आगरा (ब्यूरो)। स्वर्ण रत्नों से सुसज्जित पोशाक और स्वर्ण मुकुट धारण कर दूल्हा बने प्रभु श्रीराम जब दिव्य ऐरावत हाथी के रथ पर सवार होकर बरात लेकर निकले तो उनकी अनुपम और मनोहारी आभा देखने के लिए जनमानस श्रद्धानवत हो गया। साक्षात धर्म, सत्य, सौंदर्य और मर्यादा के प्रतीक प्रभु की आनंदमयी छवि देखकर नेत्र पुलकित हो रहे थे। बारंबार प्रणाम कर रहे थे, हर्ष और उल्लास की कोई सीमा नहीं थी। उनके मुख की कांति चंद्रमा से अधिक शीतलता और सूर्य से अधिक तेज बरसा रही थी। मस्तक का चंदन उनकी वीरता का गुणगान कर रहा था। अति मनोरम ये ²श्य उत्तर भारत के पारंपरिक श्री रामलीला महोत्सव के अंतर्गत शनिवार को निकाली गई प्रभु श्रीराम की बरात में दिखा।

मनमोहक था दृश्य
प्रभु श्रीराम और अनुज बरात के लिए श्रीमन:कामेश्वर मंदिर स्थित लाला चन्नोमल की बारादरी में तैयार हुए। यहां आरती के बाद स्वरूपों को रावतपाड़ा चौराहा पर लाकर रथों पर विराजमान कराया गया। श्री रामलीला कमेटी के संयोजन में प्रभु श्रीराम की बरात दोपहर दो बजे रावतपाड़ा चौराहा से प्रारंभ हुई। कमेटी अध्यक्ष विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल और महामंत्री राजीव अग्रवाल ने विघ्नहर्ता गणेशजी की झांकी के सामने नारियल फोड़कर बरात की शुरुआत की। इनके आगे छह अश्व, दो ऊंट और एक ढोल बरात आगमन का संदेश दे रहे थे। भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी रजत रथ पर सवार होकर निकले। इनके बाद स्वरूपों के रथ थे। उनके बाद राजा दशरथ बग्घी पर सवार होकर पुत्र की बरात में शामिल हुए। उनके पीछे शत्रुघ्न और भरत अपने-अपने कमल रथ पर विराजमान थे। रथ के आगे बैंड स्वर लहरियां बिखेर रहे थे। उनके पीछे लक्ष्मण जी शेषनाग आकृति के रथ पर सवार थे। बरात के अंत में प्रभु श्रीराम देवराज इंद्र के दिव्य ऐरावत हाथी के रथ पर सवार हो निकले, जो दसों दिशाओं में घूमकर दिव्य आभा बिखेर रहा था। बरात जहां से गुजरी श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर आरती उतारी। हर कोई प्रभु के दर्शन को आतुर था।

रोड शो रहा आकर्षक
बैल पर सवार भगवान शंकर की झांकी और नृत्य करते भूत-प्रेत का रोड शो बेहद आकर्षक था। गुलाल उड़ाते और नाचते-गाते भूत-प्रेत और अघोरी माहौल को शिवमय बना रहे थे। वृंदावन में नृत्य करतीं गोपियों के रोड शो को भी सभी ने बहुत पसंद किया। राजस्थानी लोक नृत्य रोड शो आदि भी प्रमुख रहे। बरात में 12 बैंड मधुर व धार्मिक सुर लहरियां बिखेरते चल रहे थे।

तिरंगा झांकी ने दिलाई बलिदानी कैप्टन शुभम की याद
राम बरात में 121 झांकियां भी थीं। सामाजिक सरोकार व पर्यावरण संरक्षण आदि का संदेश दे रही थीं। 110 फीट की तिरंगा यात्रा व बलिदानी कैप्टन शुभम गुप्ता की झांकी खूब पसंद की गई। कैप्टन शुभम की झांकी में कश्मीर के ²श्य के साथ गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाज भी सुनाई दे रही थी। इस झांकी के साथ बलिदानी कैप्टन शुभम गुप्ता की मां पुष्पा गुप्ता भी थीं, जो बेटे को याद कर भावुक दिख रही थीं। ओङ्क्षलपिक में पदक विजेता भारतीय निशानेबाजों की भी झांकी थी। धार्मिक झांकियों में अयोध्या के श्रीराम मंदिर, प्रेम मंदिर, इस्कान मंदिर, मां नवदुर्गा, बाबा बर्फानी, ओंकारेश्वर, महाकाल, बैजनाथ धाम, नीले घोड़े पर सवार खाटू श्याम, हवा में उड़ते हनुमान, बाबा नीम करोरी आदि की झांकी विशेष थी। सामाजिक झांकियों में बेटी है अनमोल, सुखी जीवन का सूत्र बेटा-बेटी एक समान, मेट्रो आदि की झांकी विशेष थी। कई झांकियां एटा, मेरठ, उज्जैन, कानपुर, अरुणाचल प्रदेश, बनारस, इंदौर, दिल्ली तक से आईं।

प्रभु का राजसी शृंगार, पहनी जयपुरिया पोशाक
भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ने जयपुर से मंगवाई गई पोशाक धारण की। श्रीराम के शीश पर रत्नजडि़त साढ़े पांच किलो का रजत मुकुट अति शोभित था। लक्ष्मण ने पांच किलो का रत्नजडि़त मुकुट पहना, जिसमें शेषनाग आकृति अंकित थी। भरत और शत्रुघ्न ने साढ़े तीन-तीन किलो वजन का मुकुट पहना।

यहां से निकली बरात
रावतपाड़ा से बरात शुरू हुई। जौहरी बाजार, सुभाष बाजार, दरेसी नंबर एक व दो, छत्ता बाजार, कचहरी घाट, बेलनगंज, पथवारी, धूलियागंज, सिटी स्टेशन रोड, घटिया छिली ईंट रोड, फुलट्टी, सेब का बाजार, किनारी बाजार, कसेरट बाजार होते हुए देर रात रावतपाड़ा लौट आई। रामबरात में रामलीला कमेटी पदाधिकारी बराती बनकर शामिल हुए। व्यवस्था संचालन रामलीला कमेटी अध्यक्ष विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल और महामंत्री राजीव अग्रवाल ने किया। बरात प्रभारी मुकेश अग्रवाल के नेतृत्व में टीएन अग्रवाल, तारा चंद्र, प्रवीण स्वरूप, आनंद मंगल, मुकेश जौहरी ने बरात का संचालन किया।