कोविड के समय वैक्सीनेशन प्रभावित होने का असर

पहले जनवरी में एक भी मीजल्स का केस नहीं मिलता था। लेकिन इस बार जनवरी में भी मीजल्स के केस देखने को मिले। अप्रैल, मई में तो काफी मरीज देखे जा रहे हैैं। चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि कोविड के दौरान रूटीन इम्युनाइजेशन प्रोग्राम प्रभावित हुआ। इस दौरान बच्चों को मीजल्स की वैक्सीन नहीं लग पाई। यही कारण है कि इस बार मीजल्स के मरीज देखने को मिल रहे हैैं। सीएमओ ने बताया कि जिन बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है उनके पैरेंट्स नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर वैक्सीन लगवा लें। विभाग द्वारा भी स्पेशल ड्राइव चलाकर वैक्सीनेशन किया जाता है।


मीजल्स में लापरवाही हो सकती है जानलेवा
सीएमओ डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि मीजल्स होने पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए। बिना परामर्श के कोई दवा नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वैसे मीजल्स दस दिन के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाती है। लेकिन दस परसेंट बच्चों को इसमें निमोनिया होने का खतरा रहता है। यदि बच्चों को निमोनिया हो जाए तो यह जानलेवा हो सकता है। कई बार लापरवाही बरतने से जान भी चली जाती है। इसके साथ ही मीजल्स में पोस्ट कॉम्पलिकेशन भी होती हैैं। इसलिए मीजल्स होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें। झाडफ़ूक के चक्कर में न पड़ें।

पुरानी चली आ रही धारणा
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। जेएन टंडन ने बताया कि हमारा देश प्राचीन है। पहले डॉक्टरों की कमी होती थी। तब छोटी माता व खसरा जैसे रोगों को दैवीय प्रकोप समझा जाता था। वहीं धारणा अब भी चली आ रही है। लोगों की मान्यता है कि यह परेशानी होने पर किसी को नहीं दिखाया जाता है। यह मरीज को क्वारंटीन करने के लिए तो ठीक है लेकिन डॉक्टर से परामर्श जरूर लेनी चाहिए। डॉ। टंडन ने बताया कि सबसे पहले तो मीजल्स की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन कराना चाहिए। चिकनपॉक्स के लिए निजी क्षेत्र में वैक्सीनेशन की सुविधा है। दूसरा यह दोनों ही संक्रामक रोग हैैं। मरीज को क्वारंटीन करके रखना चाहिए। चिकनपॉक्स में दाने बढऩे पर ब्रेन पर भी सूजन आ सकती है। डॉ। टंडन ने बताया कि लोगों की धारण है कि चिकनपॉक्स में डॉक्टर को दिखाने पर दाने दब जाते हैैं। जबकि यह धारणा गलत है।
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मीजल्स होने पर डॉक्टर से बिना परामर्श लिए कोई दवा नहीं देनी चाहिए। इसमें दस परसेंट बच्चों को निमोनिया होने का भी खतरा रहता है। जिन बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, उनको वैक्सीन लगवाएं।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ

चिकनपॉक्स वेरिसेला वायरस के कारण होता है। चिकनपॉक्स होने पर डॉक्टर को दिखाएं। बिना डॉक्टर की सलाह के मरीज को दवा न दें। लापरवाही के कारण इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैैं।
- डॉ। जेएन टंडन, बाल रोग विशेषज्ञ

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यह करें
- चिकनपॉक्स या खसरा होने पर डॉक्टर को दिखाएं
- जिन बच्चों का वैक्सीनेशन छूट गया है उनका वैक्सीनेशन कराए
- मरीज को आइसोलेट कर दें
- उसके संपर्क में न आएं
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाएं दें