आगरा (ब्यूरो)। एक दौर में मुगलिया राजधानी रहे आगरा में मोहब्बत की निशानी ताजमहल के अलावा तमाम धरोहर मौजूद है। कई स्मारकों का इतिहास भी बेहद दिलचस्प है। मुगल बादशाह के समय पर मुगलिया सल्तनत की राजधानी आगरा रहा। अपने समय में मुगल बादशाह ने तमाम भवनों का निर्माण कराया था। जो आज भी अपनी भव्यता और वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं। इन स्मारकों की देख रेख और संरक्षण एएसआई करता है। एएसआई के आगरा सर्किल में सबसे ज्यादा स्मारक हैं। लेकिन इन स्मारकों के आस पास अवैध कब्जों ने इन स्मारकों की पहचान को फीका सा कर दिया है। आगरा में मौजूद एसएसआई संरक्षित स्मारकों के आस पास कब्जे हो गए हैं। अधिकांश कब्जे छोटे स्मारकों के आस पास हुए हैं।

इन स्मारकों पर हैं कब्जे
एसएसआई संरक्षित स्मारकों में ताज महल और लाल किला जैसे स्मारकों को तो कई बार अभियान चला कर कब्जा मुक्त कर दिया गया है। लेकिन इसके अलावा ज्यादातर स्मारकों के चारों ओर अवैध निर्माण है, चौबुर्जी, मरियम का मकबरा, सिकंदरा, एत्माद्दौला, फतेहपुर सीकरी, रामबाग, जोधबाई की छतरी, दिल्ली गेट, सलावत खां-सादिक खां मकबरे के प्रतिबंधित दायरे में तीन हजार से ज्यादा अवैध निर्माण हैं। जिन्हें तोडऩे के आदेश हैं लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। इसके अलावा जाजऊ की सराय, ऐतिहासिक जगनेर के किले के आस पास भी अवैध कब्जे हो गए हैं। यहां से तो लोग किले की दीवार की ईंटें तक चुरा कर ले गए हैं।

अवैध वेंडरों का रहता है कब्जा
शहर के स्मारकों की बात की जाए तो सलावत खां का मकबरा एत्माद्दौला और रामबाग जैसे स्मारकों के अलावा लाल किले के आसपास अवैध दुकानदारों ने कब्जे कर रखे हैं। यहां बड़े ही बेतरबीन ढंग से वेंडर ने फूड इंस्टाल लगा रखे हैं। यही हाल एत्माद्दौला और रामबाग का है। कई बार तो ये लोग स्मारक के गेट के सामने ही रेहड़ी ले आते हैं। इससे पर्यटकों को परेशानी होती है। चीनी के रोजा के गेट के आस पास भी अवैध ऑटो और रिक्शा खड़े रहते हैं। बमुश्किल पर्यटकों को इसका गेट दिखाई देता है।

सलावत खां, सादिक खां मकबरे का रास्ता घेरा
आगरा दिल्ली नेशनल हाईवे पर सलावत खां, सादिक खां के दो मकबरे हैं। इन तक पहुंचने के लिए रास्ता तक ठीक नहीं है। दोनों स्मारकों के प्रतिबंधित दायरे में लगातार अवैध निर्माण जारी हैं। कुछ दिन पहले एएसआई ने पतली सकरी गली से अतिक्रमण हटवाकर बाउंड्री और गेट लगवाया था। दोनों स्मारकों के मार्ग पर एक तरफ ट्रांसफार्मर हैं। वहीं दूसरी ओर अतिक्रमण हैं। यही हाल जोधबाई की छतरी और दिल्ली गेट का है।

इन स्मारकों पर हैं अवैध कब्जे
-फतेहपुर सीकरी में खानकाह की 2835 वर्ग मीटर जगह
-फतेहपुर सीकरी में खताईखाना की 884 वर्ग मीटर जगह
-फतेहपुर सीकरी में लाल दरवाजा के निकट 4840 वर्ग मीटर जगह
-जगनेर किले की 5875 वर्ग मीटर जगह
-जामा मस्जिद की दो हजार वर्ग मीटर जगह
-महाबत खान की बेटी का मकबरे पर 250 वर्ग मीटर जगह
-जाजऊ की सराय में मस्जिद और दो गेटवे
-एत्मादपुर में बुढिय़ा का ताल
-एत्मादपुर में जामा मस्जिद
इनमें से कुछ जगह से अभियान चला कर कब्जे हटवाए जा चुके हैं।


वर्जन-
फतेहपुर सीकरी में पॉश मीनार के पास एक मल्टीस्टोरी घर बनाया गया था। प्रशासन ने उसको पिछले साल ध्वस्त कर दिया था। इसके अलावा जहां जहां अतिक्रमण हैं, प्रशासन के द्वारा कार्यवाई की जाती है।
राजकुमार पटेल अधीक्षण पुरातत्वविद् एएसआई

-स्मारकों के आस पास जो भी कब्जे हैं। इनकी शिकायत भी कई बार हुई है, लेकिन इन पर कार्यवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। कब्जे बरकरार रहते हैं।
विवेक शर्मा एडवोकेट

मुगलिया पहचान रहे इन स्मारकों पर अवैध कब्जे होना दुर्भाग्य है। प्रशासन को स्मारकों के आसपास किए जा रहे अवैध कब्जों को हटाया जाना चाहिए। इससे पर्यटक इन तक पहुंच सकें।
हिमांशू

-शहर में पर्यटक आते हैं और सिर्फ दो तीन स्मारकों का दीदार करके चले जाते हैं। अगर इन स्मारकों को भी कब्जे से मुक्त कर दिया जाए तो पर्यटक यहां तक आएंगे और इतिहास को जानेंगे।
शिवशंकर व्यापारी

500 मीटर दूरी तक निर्माण पर है रोक ताज के
20 हजार पर्यटक औसतन रोज आते हैं ताज पर
3 स्मारक विश्व धरोहर में शामिल हैं शहर के
8 साल में हुआ था लाल किले का निर्माण