तकनीकी कमी से नहीं बजी घंटी
आश्रय पालने में हाईटेक मोशन सेंसर लगे हुए हैैं। नवजात को पालने में रखते ही घंटी बजने लगती है। हालांकि शनिवार रात को तकनीकी परेशानी की वजह से घंटी नहीं बज पाई। लेकिन वहां खड़े गार्ड ने किसी को पालने में छोड़ते हुए देखा। गार्ड ने तुरंत स्त्री व प्रसूति विभाग में जाकर सूचना दी। इसके बाद कर्मचारी पालने की ओर दौड़े तो वहां पर एक प्यारी सी नवजात बच्ची पालने में झूल रही थी। उसकी आंखें बंद थीं। चेहरे पर निश्चिंतता का भाव था। शायद वो अपनी मां से यही कह रही हो कि मां हो सकता है तुम्हारी कोई मजबूरी हो, लेकिन तुम्हारा शुक्रिया। तुमने मुझे कूड़े के ढेर में नहीं फेंका।

21 अप्रैल को हुई थी शुरुआत
आगरा में 21 अप्रैल को एसनएन मेडिकल कॉलेज में आश्रय पालना स्थल की शुरुआत हुई है। शुरुआत होने के अगले दिन यानी शनिवार रात को पालना घर की घंटी बजी। घंटी बजने के बाद डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी पालना की ओर दौड़े। उन्होंने देखा कि पालना में एक नवजात बच्ची हरे रंग के तौलिए में लिपटी हुई है। पालना में वो आराम से सो रही थी। डॉक्टरों ने तुरंत बच्चे को अपनी गोद में उठाया। बच्ची को तत्काल ही उपचार के लिए बाल रोग विभाग में ले जाया गया। एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। प्रशांत गुप्ता ने बताया कि बच्ची प्रीमेच्योर है। उसको उपचार दिया गया है। वो पूर्ण रूप से स्वस्थ है। डॉक्टर बच्ची का पूरा ख्याल रख रहे हैं।

मानो कह रही हो कि मैं सुरक्षित हूं
पालना घर के योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि रात 11 बजे एक बच्ची के पालना में आने की सूचना मिली। बच्ची की तस्वीर देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो वो कह रही है कि मां तेरी कोई मजबूरी होगी, लेकिन तुमने मुझे मारा नहीं। मुझे कूड़े के ढेर में नहीं फेंका, इसलिए तुम्हारा शुक्रिया। अब मैं पालना घर में आकर सुरक्षित हूं। मेरा यहां पर पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

इच्छुक दंपती विधि अनुरूप ले सकेंगे गोद
आश्रय पालना स्थलों के माध्यम से हर अनचाहे नवजात शिशु को जीने का अधिकार प्राप्त हो सकेगा। साथ ही इच्छुक दंपती इन मासूम को विधि अनुरूप गोद लेकर अपना परिवार पूरा कर सकेंगे। योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल ने कहा कि आश्रय पालन स्थल में प्राप्त शिशु को जिला बाल कल्याण समिति की ओर से विधि के अनुरूप दत्तक ग्रहण के लिए स्वतंत्र घोषित किया जाएगा। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण की ओर से शिशु के दत्तक ग्रहण की कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद जिला न्यायालय की ओर से उस शिशु को दत्तक ग्रहण के माध्यम से पुनर्वास कर दिया जाएगा। इससे शिशु को एक नया जीवन और नया नाम मिलेगा।

हाईटेक मोशन सेंसर लगा है पालने में
डॉ। प्रशांत गुप्ता ने कहा कि आश्रय पालना स्थल हाईटेक मोशन सेंसर से युक्त है, जिससे की पालना स्थल में शिशु को छोडऩे के दो मिनट बाद चिकित्सालय के लेबर रूम में अपने आप घंटी बजेगी। इस दो मिनट के समय में छोडऩे वाला व्यक्ति आसानी से सुरक्षित रूप से वहां से जा सकेगा। घंटी बजते ही चिकित्साकर्मी की ओर से आश्रय पालना स्थल से शिशु को तत्काल प्राप्त कर उसकी चिकित्सकीय व व्यक्तिगत देखभाल की जाएगी। शिशु के स्वस्थ होने पर उसे तत्काल नजदीकी राजकीय मान्यता प्राप्त शिशु गृह में भेज दिया जाएगा।


बच्ची प्रीमेच्योर है। उसको उपचार दिया गया है। वो पूर्ण रूप से स्वस्थ है। डॉक्टर बच्ची का पूरा ख्याल रख रहे हैं।
- डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल, एसएनएमसी