ये था जमाना

 कभी लोग 70 एमएम के दीवाने हुअ ा करते थे। ये दीवानगी नब्बे के दशक तक सिनेप्रेमियों के सिर चढ़कर रही.लेकिन, बदले वक्त और सीडी पायरेसी के जरिए कम रेट में लेटेस्ट मूवी की उपलब्धता ने लोगों की दूरी बड़ी स्क्रीन से कर दी। वहीं, बाकी की कसर सिटी के मॉल्स ने पूरी कर दी। अब लोग सिनेमाघरों में फिल्में देखने के लिए कम ही जाते है। इसी का नतीजा है कि बीते कुछ सालों में ताज सिटी की सीमा के अंदर से तकरीबन दो दर्जन सिनेमा हॉल बंद हो गए।

सबसे पहले हींग की मंडी में
कल्चरल एक्टिविस्ट और इप्टा से जुड़े जितेंद्र रघुवंशी के मुताबिक आगरा में सबसे पहला सिनेमा हॉल हींग की मंडी एरिया में स्टार्ट हुआ। यहां पूर्व एमपी निहाल सिंह जैन के ग्रांड फादर ने 1920 के दशक में कल्चरल एक्टिविटीज के लिए एक बड़ा हॉल बनवाया था। इसमें एक शानदार स्टेज हुआ करती थी। जिस पर उस जमाने में कल्चरल एक्टिविटीज होती थी। 1923-24 में आगरा के लोगों को बिजली मिल गई थी। इस सुविधा के चलते 1927 के दौरान इसी हॉल में सिनेमा स्टार्ट कर दिया गया।
सूर्या में मर्द हुई थी हिट
बात उन दिनों की है जब अमिताभ बच्चन की मर्द रिलीज हुई थी। आज भले ही सूर्या टॉकीज जमीदोंज हो गया है। लेकिन, मर्द फिल्म ने इसी सूर्या टॉकीज के रुपहले पर्दे पर लम्बे टाइम तक कब्जा कर रखा था। दर्शकों को फिल्म ऐसी पसंद आई कि यह सूर्या सिनेमाघर में गोल्डन जुबली हुई थी। तब यह खबर भी बहुत तेजी से फैली थी कि गोल्डल जुबली का जश्न मनाया जाने वाला है। खुशी में शरीक होने खुद मर्द के नायक अमिताभ बच्चन शामिल होंगे। लेकिन, बाद में ऐसे किसी प्रोग्राम का आयोजन नहीं हुआ था.वहीं, श्री टॉकीज में दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे (डीडीएलजे) ने भी एक रिकॉर्ड बनाया था। इसी टॉकीज में करन-अर्जुन ने भी दर्शकों को काफी लम्बे टाइम तक अपनी ओर खींच कर रखा था।

 मेहर होता था मैटकॉफ
कैंट एरिया से सटा हुआ सिनेमाघर मेहर का भी अपने टाइम में खासा क्रेज था। अंग्रेज इस हॉल में मूवी देखने के लिए काफी आते थे। मेहर से पहले इस टॉकीज का नाम मैटकॉफ हुआ करता था।

अलका हुआ कैलाश
तकरीबन चालीस साल पुराना ताजगंज एरिया का सिनेमा घर अलका बाद में कैलाश नाम से पुकारा जाने लगा। पुरानी मंडी, फतेहाबाद रोड, विभव नगर की रिहायश से नजदीक होने की वजह से आज भी इस सिनेमाघर में फिल्मे चलती हैैं।
 
पहली बोलती फिल्म
बेलनगंज पथवारी एरिया स्थित महालक्ष्मी टॉकीज में पहली बोलती फिल्म आलमआरा रिलीज हुई थी। इस दौर में इस फिल्म को देखने वालों की खासी भीड़ जुटा करती थी। इसके बाद ही आगरा में बोलती फिल्में रिलीज होना स्टार्ट हुईं।