडि़त बच्चों की प्राइवेट लैब में इंफ्लुएंजा-ए की जांच कराई जा रही है। इसमें इंफ्लुएंजा-ए की पुष्टि भी हो रही है। प्राइवेट लैबों में एच3एन2 वायरस की जांच नहीं होती है, ऐसे में इंफ्लुएंजा-ए के मरीजों को एच3एन2 का मानते हुए एंटी वायरल टेमीफ्लू सीरप और टैबलेट देकर उपचार किया जा रहा है।
एंटीबायोटिक के ज्यादा सेवन से बदल लिया वायरल ने रूप
एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि यह हर साल आने वाला सीजनल संक्रमण है। लेकिन इस बार बिगड़ गया है। बीते दो साल में लोगों ने अपनी मर्जी से खूब एंटीबायोटिक का सेवन किया है। ऐसे में एंटीबायोटिक को पस्त करने के लिए वायरस ने म्यूटेशन कर लिया है। उन्होंने कहा बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी निमोनिया के मामले सामने आ रहे हैैं।
वीटीएम से जाएगा सैैंपल
एच3एन2 से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने भी तैयारी कर ली है। सरकारी हॉस्पिटल में दवाएं भिजवा दी गई हैं। वहीं शासन के निर्देश के बाद एच3एन2 की पहचान के लिए सैैंपल लेने की व्यवस्था भी की जा रही है। चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि गंभीर मरीजों के सैैंपल लेकर लखनऊ भेजा जाएगा। सैैंपल भेजने के लिए वायरस ट्रांसपोर्ट मीडिया(वीटीएम) की व्यवस्था की गई है। सैैंपल एसएन मेडिकल कॉलेज में लिए जाएंगे। किसी और हॉस्पिटल में मरीज होगा तो उसे एसएन ही रेफर किया जाएगा, जहां पर मरीज के सैैंपल लेकर वीटीएम के माध्यम से लखनऊ भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएचसी पर एच3एन2 इंफ्लुएंजा संक्रमण की दवा ओसेल्टामिविर टेबलेट उपलब्ध करा दी गई है। यदि किसी मरीज में संक्रमण की पुष्टि होगी तो उसके संपर्क में आने वाले लोगों खोजकर उन्हें दवा दी जाएगी।
सर्दी, जुकाम बुखार होने पर चिकित्सक को दिखाकर ही दवा लें। स्वास्थ्य केंद्रों पर दवा भेज दी गई है। वहीं गंभीर मरीजों के सैैंपल एसएन मेडिकल कॉलेज में लिए जाएंगे। सैैंपल को जांच के लिए लखनऊ भेजा जाएगा।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ
हर साल आने वाले सीजनल संक्रमण ने इस बार अपना रूप बदल लिया है। ऐसे में अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक न लें। डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लें।
- डॉ। प्रभात अग्रवाल, प्रोफेसर मेडिसिन विभाग
सर्दी जुकाम, बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने पर एडमिट भी करना पड़ रहा है। बच्चों को निमोनिया की शिकायत हो रही है।
- डॉ। नीरज यादव, प्रोफेसर, बाल रोग विभाग, एसएनएमसी
यह सामने आ रहे लक्षण
- बुखार आना
- सर्दी-खांसी होना
- पसलियां चलना
- पानी की कमी होना
-भूख न लगना
- कमजोरी आना
यह करें
- अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक न दें
- मास्क का प्रयोग करें
- भीड़भाड़ में जाने से बचें
- बाहर खान-पान से बचें
- हाथों को वॉश या सेनेटाइज करते रहें
60 परसेंट मरीजों को बुखार, खांसी की समस्या
10 परसेंट बच्चों को हो रही निमोनिया की शिकायत
04 से पांच निमोनिया के मरीज रोजाना आ रहे इमरजेंसी में