आगरा(ब्यूरो)। नीति आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत के कई शहरों में जल संकट गहराता जा रहा है। आने वाले समय में उसके और विकराल रूप लेने के आसार हैं। रिपोर्ट के अनुसार जहां 2030 तक देश की लगभग 40 फीसदी आबादी के लिए जल उपलब्ध नहीं होगा। बायोडायवर्सिटी और पर्यावरण पर काम करने वाले डॉ। केपी सिंह बताते हैैं कि आगरा में 1990 तक भरपूर पानी रहता था। तीन दशक पहले जिन नदियों में बाढ़ आती थी, आज उनका धीरे-धीरे पानी की कमी से सूखना शुरू हो गया है।
यमुना में गिर रहे नाले
आगरा में यमुना नदी नगला अकोस से प्रवेश करती है। पास में ही यमुना के पानी से निर्मित कीठम झील है। यह झील वन्य जीवों की बहुत बडी शरणस्थली है। आगरा शहर से आगे यमुना के एक ओर फिरोजाबाद जिला और दूसरी ओर फतेहाबाद तहसील स्थित है। बटेश्वर होते हुए आगरा से इटावा की ओर निकल जाती है। यमुना में आज भी 92 नालों में से 61 का पानी सीधे यमुना नदी में गिरता है। आगरा में यमुना बारिश के मौसम में तो साफ हो जाती है। अन्यथा यह नाले के पानी पर ही जीवित रहती है।
चंबल नदी
चंबल नदी मध्य प्रदेश की विध्यांचल पर्वत श्रृंखला में जानापाव पहाड़ी से शुरू होती है। इसकी कुल लंबाई 1024 किलोमीटर है। यह नदी आगरा के बाह पिनाहट होते हुए इटावा के पचनदा में यमुना में विलीन हो जाती है। चंबल डाल परियोजना द्वारा बाह के बहुत बड़े क्षेत्रफल की कृषि भूमि की सिंचाई होती है।
किवाड़ नदी
आगरा के तांतपुर- जगनेर में किवाड़ नदी सोनी खेरा से निकल लगभग 14 किलोमीटर राजस्थान धौलपुर की डांग में बहने के बाद वापस आगरा में जगनेर के पास देवरी में दोबारा उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करती हुई उटंगन नदी में मिलती है। वर्तमान में केवल बारिश के दिनों में छोटे से नाले के स्वरूप में दिखती है।
करबन नदी
यह बुलंदशहर की खुर्जा तहसील से अलीगढ़, हाथरस होते हुए आगरा की एत्मादपुर तहसील में आगरा-फिरोजाबाद रोड को पार कर झरना नाला के नाम से यमुना नदी में गिरती है। केवल बरसात के दिनों में इसमें पानी दिखता है और गर्मी के मौसम में यह सूखी रहती है।
खारी नदी
फतेहपुर सीकरी के तेरह मोरी बांध से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी तय करके मलपुरा, सैयां, इरादतनगर होते हुए बाह फतेहाबाद रोड पर अरनौटा के पास उटंगन नदी में मिलती है। बारिश के मौसम में बांध वाली जगहों पर कुछ दिनों तक तो पानी दिखता है।
उटंगन नदी
यह राजस्थान में गंभीर नदी के नाम जानी जाती है। उत्तर प्रदेश के आगरा में इसे उटंगन नदी के नाम से भी जाना जाता है। यह राजस्थान में करौली के पास हिंडौन की अरावली की पहाडिय़ों से बहती हुई यूपी और राजस्थान के बीच सीमा बनाती है। यूपी में आगरा में खेरागढ़ व फतेहाबाद होते हुए यमुना नदी में मिलती है। यह केवला देव घना बर्ड सेंचुरी व भरतपुर के लिए पानी की आपूर्ति करती है। यह केवल बरसात के मौसम में ही बहती है। अन्य दिनों में यह सूखी रहती है।
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तालाब भी सूख रहे
डॉ। केपी सिंह ने बताया कि नदियों को बचाने के लिए राष्ट्रीय नदी आयोग बनाकर नदियों की सरंक्षण नीति तैयार करनी चाहिए। आगरा की नदियों पर शोध कार्य को बढ़ावा मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि आगरा जिले के 3687 तालाबों में से केवल 166 तालाबों तक ही नहरों का पानी पहुंच रहा है। तालाबों तक नदियों का पानी नहरों के माध्यम से पहुंचना चाहिए।
यमुना नदी में आगरा में नाले गिर रहे हैैं। सालभर नदी में पानी नहीं रहता है। इसे सरंक्षण की जरुरत है। इस ओर जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए।
- डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य, पर्यावरण एक्टिविस्ट
1990 तक जिन नदियों में बाढ़ आती थी, आज उनका धीरे-धीरे पानी की कमी से सूखना शुरू हो गया है। यह पूरी मानवजाति के लिए चिंताजनक है।
- डॉ। केपी सिंह, पर्यावरणविद्