आगरा (ब्यूरो)। तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट की खबर ने हर किसी को हिलाकर रख दिया है। मंदिर प्रशासन 320 रुपए किग्रा में देसी घी खरीद रहा था। इसके बाद, देसी घी को लेकर नई बहस छिड़ गई। आखिर इतना सस्ता घी बाजार में कहां से आ रहा है। अगर सही तरीके से देसी घी को तैयार किया जाए तो एक किग्रा घी की लागत एक हजार रुपए आएगी। इसके उलट बाजार में 400 से लेकर 850 रुपए में घी बिक रहा है। आगरा और मथुरा की नामचीन गोशालाओं में शुद्ध देसी घी दो हजार रुपए किलो मिलता है।
ये घी तैयार करने की पूरी कैलकुलेशन
एक लीटर दूध में 50 से 60 ग्राम घी बनता है। भैंस के एक लीटर दूध में छह से साढ़े छह प्रतिशत तक फैट होता है। गाय के दूध में यह चार प्रतिशत तक होता है। सामान्य तौर पर बाजार में दूध 55 से 60 रुपए लीटर में बिक रहा है। करीब 16 लीटर दूध से एक किग्रा देसी घी बनता है। यानी एक किलो शुद्ध घी बनाने में लगने वाले दूध की ही कुल लागत 960 रुपए होगी। अन्य खर्च में 40 रुपए जुड़ेंगे। इस तरह से एक किग्रा घी को बनाने में एक हजार रुपए खर्च होंगे। अगर प्रति लीटर दूध की कीमत को कम कर लिया जाए तो लागत भले ही कम हो जाए लेकिन इससे शुद्धता बिगड़ सकती है। इसके विपरीत मिलावटी घी को बनाने में लागत 200 से 350 रुपए आती है। इसमें पाम आयल आसानी से 100 से 150 रुपए लीटर में मिल जाता है। विभिन्न ब्रांड का तेल भी मिलाया जाता है। मिलावटी घी में देसी घी का तड़का लगाया जाता है। ऊपरी हिस्से में शुद्ध देसी घी रहता है। सुगंध के लिए सेंट मिलाया जाता है।
पाम ऑयल का अधिक यूज
खेरागढ़, फतेहाबाद, एत्मादपुर सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह बना देसी घी 500 से 600 रुपए प्रति किग्रा में बिक रहा है। अगर पूजा वाले घी की बात की जाए तो दीप, तो कुछ ऐसे ब्रांड है, जिसका घी सबसे अधिक बिक रहा है। इसकी कीमत 300 से 450 रुपए प्रति लीटर है। इस घी को बनाने में 200 से 250 रुपए की लागत आती है। इसमें सबसे अधिक पाम आयल का प्रयोग किया जाता है। सहायक आयुक्त खाद्य शशांक त्रिपाठी का कहना है कि मिलावटी घी पर अंकुश लगाने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं। नियमित अंतराल में डेयरी सहित अन्य की जांच की जाती है।