आगरा(ब्यूरो)। एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसन विभाग के डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि लेप्टोस्पाइरोसिस चूहे, कुत्ते, बिल्ली आदि के पेशाब या दूषित पानी से फैलती है। यह एक बैक्टीरियल डिजीज है। यह बैक्टीरिया आंख, नाक, मुंह के जरिए शरीर में पहुंचता है। इस बैक्टीरिया से पालतू पशुओं में लक्षण नहीं आते हैैं। लेकिन यह बीमारी फैलाते हैैं। इसलिए फिलहाल जानवरों से दूरी बनाकर रखें। यदि जानवरों के संपर्क में आ रहे हैैं तो अपने हाथों को अच्छी तरह साफ करें। उन्होंने बताया कि पहले आगरा बेल्ट में यह रोग नहीं होता था। गुजरात वगैराह में ही इसके मरीज मिलते थे। अब लोगों का बिल्ली आदि पालने का शौक बढऩे लगा है। कोई इंफेक्टेड जानवर भी ऐसा रोग फैला सकता है।
गंभीर साबित हो सकता है
डॉ। अग्रवाल ने बताया कि यह रोग आमतौर पर अपने आप ही स्वस्थ हो जाता है। लेकिन कुछ मरीजों के लिए यह गंभीर साबित हो सकता है। इसके लक्षण आंखों में ब्लीडिंग, आंखों का लाल होना, पीलिया, उल्टी आना, बुखार आना, पेट दर्द, पेशाब में खून आना हैैं। यदि किसी का बुखार न उतरे, पीलिया बढ़ता हुआ चला जाए और पीलिया के साथ किडनी में भी कोई परेशानी सामने आए तो सचेत हो जाएं। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉ। प्रभात ने बताया कि आगरा में मिले दो मरीज एसएन मेडिकल कॉलेज आए थे। इस कारण उनकी जांच हो गई। यदि इसकी डायग्नोस न हो पाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है। डॉ। प्रभात ने बताया कि इस रोग में अच्छी बात यह है कि यह आम दवाओं से भी ठीक हो जाती है। सामान्य दवाएं डॉक्सीसाइक्लिन, सेफट्राइक्जोन को देकर इसका उपचार संभव है।
इन जानवरों से फैलती लेप्टोस्पाइरोसिस
बिल्ली
कुत्ता
चूहा
इस स्थिति में डॉक्टर से करें संपर्क
बुखार न उतरे
पीलिया बढ़ता हुआ चला जाए
पीलिया के साथ किडनी में परेशानी हो
यह हैैं लेप्टोस्पाइरोसिस के लक्षण
आंखों में ब्लीडिंग
आंखों का लाल होना
पीलिया
उल्टी आना
बुखार
पेट दर्द
पेशाब में खून आना
------------
ऐसे करें बचाव
जानवरों के संपर्क में सीधा न आएं
नंगे पैर न चले
पार्क, जंगल आदि में नंगे पैर न जाएं
जानवरों को पकडऩे के बाद हाथों को अवश्य धोएं
-बुखार आए और तीन चार दिन में आराम न हो तो अपनी ओर से इलाज न करें।
लेप्टोस्पाइरोसिस आगरा में नहीं होता था। अब यहां दो मरीज मिले हैैं। मरीजों को या तो बाहर से इंफेक्शन लगा है या कोई इंफेक्टेड एनिमल यहां आ गया है। ऐसी स्थिति में बचाव करें और सचेत रहें।
- डॉ। प्रभात अग्रवाल, प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, एसएनएमसी