मथुरा(ब्यूरो)। ठाकुर बांकेबिहारी के भक्त भी आराध्य में आस्था जताने के लिए तरह-तरह के प्रयत्न करते हैं। किसी भक्त ने ठाकुरजी के दरवाजे और जगमोहन को चांदी के पत्र से सजवा दिया, तो किसी ने दरवाजों पर चांदी अर्पित की। अब रायपुर के एक भक्त ने ठाकुर जी को 85 लाख रुपए कीमत का सोने का हार अर्पित किया है। ये हार दिल्ली के ज्वैलर्स से बनवाया गया है।

हार में डेढ़ किलो सोना लगाया गया
मंदिर में बुधवार शाम शयनभोग सेवा के दौरान रायपुर निवासी श्रद्धालु परिवार ने आराध्य की आस्था में अपनी भेंट दी। जब ठाकुर जी ने सोने का हार धारण किया, तो मंदिर में उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस हार में डेढ़ किलो सोना लगाया गया है। इसे तैयार करने में एक माह का समय लगा। ये हार दिल्ली के ओमशिव ज्वैलर्स ने तैयार किया है। हार का डिजाइन भी श्रद्धालु ने खुद ही दिया है।

भक्त ने कहा मेरा नाम बताना किसी को
श्रद्धालु ने मंदिर प्रबंधन से अपना नाम सार्वजनिक न करने की अपील की है। मंदिर प्रबंधक मुनीश शर्मा ने बताया कि ठाकुर बांकेबिहारीजी को श्रद्धालु द्वारा सोने का हार अर्पित करने की जानकारी मिली है। मंदिर कमेटी के नियम के अनुसार मंदिर सेवा के दौरान जो चढ़ावा ठाकुरजी पर अर्पित होता है, वह सेवायत के खाते में ही जाता है।

सोशल मीडिया पर हो रहा फोटो वायरल
डेढ़ किलो सोना जड़े ठाकुर जी के हार फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इसमें भगवान बांके बिहारी सोने का बड़ा हार पहने हुए हैं। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि यह वही डेढ़ किलो वाला हार है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं है। इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी जारी किया है।

नो प्रॉफिट-नो लॉस पर बनाया हार
वीडियो में ज्वैलर्स ओम शिव गिरी ने बताया कि यह हार नो प्रॉफिट नो लॉस पर बनाया गया है। ये 92 प्रतिशत सोने के अंदर बना है। इसमें डेढ़ किलो सोना लगा है। इसकी लागत 84 लाख 21 हजार है। इस हार की डिजाइन भक्त ने ही तैयार की। हार बनाने वाले ज्वैलर्स ने खुद को भाग्यशाली बताया कि उसके द्वारा यह हार बनाया गया और उसे भगवान बांके बिहारी को पहनाया गया।

मंदिर प्रबंधन और गोस्वामियों ने नहीं दी जानकारी
हार अर्पित करने को लेकर मंदिर प्रबंधन ने बताया कि अगर कोई भक्त मंदिर कार्यालय में आकर कुछ देता है तो इसकी जानकारी रहती है। लेकिन, कई ऐसे भक्त भी हैं जो सीधे अपने गोस्वामी के माध्यम से भगवान को अर्पित करते हैं। उसकी जानकारी नहीं रहती। वहीं, इस हार के बारे में मंदिर के गोस्वामियों से जानकारी की गई तो किसी ने कुछ भी पता होने से इनकार कर दिया।