आगरा: घटना 24 मार्च 2011 की है। एत्मादपुर निवासी भूरी ङ्क्षसह ने अपनी तीन माह की गर्भवती पत्नी मनीषा को पेट में दर्द होने पर को ट्रांस यमुना कॉलोनी स्थित मां शृंगार अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल संचालक केपी (कुमर पाल) ङ्क्षसह ने पत्नी का गर्भपात कराने की सलाह दी, जिसमें 2500 रुपए का खर्च बताया। रुपए जमा कराने के बाद उसकी रसीद नहीं दी। मनीषा का गर्भपात कर दिया। आरोपी ने इलाज में घोर लापरवाही बरती, इससे मनीषा के गर्भाशय समेत अन्य अंदरूनी अंगों को काफी नुकसान पहुंचा।
तथ्यों को छिपाने का आरोप
भूरी ङ्क्षसह का आरोप है कि अस्पताल संचालक ने तथ्यों को छिपा उससे कागजात पर हस्ताक्षर करा लिए, इसके बाद उसे व पत्नी को अस्पताल से बाहर निकाल दिया। पत्नी की हालत बिगडऩे पर अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि उसका गर्भाशय नष्ट कर दिया था। भूरी ङ्क्षसह ने मनीषा को गंभीर हालत में एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। यहां इलाज के दौरान मनीषा की मौत हो गई। भूरी ङ्क्षसह ने 29 मार्च को डीएम को तहरीर दी थी। पीडि़त की तहरीर पर एत्माद्दौला थाने में 20 अप्रैल 2011 को धारा धारा 313, 308 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। मुकदमे के विचारण के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता रूपेश गोस्वामी ने वादी सहित छह गवाह अदालत में पेश किए। साक्ष्यों के आधार पर अपर जिला जज रनवीर ङ्क्षसह ने अस्पताल संचालक डॉक्टर केपी ङ्क्षसह निवासी गांव मनापुर थाना डिबाई जिला बुलंदशहर को दस वर्ष सश्रम कारावास और 41000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
अदालत ने डीएम को दिए दिशा-निर्देश
अदालत ने फैसले की एक प्रति डीएम को भी प्रेषित की है, जिससे कि वह प्राइवेट नर्सिंग होम एवं हास्पीटल के लाइसेंस के पंजीकरण के निर्धारित सभी नियम व शर्तों का कड़ाई से अनुपालन कराएं। प्रशिक्षित एवं अनुभवी टीम से निगरानी कराया जाना सुनिश्चित करें।