ऐसे पहचानें नवजात बच्चों कं गंभीर खतरों को
एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर और ट्रेनिंग प्रोग्राम के नोडल डॉ। नीरज ने बताया कि ट्रेनिंग प्रोग्राम में आगरा, फिरोजाबाद व मथुरा के डॉक्टरों और स्टाफ नर्सों को नवजात में खतरे वाले लक्षणों को पहचानना, हायर सेंटर पर भेजना, मेडिकल कॉलेज में रेफर करने के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि बच्चें को दौरा पडऩे, छाती के नीचे गड्ढे पडऩे, हाथ पैर पीले होने, बार-बार उल्टी करने और शरीर ठंडा होने पर एनबीएसयू पर ही उपचार दिया जा सकेगा। जरुरत पडऩे पर उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाएगा।

24 डॉक्टरों को किया गया प्रशिक्षत
एसीएमओ आरसीएच डॉ। संजीव वर्मन ने बताया कि तीन दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में 24 डॉक्टरों व स्टाफ नर्सों को प्रशिक्षित किया गया। अब 27 तारीख से दूसरे बैच को प्रशिक्षित किया जाएगा। इस दौरान यूपीटीएसयू की जिला वरिष्ठ विशेषज्ञ सतवीर कौर ने सहयोग किया।

यह रहे मौजूद
इस अवसर पर एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। प्रशांत गुप्ता, डिपार्टमेंट ऑफ सोशल एंड प्रिवेंटिव मेडिसिन की विभागाध्यक्ष डॉ। रेनू सहित आगरा, मथुरा और फिरोजाबाद के प्रतिभागी भी उपस्थित रहे।

इस स्थिति पर मिलेगा उपचार
- शरीर ठंडा पडऩा
- छाती के नीचे गड्ढे पडऩा
- हाथ पैर पीले होना (पीलिया)
- उल्टी करना
- शरीर ठंडा
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इन सीएचसी पर बन रहे एनबीएसयू
- सीएचसी अछनेरा
- सीएचसी खेरागढ़
- सीएचसी बाह
- सीएचसी एत्मादपुर
- सीएचसी शमशाबाद
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जिले में पांच सीएचसी पर एनबीएसयू स्थापित किया जा रहे हैं। इन यूनिट पर बाल रोग विशेषज्ञों द्वारा न्यू बॉर्न बेबी को उपचार मिल सकेगा।

- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ
न्यू बॉर्न को दौरा पडऩे, शरीर ठंडा पडऩे, बार-बार उल्टी होने जैसी खतरे की स्थिति में एनबीएसयू पर उपचार देने के लिए डॉक्टरों व स्टाफ नर्स को ट्रेनिंग दी गई।

- डॉ। नीरज यादव, प्रोफेसर, बाल रोग विभाग, एसएनएमसी