आगरा(ब्यूरो) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मेहताब बाग को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया है। एत्माद्दौला की यमुना किनारा स्थित कोठरियों में भी मंगलवार को पांच फुट तक पानी पहुंच गया। बाढ़ के पानी से स्मारकों के उद्यान को काफी नुसकान हुआ है। इन्हें नए सिरे से विकसित करना होगा। अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ। राजकुमार पटेल ने बताया कि बाढ़ के पानी के साथ सिल्ट स्मारकों में बने उद्यान में पहुंच गई है। मेहताब बाग, ताज हेरिटेज कारीडोर, ताजमहल के पाश्र्व में बने उद्यानों को नुकसान हुआ है। यहां दोबारा घास व पौधे लगाने होंगे। स्मारकों को हुए गंभीर नुकसान का आकलन बाढ़ का पानी उतरने के बाद किया जा सकेगा।

यहां पहुंचा यमुना का पानी
-रामबाग की उत्तरी दिशा में स्थित सराय व गेटवे में पानी भरा।
-रामबाग की यमुना किनारा स्थित सीढिय़ों में पानी पहुंच गया।
-ताज हेरिटेज कारिडोर के ऊपर होकर नदी का पानी बह रहा है।
-ताजमहल की उत्तरी दीवार के पीछे बना उद्यान पानी में डूबा हुआ है।
-बाग खान-ए-आलम की दीवार से यमुना सटकर बह रही है।
-ताजमहल के पाश्र्व में बसई घाट व दशहरा घाट जलमग्न हैं। दशहरा घाट रोड पर पानी भरा है।
-सीआइएसएफ की करबना स्थित बैरक के गेट तक यमुना का पानी पहुंच गया है।
- बल्केश्वर स्थित जसवंत ङ्क्षसह की छतरी में भी बाढ़ का पानी भर गया है।

टापुओं पर फंसे, एनडीआरएफ ने किया रेस्क्यू
सदर तहसील के गांव नूरपूर के ग्रामीण तनौरा और सुरेरा के बीच स्थित तीन से चार टापुओं पर खेती करते हैं। यमुना का जल स्तर बढऩे पर प्रशासन द्वारा कराई जा रही मुनादी को अनदेखा करते हुए वह रविवार को टापुओं पर चले गए। उनके टापुओं पर पहुंचने के बाद यमुना का जल स्तर तीव्र गति से बढऩा शुरू हो गया। बीच मझधार में सभी टापू पर फंस गए। उम्मीद थी कि यमुना का पानी उतरेगा तो सकुशल घर लौट जाएंगे। सोमवार सुबह यमुना का जल स्तर तेजी से बढऩा शुरू हुआ तो ङ्क्षचता ने घेर लिया। परिवार वालों से संपर्क की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इससे हताश हो उठे। ग्रामीणों ने पुलिस-प्रशासन को कुछ लोगों के टापुओं पर फंसे होने की सूचना मंगलवार सुबह दी। इसके बाद एसडीएम सदर परीक्षित खटाना और नायब तहसीलदार रवीश कुमार एनडीआरएफ की टीम लेकर दोपहर 12 बजे तनौरा पहुंचे। नूरपुर से रेस्क्यू ऑपरेशन संभव नहीं होने से तनौरा को चुना गया। यहां लोक निर्माण विभाग का स्टीमर लेकर टापुओं तक जाने की कोशिश की, लेकिन वहां रेत अधिक होने से स्टीमर वहां तक नहीं पहुंच सका। एनडीआरएफ की टीम ने इसके बाद रेस्क्यू आपरेशन शुरू किया। दो बोटों से टीम ने तीन चक्कर लगाते हुए 21 लोगों को सुरक्षित बचाया। दोपहर 12 बजे शुरू हुआ रेस्क्यू आपरेशन शाम 6:30 बजे संपन्न हुआ। वाराणसी से आई एनडीआरएफ की 11वीं बटालियन के 23 सदस्यों ने इंस्पेक्टर अनिल कुमार के नेतृत्व में रेस्क्यू आपरेशन किया। इंस्पेक्टर अनिल कुमार ने बताया कि सभी 21 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। रेस्क्यू आपरेशन के दौरान खेतों और गांव के संपर्क मार्ग पर कमर तक पानी भर गया था, जिससे गांव का संपर्क टूट गया।