आगरा(ब्यूरो)।मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा में फैले जंगल में बढ़ रही शेरों की संख्या भी तेंदुओं के पलायन का कारण बन रही है। तेंदुओं की बढ़ती जनसंख्या और शहर में उनकी बढ़ती आवाजाही को देखते हुए वन विभाग आगरा में तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर बनाने की योजना बना रहा है।
तलाशी जा रही जमीन
वर्ष 2020 में चंबल में तेंदुओं की आबादी लगभग 24 थी, जो अब गांव वालों, चरवाहों व वन रक्षकों की सूचनाओं के आधार पर अनुमानित 100 आंकी जा रही है। चंबल में तेंदुओं को पर्याप्त भोजन मिल रहा है, उसके पसंदीदा हिरन, नीलगाय, जंगली सुअर व खरगोश बहुतायत में हैं। सरकार की योजना के अनुसार उप्र में पांच तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर बनने हैं, जिसमें से मेरठ में सेंटर बन रहा है। आगरा में इसके लिए अब जमीन तलाशी जा रही है।
शेरों के कारण कर रहे पलायन
मप्र और राजस्थान के जंगलों में शेरों की जनसंख्या बढ़ रही है, जिस वजह से तेंदुए वहां से भाग कर उप्र की तरफ आ रहे हैं। हर शेर का अपना क्षेत्र होता है, जहां वो तेंदुओं को मार देता है। चंबल में कंटीली झाडिय़ों की वजह से तेंदुए का क्षेत्र चार से पांच वर्ग किमी होता है, लेकिन जंगल में आठ से 10 वर्ग मीटर होता है। जंगल के किनारे से ही आबादी शुरू हो रही है, इसलिए तेंदुए शहर में दिखने लगे हैं।
शातिर होते हैं तेंदुए
तेंदुआ शातिर जानवर हैं, वो आबादी के पास बिना किसी को नुकसान पहुंचाए सालों तक रह लेता है। तेंदुआ कुछ भी खा लेता है, इसलिए उसे दिक्कत नहीं होती है। शिकार के लिए वो शाम को या रात को निकलता है। अपने जीवन का अधिकतर समय तेंदुआ अकेला गुजारता है। सिर्फ मेङ्क्षटग के समय नर और मादा साथ रहते हैं। मादा डेढ़ साल तक बच्चों को अपने साथ रखती है।
आगरा में हैं भालू और हाथी संरक्षण केंद्र
पूरे भारत में एकमात्र आगरा में ही भालू और हाथी संरक्षण केंद्र हैं। भालू संरक्षण केंद्र कीठम में है और हाथी संरक्षण केंद्र चुरमुरा में है। इन केंद्रों में कलंदरों और सर्कस आदि से रेस्क्यू किए गए भालू और हाथी रखे जाते हैं। इनका संचालन वाइल्ड लाइफ एसओएस द्वारा किया जाता है।
कब आए तेंदुए आगरा परिक्षेत्र की सीमा में
- 2022 में मथुरा के बाजना और नौहझील में तेंदुए के मिले निशान।
- 2022 में ही बाह के हरलालपुरा में किसान पर हमला किया।
- 2018 नवंबर में आगरा फोर्ट के पास दिखा था।
- जून 2021 में सीता नगर में आया था।
- सिकंदरा और आगरा किला के पास भी तेंदुआ मिल चुका है।
- लगभग पांच साल पहले इंद्रपुरी कालोनी में खाली कोठी में आया था तेंदुए।
आगरा में चंबल में तेंदुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, इसके चलते सेंटर की जरूरत अब ज्यादा हो गई है।
दिवाकर श्रीवास्तव, डीएफओ चंबल प्रभाग