आगरा(ब्यूरो) : एनजीटी ने मामले में नौ अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं। अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी। संवाई निवासी सतेंद्र रावत ने मामले में एनजीटी में याचिका दायर की थी। उन्होंने पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर मैसर्स मेडिकल पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी को बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन की अनुमति देने का आरोप लगाया है। सोमवार को एनजीटी के चेयरपर्सन श्यो कुमार ङ्क्षसह, न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ। ए। सेंथिल वेल ने मामले में सुनवाई की।
मानकों की अनदेखी
इसका आदेश मंगलवार को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड हुआ। एनजीटी ने 27 जुलाई को दी गई इस अनुमति पर स्टे लगा दिया है। यह अनुमति उप्र प्रदेश नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के सर्किल वन (गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर व ग्रेटर नोएडा) के मुख्य पर्यावरण अधिकारी विवेक राय ने यूपीपीसीबी के सर्किल चार (आगरा, मथुरा, अलीगढ़, फिरोजाबाद, बुलंदशहर) के मुख्य पर्यावरण अधिकारी प्रदीप शर्मा के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण कर दी थी। अब विवेक राय के पत्र के आधार पर इस प्लांट का संचालन नहीं हो सकेगा।
छह हफ्ते में दाखिल करना होगा जवाब
साथ ही, एनजीटी ने मैसर्स मेडिकल पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव, मुख्य सचिव उप्र, अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन, यूपीपीसीबी के चेयरमैन, यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी के सर्किल वन के मुख्य पर्यावरण अधिकारी, यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी और ताज ट्रिपेजियम जोन अथारिटी के चेयरमैन को नोटिस जारी किया है। उन्हें छह सप्ताह में जवाब दाखिल करना होगा। सतेंद्र रावत की ओर से पैरवी अधिवक्ता अंशुल गुप्ता ने की।
वर्ष 2005 में बंद हुआ था प्लांट
बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट वर्ष 2004 में लगाया गया था। एक वर्ष संचालन के बाद विवादित कार्य प्रणाली व ग्रामीणों के विरोध के चलते प्लांट बंद हो गया। एमपीसीसी ने इसी वर्ष जून में प्लांट के दोबारा संचालन को यूपीपीसीबी से अनुमति मांगी थी। यूपीपीसीबी के सर्किल चार के मुख्य पर्यावरण अधिकारी प्रदीप शर्मा ने 13 जुलाई को प्लांट के संचालन की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था।