लाखों मरीजों को होगा फायदा
डॉ। बलवीर सिंह ने बताया कि हार्ट के इलेक्ट्रिकल कनेक्शन में बदलाव आने से हार्ट फेल हो जाता है। अगर हम हार्ट के इलेक्ट्रिकल कनेक्शन को पेसमेकर और नई थेरेपी से सही कर दें तो यहा फिर स्वस्थ हो जाता है। नेशनल कांफ्र स के आयोजन एवं साइंटिफिक सचिव डॉ। सुवीर गुप्ता ने समापन पर सभी का आभार जताते हुए कहा कि दो दिवसीय कांफ्र स में विशेषज्ञों से प्राप्त ज्ञान से न केवल देश के हजारों डॉक्टर लाभान्वित होंगे बल्कि इस ज्ञान से लाखों दिल के रोगियों को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष कॉन्फ्र स दो के बजाय तीन दिन की होगी। इसमें लाइव सर्जरी भी की जाएगी।
65 वर्ष की उम्र पर ईको जरूरी
मेदांता मेडिसिटी में कार्डियोलॉजी के चेयरमैन डॉ। रजनीश कपूर ने बिना सर्जरी के वाल्व रिप्लेसमेंट की जानकारी देते हुए बताया कि 65 वर्ष की उम्र के बाद पांच से सात फीसदी लोगों का एओर्टिक बाल्व सिकुडऩे लगता है। इससे हार्ट फेल हो सकता है। दस साल पहले तक इसका इलाज सिर्फ सर्जरी था लेकिन इस उम्र में सर्जरी करना घातक रहता है। इस उम्र में बिना चीर फाड़ के बाल्व का बदला जाना इन मरीजों के लिए जीवन रक्षक पद्धति साबित हुआ है। जरूरत इस बात की है कि सीनियर सिटीजन सांस फूलना या छाती में भारीपन महसूस करें तो ईको का स्क्रीनिंग टेस्ट अवश्य कराएं ताकि हृदय के बाल्व की सही जानकारी मिल सके और समय रहते बाल्व की सिकुडऩ का इलाज कराया जा सके।
सिग्नल नजर अंदाज करने पड़ता है अचानक दौरा
मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली के डॉ। अमित मलिक ने सडन कार्डियक डेथ यानि अचानक दिल का दौरा पडऩे से मौत पर बोलते हुए कहा कि अक्सर यह सुनने को मिलता है कि वह कल तक तो ठीक थे। जिम में फिट थे। खेलते खेलते चलते फिरते अचानक कैसे चल बसे!! ऐसा अक्सर सडन कार्डियक डेथ के कारण होता है। दरअसल इस तरह की मृत्यु से कुछ हफ्तों पहले हमारा शरीर हमें अनयूजुअल थकावट, अनयूजुअल गैस बनने या धड़कन का थोड़े समय के लिए अनियमित हो जाने के रूप में हमें संकेत देता है, लेकिन हम इन ग्रीन सिग्नलों को नजरअंदाज कर देते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों में समय से सीपीआर दी जाए तो मरीज को सरवाइव किया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सीपीआर कॉर्डियो पल्मोनरी रिससीटेशन की ट्रेनिंग आम जनता और स्कूली बच्चों को दिया जाना अब बेहद आवश्यक हो गया है।
दवाओं के जरिए ही कम हो रही चर्बी
दिल्ली के डॉ। सुमित सेठी ने कहा कि हार्ट की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल बढऩे से ब्लॉकेज होते हैं। उनको अब तक स्टाटिंस दवा दी जाती है। कुछ लोगों में इस दवा के साइड इफेक्ट देखे जा रहे थे। अब एजेटेमाइब और बैम्पेडाइक एसिड ऐसी नई दवाएं आई हैं, जिनसे से चर्बी भी छंट रही है और शरीर में दर्द भी नहीं हो रहा।
ब्लॉकेज के प्रति बरतें सतर्कता
मेदांता के डॉक्टर मनीष बंसल ने कहा कि आमतौर पर 70 से 80 परसेंट ब्लॉकेज होने पर समस्या बनती है, लेकिन 40 फीसदी ब्लॉकेज होने पर भी कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। अगर कोलेस्ट्रॉल बाहर निकलकर खून के संपर्क में आकर खून का थक्का बना दे। इसलिए ब्लॉकेज के प्रति सतर्कता बरतना जरूरी है।
इंडियंस को कार्डियक अरेस्ट का खतरा अधिक
फरीदाबाद के डॉ। गजेंद्र गोयल ने बताया कि यूरोप और बाकी दुनिया की तुलना में भारतीयों में कार्डियक अरेस्ट की डेढ़ से दो परसेंट ज्यादा रिस्क देखा गया है। इसलिए 18 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को लिपिड प्रोफाइल की जांच कराना बहुत जरूरी है।
इन्होंने ने भी दिए व्याख्यान
अपोलो दिल्ली के डॉ। विवेक गुप्ता ने बाईपास सर्जरी के बाद एंजियोप्लास्टी की जरूरत पर व्याख्यान दिया। डॉ। सुनील बंसल ने डायबिटीज और हार्ट फेलियर के बारे में बताया। दिल्ली के डॉ। संदीप सिंह और डॉ। धीरज शर्मा ने कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी में आर्ट ऑफ सिलेक्शन पर उपयोगी विचार रखे। डॉ। आयुष शुक्ला ने भी व्याख्यान दिया।
इनकी रही सहभागिता
डॉ। शरद पालीवाल, डॉ। विजय खुराना, डॉ। हिमांशु यादव, डॉ। अरविंद जैन, डॉ। एके गुप्ता, डॉ। राजकुमार गुप्ता, डॉ। अतुल गुप्ता, डॉ। सुनील बंसल, डॉ। दीपक अग्रवाल, डॉ। सुब्रत अखौरी, डॉ। बसंत गुप्ता, डॉ। सुमित अग्रवाल, डॉ। मुकेश गोयल, डॉ। सौरभ नागर, डॉ। वरुण शर्मा, डॉ। संजय सक्सेना, डॉ। वाईबी अग्रवाल और डॉ। गगनदीप चेयर पर्सन और मॉडरेटर्स की भूमिकाओं में रहे.डॉ। विनीश जैन, डॉ। ईशान गुप्ता, डॉ। नीरज कुमार, सुरेश सिंह और नेहा सक्सैना का सहयोग रहा। नेशनल कांफ्र स का निर्देशन सोसायटी के प्रेसिडेंट प्रो। डॉ वीके जैन और संयोजन- संचालन डॉ। सुवीर गुप्ता ने किया। डॉ। जीडी आर्य और समाजसेवी वीरेंद्र गुप्ता भी मौजूद रहे।