आगरा। गंदे पानी का ट्रीटमेंट करने के पश्चात मेट्रो ट्रेन की सफाई में इसका उपयोग किया जाएगा। आगरा मेट्रो डिपो में वेस्ट पानी को रीसाइकल करने के लिए एक लाख लीटर की क्षमता वाला संयुक्त ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है। इस ट्रीटमेंट प्लांट में ग्रे वॉटर यानी किचन, वॉशरूम और फ़्लोर क्लीनिंग आदि से निकलने वाले पानी को रीसाइकल करने के लिए 70 हजार लीटर की क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट (एसटीपी) तैयार किया किया गया है। इस ऑटोमैटिक वॉश प्लांट में ट्रेनों की सफाई और मेंटिनेंस शेड में ट्रेनों की मरम्मत आदि से निकलने वाले केमिकल युक्त गंदे पानी, जिसे तकनीकी भाषा में 'ब्लैक वॉटरÓ कहा जाता है, उसे रीसाइकल करने के लिए 30 हजार लीटर की क्षमता वाले एफ़्ल्यूएन्ट ट्रीटमेंट प्लान्ट (ईटीपी) को संयुक्त रूप से एक साथ ही बनाया गया है।

अलग -अलग होगी पाइपलाइन
डिपो परिसर में से मेट्रो डिपो में ड्यूअल प्लम्बिंग की व्यवस्था होगी। साफ पानी और रीसाइकल्ड पानी की अलग-अलग पाइपलाइन होगी। डिपो परिसर में एक संयुक्त वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा, इससे विभिन्न गतिविधियों के चलते निकलने वाले गंदे पानी को री-साइकिल किया जा सकेगा। बता दें कि इस री-साइकिल्ड पानी को ट्रेनों की सफाई के लिए प्रयोग किया जाएगा। इसके साथ ही डिपो परिसर में विभिन्न क्षमता वाले भूमिगत टैंकों का निर्माण किया गया है, इसमें रॉ टैंक, डोमेस्टिक टैंक व फायर टैंक शामिल हैं। 1 लाख, 25 हजार लीटर की क्षमता वाले रॉ टैंक में डिपो परिसर में विभिन्न श्रोतों से प्राप्त होने वाले जल को एकत्र किया जाएगा। वहीं, 1 लाख लीटर की क्षमता वाले डोमेस्टिक टैंक में डोमेस्टिक गतिविधियों के लिए प्रयोग किए जाने वाले जल को स्टोर किया जाएगा। इसके साथ ही डिपो परिसर में आग लगने जैसी किसी अप्रिय घटना का सामना करने के लिए 2 लाख लीटर पानी की क्षमता वाला फायर टैंक बनाया जा रहा है।

तैयार हो रहे वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
डिपो परिसर में वर्षा जल के संचयन के लिए रेन वॉटर हारवेस्टिंग पिट्स बनाए जा रहे हैं। बारिश के दौरान डिपो परिसर की विभिन्न बिल्डिंग्स से वर्षा जल को ड्रेन पाइप के जरिए इन पिट्स में एकत्र किया जाएगा। इसके बाद बोरिंग के जरिए इस जल को वापस जमीन में भेज दिया जाएगा, इससे भूगर्भ जल स्तर को सुधारने में काफी मदद मिलेगी।