आगरा(ब्यूरो)। अबूउल्लाह दरगाह ; पूछताछ पर पहचान बताने पर किया इंकार
नेशनल हाईवे से सटे अबूउल्लाह दरगाह के मैदान पिछले कई दशकों से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले कभी आसपास के घरों से खाना मांगकर अपने परिवार को चलाते थे लेकिन वर्तमान में कबाड़ का कार्य करते हैं। इससे होने वाली कमाई से परिवार का पालन पोषण करते हैं। जब इस संबंध में उनसे बात की गई कि वे कहां से आए हैं और उनके पास पहचानपत्र हैं या नहीं, पूछने पर अनसुनी करते नजर आए। जबकि अन्य ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।
केस2
छह साल के भीतर संख्या में इजाफा
जगदीशपुरा क्षेत्र के आवास विकास सेक्टर 2 में पांच साल से संदिग्ध खुले मैदान में रह रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद के राहुल तिवारी ने बताया कि पिछले पांच साल पहले मात्र दो परिवार खुले मैदान मेें रहते थे, लेकिन वर्तमान में दर्जनों परिवार रह रहे हैं, इन सभी के पास किसी प्रकार का कोई पहचान पत्र नहीं है, अगर, पुलिस इस मामले की जांच करे तो पता चल सकता है कि आखिर ये लोग मूल रूप से कहां के रहने वाले हैं।
केस3
ये खुद को बताते हैं भारतीय
खंदारी चौराहे पर पिछले कई दशकों एक दो परिवार ही झुग्गी-झोंपड़ी में रहते थे, लेकिन वर्तमान में दर्जनों परिवार रहते हैं। पूछताछ पर ये खुद को भारतीय नागरिक बताते हैं, लेकिन किसी प्रकार का कोई पहचान पत्र नहीं हैं। लोहे के उपकरणों को बनाकर बेचना और र्ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। हालांकि कुछ दूरी पर पुलिस चौकी भी बनी है, लेकिन आज तक किसी ने इनसे कोई आईडी नहीं मांगी। कुछ दूरी पर खंदारी कैंपस के पीछे झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले खुद को राजस्थान का रहने वाला बताते हैं। हालांकि किसी प्रकार का कोई साक्ष्य उनके पास नहीं है।
हिंदी जानते हैं, बात करने का तरीका अलग
बांग्लादेश के रहने वाले लोग हिंदी जानते हैं लेकिन उनके बात करने का लहजा थोड़ा अलग तरह का होता है। ये टीवी और फिल्मों के जरिए हिंदी को अच्छे से सीखते हैं, ताकि वो स्थानीय ही नजर आएं। पुलिस के अनुसार बांग्लादेशियों को जो भी एजेंट घुसपैठ कराता है, वह बता देता है किस शहर में कहां जाना है। एजेंट को पता रहता कि किस शहर में कहां-कहां बांग्लादेशियों की बस्तियां है और लगभग सभी कबाड़ बीनने का ही काम करते हैं और जो लोग पढ़े लिखे हैं वह किसी कंपनी या हॉस्पिटल जैसी जगहों पर काम करना शुरू कर देते हैं।
कुर्बान शेख के पकड़े जाने पर खुला राज
आईबी की सूचना पर बांग्लादेशियों की धरपकड़ की जो बड़ी कार्रवाई हुई है, उसमें ये जानकारी सामने आई है ये साल 2019 में मथुरा में पकड़ा गया कुर्बान शेख साल 2015 में पहली बार भारत आया था और नई बस्ती मथुरा में रहने लगा था वहीं उसने आधार कार्ड बनवाया और साल 2019 में पुलिस ने जेल भेज दिया था। बांग्लादेश में भयंकर बेरोजगारी है इसलिए दोबारा घुसपैठ करके फिर से आगरा आ गया।
शहर में पुलिस टीम ने 200 से अधिक लोगों को चिन्हित किया है, अभियान चलाकर इन पर शिकंजा कसने की तैयारी है। इस संबंध में पुलिस की टीमें जानकारी जुटाने का कार्य कर रही है।
विकास कुमार, डीसीपी