आगरा(ब्यूरो)। नगर निगम में आय के नए स्रोत नहीं बन रहे हैं, जहां से आय हो सकती है वहां वसूली नहीं हो रही है। मेयर और पार्षदों को निगम की आय बढ़ाने के लिए सदन में चर्चा करनी होगी, निगम के अधिकारियों से सवाल जवाब करने होंगे।

हाउस टैक्स बड़ा सोर्स
नगर निगम की आय का एक बड़ा सोर्स हाउस टैक्स है। 20 लाख की आबादी वाले शहर में 80 संपत्तियों से ही हाउस टैक्स की वसूली हो रही है जबकि 3.20 लाख संपत्तियां हैं। हाउस टैक्स की 80 परसेंट वसूली भी वित्तीय वर्ष के अंतिम दो महीने में होती है। घर घर कूड़ा कलेक्शन, विज्ञापन से भी नगर निगम आय नहीं कर पा रहा है। पार्किंग शुल्क से भी होने वाली आय कई महीनों तक बंद रही है।

ये करना होगा
- हाउस टैक्स निर्धारण से लेकर वसूली के सिस्टम में बड़े स्तर पर बदलाव कर आम जन के अनुकूल बनाना होगा।
- निगम की सीमा में स्थित संपत्तियों से गृहकर की वसूली करनी होगी, इसके लिए निगम अपने स्तर से सर्वे कराए। निजी कंपनी के भरोसे न रहे।
- बिजली कंपनियों की तरह से गृहकर के बिल घर भेजे जाएं, बकाया वसूली के लिए किस्त बनाई जाएं।
- घर से कूड़ा उठाने पर चार्ज लिया जाए
- विज्ञापन और पार्किंग से आय बढ़ाई जाए
- आय के नए सोर्स विकसित किए जाएं


नगर निगम के गठन पर 1989 में आय का ब्योरा
मद-धनराशि
चुंगी-6.42 करोड़ रुपए
सरकार से अनुदान- 5.52 करोड़ रुपए
हाउस टैक्स-55.36 लाख
वाहनों से टैक्स- 58.15 लाख
ऑडिटोरियम-5.16 लाख
विज्ञापन- 5.61 लाख
अन्य कर- 2.7 करोड़

2022-23 में नगर निगम की हुई आय
मद, धनराशि
राज्य वित्त आयोग से प्राप्त धनराशि- 220 करोड़ रुपए
हाउस टैक्स- 75 लाख रुपए
विज्ञापन शुल्क -चार करोड़ रुपए
सरकारी भवनों से किराया- 93 लाख रुपए
वाहन कर- 2.14 लाख रुपए
स्वच्छता कर- 81 हजार रुपए
कूड़ा कलेक्शन- शून्य

नगर निगम की आय
2018-19 360.13 करोड़ रुपए
2019-20 383.14 करोड़ रुपए
2020-21 223.35 करोड़ रुपए
2021-22 442.81 करोड रुपए
2022-23 403.60 करोड रुपए
नोट: इसमें राज्य वित्त आयोग से प्राप्त आय है 150 से 200 करोड़.

गृहकर से आय
2022-23 75 करोड़ रुपए
2021-22 69 करोड़ रुपए
2020-21 44 करोड़ रुपए
2019-20 40 करोड़ रुपए
2019-18 38 करोड़ रुपए
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2017 में नगर निगम कुछ संपत्तियों से गृहकर वसूल रहा था, सर्वे कराया गया। संपत्तियों की संख्या बढ़कर 3.20 लाख तक पहुंच गई। इसे बढ़ाने से आय भी बढ़ेगी।
नवीन जैन, पूर्व मेयर, नगर निगम
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किसी भी संस्थान को चलाने के लिए आय और व्यय के बीच सामंजस्य बिठाना पड़ता है। जिन मदों से आय होती है उसमें 90 प्रतिशत तक वसूली होनी चाहिए। आय के नए स्रोत भी विकसित किए जाने चाहिए।
साक्षी जैन, सीए

नगर निगम गृहकर सहित करों की दरों को सही करे, इसमें गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। जिससे लोग खुद ही आगे आएंगे और गृहकर जमा करेंगे। वसूली के नाम पर उत्पीडऩ हो रहा है यह बंद करना चाहिए। सौदेबाजी बंद होनी चाहिए।
भूपेंद्र सोबती, प्रदेश अध्यक्ष फेडरेशन आफ आल इंडिया व्यापार मंडल