बिल्डिंग खड़ी करने से नहीं होगा फायदा
शहर में इंटरनेशनल स्टेडियम की मांग पिछले काफी समय से लगातार की जा रही है। पूर्व ओलंपियन जगबीर सिंह ने कहा कि इंटरनेशनल स्टेडियम की मांग से मतलब ये नहीं है कि एक बहुत बड़े क्षेत्र में 500 से 700 करोड़ रुपए खर्च बिल्डिंग खड़ी कर दी जाएगी। बल्कि अगर हमें ओलंपिक गेम्स को ध्यान में रखकर प्लेयर्स तैयार करने हैं तो ऐसा स्टेडियम तैयार करना होगा जहां, खिलाडिय़ों के लिए बेहतरीन इक्विपमेंट्स हों। खिलाडिय़ों को अच्छे क्वालिफाई कोच की ओर से कोचिंग दी जाए, एक साइंटिफिक रिसर्च सेंटर हो। यानी अधिक बड़े स्टेडियम की जगह इस पर फोकस करना चाहिए कि जो भी स्पोट्र्स का सेंटर बने, वहां खिलाडिय़ों के लिए सभी फैसिलिटी हों।
कोचिंग की रहती है समस्या
वहीं मौजूदा समय में एकलव्य स्पोट्र्स स्टेडियम में व्यवस्थाओं पर गौर करें, तो सबसे बड़ी समस्या कोचिंग की रहती है। नाम न छापने की शर्त पर एक खिलाड़ी ने बताया कि कोच बाहर के हैं। अक्सर कई-कई दिनों तक छुट्टी पर चले जाते हैं। इसके चलते कोचिंग प्रभावित होती है।
वहां के छोटे स्टेडियम में लगते हैं नेशनल कैंप
सीनियर बॉक्सिंग कोच गौरव ठाकुर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि नए स्टेडियम के लिए बहुत अधिक जगह की आवश्यकता हो। अन्य प्रदेशों में छोटे स्टेडियम हैं, लेकिन वहां नेशनल कैंप लगते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह वहां के छोटे स्टेडियम भी अच्छे से मेनटेन हैं। खिलाडिय़ों के लिए मॉडर्न सुविधाएं भी अवेलेबल हैं। वहीं, एकलव्य स्पोटर्स स्टेडियम में बॉक्सिंग गेम को कई वर्षों से इनडोर करने की कवायद चल रही है। लेकिन अब तक इसको इनडोर नहीं किया जा सका है।
बहुत बड़ा स्टेडियम का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की बजाय खिलाडिय़ों को सुविधाएं मिलें, इस पर फोकस करना चाहिए। एकलव्य स्पोट्र्स स्टेडियम इस समय ओवरलोडेड है। शहर को एक और स्टेडियम की जल्द जरूरत है। इस ओर सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए।
जगबीर सिंह, पूर्व ओलंपियन
हरियाणा, पंजाब समेत अन्य प्रदेशों में स्पोट्र्स इंफ्रास्ट्रक्चर पर गौर करा जाए तो देखने को मिलता है कि वहां स्टेडियम छोटे हैं, लेकिन उनमें प्लेयर्स के लिए सुविधाएं वल्र्ड क्लास हैं। क्वालिफाई कोच द्वारा ट्रेनिंग दी जाती है। इक्विपमेंट काफी अच्छे हैं।
गौरव ठाकुर, सीनियर कोच
अच्छे खेल के लिए जरूरी है कि खिलाडिय़ों को मिलने वाली सुविधाओं में इजाफा हो। स्टेडियम में एक ही ग्राउंड है। उसी में सभी तरह के गेम्स होते हैं। मैदान का मेंटीनेंस भी प्रॉपर नहीं होता है। एथलीट के लिए अलग से ग्राउंड होना चाहिए।
अमिताभ गौतम, सीनियर कोच