आगरा(ब्यूरो)। जिसमें ऐप के जरिए सोशल मीडिया पर एक्टिव गैंग के गुर्गे ऐसे लड़कों को गैंग में शामिल कर रहे हैं। लॉरेंस विश्नोई गैंग के चार शूटरों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस के हाथ तमाम जानकारियां लगी हैं। इसमें पता चला है कि गैंग किस तरह काम करता है और कैसे शूटर्स को अपने टास्क देता है।

रील देखकर गैंग के संपर्क में आए शूटर
जैतपुर थाना क्षेत्र में मुठभेड़ में दबोचे गए कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई गैंग के चार शूटरों से की गिरफ्तारी के बाद पुलिस की सिरदर्दी बढ़ गई है। अब पुलिस, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, स्पेशल टास्क फोर्स, सर्विलांस टीम के साथ ही साइबर सेल की टीमें चंबल के बीहड़ में एलबी गैंग का नेटवर्क खंगाल रही हैं। एलबी गैंग के गिरफ्तार भूपेंद्र गुर्जर उर्फ थापा और प्रदीप शुक्ला उर्फ बाबा शुक्ला से पूछताछ में पुलिस के हाथ अहम जानकारियां लगी हैं। लॉरेंस बिश्नोई के खास रितिक बॉक्सर की इंस्टाग्राम पर रील देखकर दोनों गैंग के संपर्क में आए थे।

सिग्नल ऐप के जरिए एक जुट गैंग
सोशल मीडिया पर मैसेंजर के जरिए संपर्क में आने वाले लोगों को गैंग में शामिल कर रहा है। सिग्नल एप के जरिए ऐसे सभी युवाओं को गैंग से जोडऩे का कार्य किया जाता था, सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद से लॉरेंस बिश्नोई गैंग काफी चर्चित हो गया है। इसका सदस्य रितिक बॉक्सर सोशल मीडिया प्लेटफार्म से गैंग के लिए गुर्गे रिक्यूट करता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रितिक बॉक्सर सभी गुर्गों की परख करता है। उन्हें छोटे-छोटे टास्क दिए जाते हैं। उनके भरोसे पर खरा उतरने के बाद गैंग द्वारा उनको बड़ी जिम्मेदारी दी जाती थी।

वारदात के लिए करते थे युवा तैयार
गैंग के संपर्क में आने वाले युवाओं को मोटी रकम का लालच देकर बड़ी वारदात के लिए तैयार किया जाता है। इसके बाद कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई के आदेश पर रितिक बॉक्सर सभी गुर्गों को सिग्नल एप डाउनलोड कराता है। सिग्नल एप में नंबर और लोकेशन का पता नहीं चलता है। फिर, कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई के आदेश को सिग्नल एप के जरिए गैंग के एक्टिव शूटर्स और गुर्गों को सर्कुलेट किया जाता है। आगरा कमिश्नरेट पुलिस भी सिग्नल एप और इंस्टाग्राम समेत अन्य तमाम प्लेटफार्म पर जेल गए भूपेंद्र गुर्जर और प्रदीप शुक्ला से जुड़े हुए लॉरेंस बिश्नोई गैंग के नेटवर्क को खंगाल रही है।

वीडियो कॉल और चैटिंग से बातचीत
आगरा के जैतपुर में लॉरेंस बिश्नोई गैंग के चारों शूटर जब पुलिस की गिरफ्त में आए तो उनके मोबाइल में सिग्नल एप मिला। इसके जरिए लॉरेंस बिश्नोई गैंग के रितिक बॉक्सर के साथ ही अन्य तमाम गैंग के एक्टिव गुर्गे और शूटरों से उनकी वीडियो कॉल और चैटिंग से बातचीत हो रही थी।

पुलिस टीमों को दिए टास्क
लॉरेंस बिश्नोई गैंग के नेटवर्क को लेकर पुलिस के साथ साइबर सेल, सर्विलांस और अन्य टीमें लगी हुई हैं। सभी को अलग-अलग टास्क दिए गए हैं। जेल गए भूपेंद्र गुर्जर और प्रदीप शुक्ला के नेटवर्क से जुड़े लोगों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। दोनों से पूछताछ में मिले इनपुट की तस्दीक की जा रही है। इसके साथ ही इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रितिक बॉक्सर के साथ ही लॉरेंस बिश्नोई गैंग के तमाम अकाउंट हैं। उन सभी पर हमारी साइबर सेल नजर रखे हुए है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म से गैंग के नेटवर्क की छानबीन की जा रही है।

सिग्नल एप की सूचना से अलर्ट
28 जनवरी की रात लॉरेंस बिश्नोई के शूटरों ने जयपुर में होटल जी क्लब और उसके मालिक अक्षय गुरनानी पर फायरिंग की थी। इस वारदात से पहले ही बीकानेर पुलिस ने मुख्यालय को किसी बड़ी वारदात की जानकारी दी थी। क्योंकि, गैंग में शामिल एक शूटर 25 जनवरी को बीकानेर जेल से बाहर आया था। उसने दूसरे बंदी से बाहर निकलते ही बड़ा धमाका करने की बात कही थी। इस पर ही राजस्थान पुलिस मुख्यालय से अलर्ट भी जारी किया गया था। लेकिन, लॉरेंस बिश्नोई गैंग कहां वारदात करेगा, गैंग का निशाना कौन है, इसकी जानकारी नहीं होने के कारण जयपुर कमिश्नरेट पुलिस खतरा को भांप नहीं सकी। इसी वजह से गैंग के शूटरों ने बेखौफ होकर 28 जनवरी की रात को ताबड़तोड़ फायरिंग करके दहशत फैलाई थी।

ना चाहते हुए भी फंस जाते हैं युवा
कुछ बदमाशों ने बताया कि वारदात करने के लिए बड़ी रकम ऑफर की जाती है। काम हो जाने के बाद पूरा पैसा नहीं मिलता है। गैंग का काम करने का ऐसा तरीका है, जिसे बड़े-बड़े बिजनेसमैन अपनाते हैं। एक काम का पूरा पैसा नहीं देने से बदमाश गैंग छोड़ता नहीं है। गैंग में शामिल होने के बाद नए युवाओं को बड़े-बड़े सपने दिखाए जाते हैं, इसके बाद गैंग के बदमाश नए लड़कों को मौज-मस्ती के बहाने ले जाते हैं। वहां वारदात को अंजाम दे देते हैं। इससे यूथ फंस जाते हैं, जिन्हें मुकदमे और पुलिस का डर दिखाया जाता है। इससे ना चाहते हुए यूथ इनके गैंग का हिस्सा बन जाते हैं। इसके बाद चाहते हुए भी जुर्म के दलदल से बाहर नहीं निकल पाते हैं।