आगरा। डॉ। शेखर ने कहा कि डायबिटीज रोगियों को अपनी कोलेस्ट्रॉल और बीपी ठीक रखने के साथ किसी भी रूप में तंबाकू के सेवन से बचना चाहिए। डायबिटीज के साथ तंबाकू का सेवन समस्या को खतरनाक स्थिति में पहुंचा सकता है। समस्या का प्रारंभिक स्थिति में पता चल जाए तो एंटी कोलेस्ट्रोल व अन्य दवाओं से बीमारी को ठीक किया जा सकता है। अन्यथा रुकावट वाले स्थान पर सर्जरी या स्टंट डालने की नौबत आ सकती है। वर्कशॉप में शुक्रवार को 60 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए व वैरिकोज वेन्स, डायलिसिस के मरीजों के लिए बनाया जाने वाले एवी फिस्टुला, एरोटिक एनेयुरिज्म, डीप वेन थ्रोमबोसिस, डायबिटिक फुट अल्सर जैसे विषयों पर लेक्चर हुए।
13 सर्जन से शुरु हुई थी सोसायटी
1994 में 13 सर्जन के साथ गठित हुई द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया आज 750 वैस्कुलर सर्जन के साथ वटवृक्ष बन चुकी है। एमसीएच और डीएनबी डिग्री के लिए 26 इंस्टीट्यूट फुल टाइम ट्रेनिंग दे रहे हैं। यह गर्व की बात है कि आज हमारे देश के वैस्कुलर सर्जन विश्वस्तर पर पहचान बना रहे हैं। द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित विसकोन 2022 के उद्घाटन अवसर पर चीफ गेस्ट व नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के अध्यक्ष प्रो। अभिजात सेठ ने कही। इस मौके पर 1994 में प्रारंभ की गई सोसायटी के 13 संस्थापक सदस्यों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के सचिव डॉ। तपिश साहू ने किया।
यह रहे मौजूद
मंचासीन अतिथियों में विशिष्ठ अतिथि अभिनेता नवाब शाह, अभिनेत्री पूजा बत्रा, सोसायटी के अध्यक्ष डॉ। उन्नी कृष्णन, सचिव विजय ठाकुर, आयोजन समिति के अध्यक्ष वीएस वेदी, सचिव तपिश साहू थे इस अवसर पर उपाध्यक्ष डॉ। संदीप अग्रवाल, प्रसीडेन्ट इलेक्ट डॉ। पीसी गुप्ता, कोषाध्यक्ष डॉ। अपूर्व श्रीवास्तव, मायो क्लीनिक की डॉ। मंजू कालरा, यूके डान कैस्टर से डॉ। नन्दन हल्दीपुर, यूके से डॉ। रघु लक्ष्मी नारायण, मस्कट से डॉ। एडविन स्टीफन, डॉ। केआर सुरेश, डॉ। रघु लक्ष्मी नारायण, डॉ। सात्विक, डॉ। आशुतोष पांडे आदि उपस्थित रहे।
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एम्स में भी नहीं वैस्कुलर सर्जरी की सुविधा
वैस्कुलर सर्जन की कमी के कारण एम्स में भी वैस्कुलर सर्जरी की सुविधा नहीं है। भारत की आबादी को देखते हुए 2-3 लाख वैस्कुलर सर्जन की जरूरत है, लेकिन देश भर में सिर्फ 750 वैस्कुलर सर्जन है।
-डॉ। तपिश साहू, सचिव, आयोजन समिति
कारगिल युद्ध के दौरान 1600 जवानों का इलाज किया। जिसमें 34 जवानों की वैस्कुलर सर्जनी करनी पड़ी थी। सिर्फ एक जवान का पैर काटने के अलावा सभी 33 जवानों को ठीक किया गया। हार्ट अटैक होने के बाद का एक घंटा, ब्रेन स्ट्रोक के बाद 3 घंटा और पैर में अटैक होने के बाद के 6 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
- डॉ। मुकुद रॉय