सर्वे की सौंपी रिपोर्ट
संस्था के प्रतिनिधिमंडल ने अपने अभियान 'पानी की खोजÓ में किए गए सर्वे की रिपोर्ट गुरुवार को सांसद राजकुमार चाहर को सौंपी। सोसायटी ने जगनेर की 37 बंधियों का सर्वे किया है। सोसायटी के सचिव अनिल शर्मा ने बताया कि जगनेर की बंधियों का पानी यदि 15 अक्टूबर को एक साथ छोडऩे की योजना पर अमल हो सके तो उटंगन नदी में दो-तीन स्थानों पर बांधों के रूप में रोकना संभव हो सकेगा। इससे फतेहाबाद व शमसाबाद क्षेत्र के लोग लाभान्वित होंगे। लगभग चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र के जलाशयों से छोड़ा गया पानी जगनेर से उटंगन नदी में पहुंचेगा तो उसे फतेहाबाद व शमसाबाद के जलाशयों के साथ अरनेटा व रेहावली के बीच के खादर क्षेत्र में संग्रहीत किया जा सकेगा। इसे नियंत्रित रूप से छोड़े जाने पर बटेश्वर के घाटों को भी भरपूर पानी मिल सकेगा। सांसद चाहर ने कहा कि ङ्क्षसचाई विभाग के रोस्टर के अनुसार इन बंधियों के गेटों को 15 जून को गिराने व मानसून के बाद 15 अक्टूबर को उठाने की व्यवस्था वर्तमान में प्रभावी नहीं है। वह बंधियों के स्ट्रक्चर में सुधार व जल नियंत्रण के लिए सेल्यूस गेट या रेग्यूलेटर की तकनीकी खामियों को दूर कराकर उन्हें संचालन की स्थिति में लाने का प्रयास करेंगे। प्रतिनिधिमंडल में सोसायटी के सचिव अनिल शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना, असलम सलीमी, निहाल ङ्क्षसह भोले शामिल थे।राजस्थान में नहीं सहेज सकते पानी
खेरागढ़ की बंधियां चंबल व उटंगन नदी के बीच के क्षेत्र में हैं। राजस्थान के टेल पर स्थित कोट बांध के डिस्चार्ज से इनकी शृंखला शुरू होती है। किवाड़ नदी व क्षेत्र के रेग्यूलर वाटर चैनलों के माध्यम से इनमें भरपूर पानी पहुंचता है। करौली व सवाई माधोपुर के पहाड़ी क्षेत्र में मानसून काल में भरपूर बरसात होती है, जिसे राजस्थान में सहेज कर रखना संभव नहीं है।