आगरा। बता दें कि नगर निगम के अफसरों ने 31 मार्च 2022 तक शहर को डलावघर मुक्त करने का दावा किया गया था। 14 अगस्त से शहर भर में इसके लिए जागरुकता अभियान चलाकर कूड़ा प्रबंधन की व्यवस्था 100 वार्डों में लागू की जानी थी, लेकिन तमाम व्यवस्थाओं का परवान चढऩे से पहले ही काम तमाम हो गया।

100 वार्डो में कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था नहीं
शहर में स्वच्छ कारपोरेशन कंपनी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का काम कर रही है। शहर में कंपनी को काम करते हुए कई महीने गुजर चुके हैं। लेकिन अभी तक डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था शुरु नहीं हो सकी है। अभी केवल 76 वार्डो में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन ही किया जा रहा है। जबकि मार्च 2022 में इसको सभी वार्डो में लागू किया जाना था। कूड़े को अलग-अलग करने के लिए 121 वाहन लगाए गए थे। इसके अलावा 1500 पैंडल ट्राई साइकिल बिद बिंस भी लगाए गए। तथा अभी तक 61030 हाउस होल्ड से कूड़ा कलेक्शन किया जा रहा है।

सीएंडडी प्लांट भी बंद
वर्तमान में कंस्ट्रक्शन मलबे के निस्तारण के लिए शुरु किया गया सी एंड डी वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट भी बंद पड़ा है। इस प्लांट को संचालित करने के लिए राइस इलेवन प्राइवेट लि। कंपनी को जिम्मा दिया गया था। शहर में कंस्ट्रक्शन के मलबे को उठाने के लिए 12 स्थान चिन्हित किए गए थे। कंपनी ने ठीक से काम नहीं किया तो नगर आयुक्त निखिल टीकाराम फुंडे ने कंपनी का करार खत्म कर दिया। बता दें कि कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर 150 एमटी का प्लांट बनाया जा रहा है। सीएंडडी वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट को 4.75 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है। इसे पीपीपी मोड़ पर संचालित किया जाएगा। इस प्लांट को 18 फरवरी 2021 को सुप्रीम कोट से एनओसी प्राप्त हो चुकी है। हालांकि अभी इसको बिजली कनेक्शन नहीं हुआ है। 5 एमटी के प्लांट को शुरु कर दिया गया था। लेकिन मौजूदा समय में ये बंद है।

कूड़ा प्रबंधन पर एक नजर
ये हैं ट्रांसफर स्टेशन
स्थान क्षमता
राजनगर लोहामंडी 10.5 घनमी।
पुरानी मंडी ताजगंज 10.5 घनमी।
ताज पूर्वी गेट 10.5 घनमी।
संजय प्लेस 10.5 घनमी।
ट्रांसपोर्ट नगर 10.5 घनमी।
ट्रांसपोर्ट नगर आईएसबीटी के पीछे 18 घनमी

वेस्ट टू- एनर्जी प्लांट: कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर 280 करोड़ की लागत से वेस्ट टू-एनर्जी प्लांट तैयार किया जा रहा है। इसमें 750 एमटी गारबेज से 10 मेगावाट बिजली तैयार की जाएगी। इसके बाद इसकी क्षमता को 15 मेगावाट तक बढ़ाया जाएगा। शुरुआत में 550 एमटी कूड़ा जलाया जाएगा। हालांकि अभी स्पॉक वर्जन कंपनी द्वारा इसको तैयार करने का काम किया जा रहा है।

- शहर में है 173 डलाबघर
- 38 को किया जा चुका है खत्म
- 200 अस्थायी डलाबघर

सिटी में ये है डलाबघरों की स्थिति
जोन डलाबघरों की संख्या
लोहामंडी 50
छत्ता 52
हरीपर्वत 39
ताजगंज 25
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इसमें हरीपर्वत जोन सबसे छोटा है। इसमें 21 वार्ड आते हैं। इससे बड़ा ताजगंज जोन है। इसमें 23 वार्ड आते हैं। इससे बड़ा जोन लोहामंडी है। इसमें 26 वार्ड शामिल हैं। शहर का सबसे बड़ा वार्ड छत्ता है। इसमें 30 वार्ड हैं। इसमें चार जोन में 845 बीट हैं।



नगर निगम योजनाएं तो तमाम बनाता है। ये जमीन पर नहीं दिखती है। कूड़ा कलेक्शन पर पहले भी 5 कंपनियों को जिम्मेदारी दी गई थी। वे गड़बड़ घोटाला कर गई। नई कंपनी को डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन अभी तक 100 वार्डों में ये व्यवस्था लागू नहीं हो सकी है।
पारस गोयल


डलावघर तो दूर की बात निगम के कर्मचारी जहां भी खाली प्लाट देखते हैं, वहीं कूड़े का डंप करने लग जाते हैं। इस ओर किसी का ध्यान नही है। योजनाओं के क्रियान्वयन न होने के पीछे मुख्य वजह उनकी मॉनीटरिंग न हो पाना है।
शशिकांत


शहर में अभी बहुत से ऐसे स्थान हैं जहां कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था लागू नहीं हो पायी है। नगर निगम के अफसरों का दावा था कि 31 मार्च 2022 तक डलावघरों का हटाया जाना था। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था लागू की जानी थी। 5 महीने गुजर जाने के बाद भी ये व्यवस्था धरातल पर नहीं आ सकी है।
सचिन बंसल