बार्डर पर जमीन से पांच से सात सौ मीटर ऊंचाई पर तैनात किए जाने वाले एयरो एस्टेट निगरानी का बेहतर सिस्टम है। यह एक तरह का गुब्बारा होता है, जो जमीन से बंधा रहता है। इसमें लगे सिस्टम आकाश की ऊंचाई से जमीन पर होने वाली गतिविधियों पर नजर रखते हैं। एडीआरडीई की टीम ने आकाश और नक्षत्र नाम के एयरो एस्टेट विकसित किए थे। दो साल से एयरो एस्टेट तैयार करने का काम चल रहा है।

स्वदेशी मैटेरियल से बना

अधिकारिक सूत्रों के अनुसार पूर्व में तैयार एयरो एस्टेट में विदेशी मैटेरियल का प्रयोग भी किया गया है। अपग्रेड वर्जन में पूरी तरह से स्वदेशी मैटेरियल का प्रयोग किया जा रहा है। इसमें उन्नति श्रेणी के नायलान व अन्य मैटेरियल का प्रयोग होगा, जिससे कि तेज हवा चलने पर इनका बैलेंस नहीं बिगड़ेगा। नए एयरो एस्टेट का वजन 50 किग्रा तक होगा जबकि पूर्व में तैयार एयरो एस्टेट का वजन 65 किग्रा से अधिक था। नए एयरो एस्टेट को पैक करना और नीचे उतारना आसान होगा। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार जून से शुरू होने वाले ट्रायल दो से तीन महीने तक चलेंगे। इसके बाद एयरो एस्टेट का नामकरण किया जाएगा।

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यह होगी विशेषता

उन्नत श्रेणी के एयरो एस्टेट में अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे। इनकी संख्या 15 से 20 होगी। उच्च क्षमता वाले नाइट विजन तकनीकि के कैमरे रात के ²श्य भी ठीक तरह से रिकार्ड कर सकेंगे। इसमें विभिन्न तरीके का डाटा संकलित करने के लिए सेंसर भी लगाए जाएंगे।

क्या है एयरो एस्टेट?

यह गुब्बारा नुमा होता है। इसमें आठ से दस रस्सी लगी होती हैं। किसी गाड़ी या फिर अन्य लोहे के भारी टुकड़े से रस्सियों को बांधा दिया जाता है। जरूरत के हिसाब से इसे एक से दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जा सकता है।