आगरा(ब्यूरो)। मामला उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2018 की बेसिक शिक्षक भर्ती का है। परीक्षा 2019 में हुई थी। इस परीक्षा में चयनित होकर मथुरा के फरह ब्लॉक की सेरसा स्कूल में पोस्टेड बेसिक शिक्षक शालिनी मित्तल के खिलाफ शिकायत हुई है। उसने आवेदन फॉर्म में व्यक्तिगत तथ्यों को छुपाया है। कंप्लेन करने वाला भी कोई और नहीं बल्कि शालिनी का पति है। उसका आरोप है कि शादीशुदा और बच्चे की मां होने के बावजूद शालिनी ने नौकरी के लिए आवेदन फॉर्म में इस महत्वपूर्ण तथ्य को छिपा लिया। शालिनी की शादी मार्च 2016 में जयपुर में रहने वाले अंकित गुप्ता के साथ हुई थी। शादी के बाद जयपुर जाकर मैरिज सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, बच्चों के जन्म प्रमाण-पत्र और यहां तक कि राजस्थान के मूल निवासियों के लिए सरकारी योजनाओं की पात्रता वाला जनआधार कार्ड भी बनवा लिया था। इसके अलावा राजस्थान सरकार की शिक्षक भर्ती परीक्षा 2017 में भी शामिल हो चुकी, जिसके आवेदन फॉर्म में शालिनी ने खुद को राजस्थान की निवासी और गृह जिला भी जयपुर बताया था। उस भर्ती परीक्षा में पास नहीं हुई तो शालिनी ने अपने पीहर किरावली आकर शादी पूर्व के पहचान पत्र और अन्य दस्तावेजों के आधार पर बेसिक शिक्षक भर्ती उत्तर प्रदेश के लिए आवेदन कर दिया और भर्ती भी हो गई।
खेल का सबको पता, लेकिन कोई एक्शन नहीं ले रहा
उत्तर प्रदेश के सरकारी भर्ती नियमों में स्पष्ट प्रावधान है कि आवेदन फॉर्म में कोई भी तथ्यों को छुपाना या गलत कथन पेश करने पर पता चलने पर नियुक्ति निरस्त की जा सकेगी। इस मामले में शिकायत होने के बाद सभी तथ्य भी जांच एजेंसियों के पास पहुंच गए, लेकिन सरकारी एजेंसियां और उनमें बैठे अफसर मामले में लगातार ढिलाई बरत रहे हैं।
सीएम योगी तक पहुंची शिकायत
शिकायतकर्ता जयपुर निवासी अंकित गुप्ता ने इस मामले में मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा और पूरे मामले में हुए फर्जीवाड़े से अवगत कराया। मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर जिला कलेक्टर मथुरा ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मथुरा को ही जांच अधिकारी बना दिया। शिकायतकर्ता के बयान पिछले वर्ष ही दर्ज कर लिए, लेकिन जांच को रफा-दफा कर दिया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि जिन अधिकारियों ने फर्जीवाड़े से नौकरी में ज्वॉइनिंग कराई हो उसी को जांच दे दी जाए तो न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है। जांच अधिकारी तो शिकायतकर्ता को आरटीआई में सूचनाएं भी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। इस संबंध में बीएसए का पक्ष जानने के लिए कई बार कॉल किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।