आगरा। उपनिरीक्षकों को अब केस से जुड़े महत्वपूर्ण साक्ष्य अपनी जांच में शामिल करने होंगे। इसी कड़ी में साइबर शातिरों पर शिकंजा कसने के लिए आगरा जोन में निरीक्षकों व उप निरीक्षकों के लिए इस वर्ष मार्च से दूसरी बार आगरा पुलिस लाइन में कार्यशाला शुरू की गई है। इस कारण थानों में दर्ज मुकदमों की इंवेस्टीगेशन में डिजिटल साक्ष्य को एकत्र कर निष्पक्ष जांच की जा सकेगी। मौके से मिलने वाले साक्ष्यों को किस तरह और कहां अपनी जांच में शामिल करना है, इसकी जानकारी टे्रनिंग में दी जाएगी। अक्सर साइबर मामलों में साक्ष्यों को लेकर समस्या सामने आती थी, इससे जांच पूरी होने में समय लगता था।

क्राइम और ट्रेनिंग पर नजर
-आगरा में वर्ष 2021 में साइबर क्राइम के मामले
380

-जोन में वर्ष 2021 में पुलिसकर्मियों को किया ट्रेंड
8000

-आगरा मार्च मेें इंस्पेक्टर, सबइंस्पेक्टर को प्रशिक्षण
100
- दो अप्रैल तक किए गए प्रशिक्षण
100


निशाने पर दूर-दराज के साइबर क्रिमिनल्स
साइबर क्रिमिनल्स कौन-कौन से तरीके अपना रहे हैं और इनसे किस तरह से बचा जा सकता है। वहीं साइबर क्राइम दो तरह के होते हैं, सोशल मीडिया से संबंधित और आर्थिक धोखाधड़ी, फोटो से छेड़छाड़, करने साइबर क्राइम में इंवेस्टीगेशन को किस तरह से डाटा सेव करना है और जांच में डिजीटल साक्ष्यों को एकत्रित करके किस तरह से उसे अपनी केस डायरी में शामिल करना है, इसकी जानकारी ट्रेनिंग में उपनिरीक्षकों और सबइंस्पेक्टर्स को दी गई है। इससे इंवेस्टीगेशन में अधिकारियों को सहूलियत मिलेगी। वहीं देश के किसी भी कोने से वारदात करने वाले साइबर क्रिमिनल्स को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जा सकेगा।



थानों के एक या दो उपनिरीक्षकों को कार्यशाला में प्रशिक्षित किया गया है। जिला साइबर सेल की ओर से टीम को साइबर क्राइम की इंवेस्टीगेशन में सहयोग किया जाएगा। जिले मेें साइबर क्राइम का ऑनलाइन व ऑफलाइन प्रशिक्षण उपनिरीक्षकों को दिया गया है। इससे इंवेस्टीगेशन के दौरान साइबर क्राइम के मामले सॉल्व करने में क्वालिटी कंट्रोल होगी, वहीं दूर-दराज से जिले में वारदात को अंजाम देने वाले साइबर क्रिमिनल्स पर शिकंजा कसा जा सकेगा। सुल्तान सिंह, प्रभारी जिला साइबर सेल