आगरा(ब्यूरो)। उद्घाटन सत्र में दिल्ली के आर्किटेक्ट चरणजीत शाह ने कहा कि नवीन भारत और समृद्ध भारत के निर्माण में आर्किटेक्ट्स के साथ-साथ नागरिकों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। आर्किटेक्ट्स को चाहिए कि वे भवन के डिजाइंस इस तरह बनाएं कि उसमें स्थानीय संस्कृति और विरासत का समावेश हो। हर खास-ओ-आम को सुख, सुकून और मानसिक शांति मिले। वह शहर और पर्यावरण के हित में हो। जल, वायु और ध्वनि तीनों महत्वपूर्ण बेसिक एलिमेंट्स कम से कम डिस्टर्ब हों। उन्होंने कहा कि आगरा, जयपुर और दिल्ली के त्रिकोण में भारतीय संस्कृति और वास्तु कला के विविध आयाम उपलब्ध हैं। इनसे हम लोग झीलों, स्टेपवेल और बावली बनाकर शुद्ध वर्षा जल को संरक्षण करना सीख सकते हैं ताकि पानी की समस्या का समाधान हो सके।

एआई के जरिए बना सकते हैैं क्रिएटिव डिजाइन
चीफ गेस्ट काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के प्रेसिडेंट अभय विनायक पुरोहित ने चीफ गेस्ट कहा कि शाइनिंग इंडिया के लिए 40 लाख आर्किटेक्ट्स की जरूरत है, जबकि मात्र 1.6 लाख ही आर्किटेक्ट्स उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव की रचनात्मक क्षमताओं का विकल्प कभी साबित नहीं हो सकता क्योंकि सृजनात्मक और कलात्मक क्षमताओं के विकास के लिए मानवीय मस्तिष्क के दाएं और बाएं भाग का संतुलित होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नई तकनीक के रूप में एआई का उपयोग करके आर्किटेक्ट्स क्रिएटिव डिजाइंस को विस्तार प्रदान कर सकते हैं। स्पेशल गेस्ट आर्किटेक्ट क्रिस्टोफर बैनेगर ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता के बाद भारत की वैश्विक शक्ति और लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। ऐसे में आर्किटेक्ट्स को भी इस वैश्विक अवसर का लाभ उठाते हुए निरंतर शहरीकरण की ओर अग्रसर नए भारत में अपनी सोच, डिजाइंस और स्थापत्य कला के माध्यम से नकारात्मक भावनाओं को भारत की सीमाओं से बाहर फेंक देना चाहिए।

टेक्निकल सेशन में मुंबई से आए आर्किटेक्ट दंपति केतन जावड़ेकर और कविता जावड़ेकर ने आर्किटेक्ट्स के स्टूडेंट्स के साथ एक्सपेरिमेंटल वर्कशॉप में बैक टू बेसिक्स यानी मूल की ओर लौटें विषय पर इंटरेक्ट करते हुए समझाया कि रोजमर्रा की जिंदगी में सामान्य दृश्य को एक आर्किटेक्ट के रूप में विशेष दृष्टि के साथ देखकर उनका इस्तेमाल अपनी डिजाइंस में आउट ऑफ द बॉक्स की सोच के साथ करना चाहिए।
ओरोविल की आर्किटेक्ट तेजस्विनी मिस्त्री कपूर ने ओरोविल में सस्टेनेबल प्रेक्टिस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि वेस्ट को भी वेस्ट न जाने दें। वेस्ट का री-यूज करें। ओरोविल की तरह आगरा और अन्य जगहों पर भी सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दें। लखनऊ से आए गौरव गुप्ता ने सस्टेनेबल आर्किटेक्चर इन हॉस्पिटैलिटी विषय पर बोलते हुए आगरा को ध्यान में रखकर कहा कि आर्किटेक्ट्स ग्राहकों की जेब, जरूरत और शहर के हित के साथ विरासत को ध्यान में रखते हुए इस तरह के डिजाइंस बनाएं कि आगरा में च्यूरोपच् नहीं ब्रज की खुशबू का प्रसार हो और उसमें सुलहकुल और इतिहास की आत्मा नजर आए। इससे पूर्व आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन आगरा के प्रेसिडेंट समीर गुप्ता विभव ने स्वागत उद्बोधन दिया और आर्किटेक्चर लैगेसी के लिए आर्किटेक्ट स्वर्गीय पीएल शर्मा को याद करते हुए उनके सुपुत्र आर्किटेक्ट स्वर्गीय वीपीशर्मा का भी भावपूर्ण स्मरण किया।


यह रहे मौजूद
इस दौरान मंच पर सचिव अमित जुनेजा, उपाध्यक्ष येशवीर सिंह, संरक्षक सुनील चतुर्वेदी, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंटीरियर डिजाइन (यूपी चैप्टर) के अध्यक्ष विशाल जैन और संदीप सारस्वत भी मौजूद रहे। काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व अध्यक्ष विजय गर्ग और सुप्रसिद्ध आर्किटेक्ट चरणजीत शाह ने फीता काटकर अब तक की सबसे बड़ी ऐतिहासिक बिल्डिंग मैटेरियल प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। सिद्धार्थ शर्मा, अनुराग खंडेलवाल, अमित बघेल, आकाश गोयल, अजय शर्मा, अवंतिका शर्मा, अनुभव दीक्षित, प्रीतम सिंह, अनुज सारस्वत और जसप्रीत सिंह ने सभी का स्वागत किया।