VRINDAVAN (8 April): श्रीराधा कृष्ण की चिन्मय क्रीड़ा भूमि एक बार फिर साम्प्रदायिक सद्भाव की मिशाल पेश कर रही है। जहां एक ओर जुमे की नमाज में कुरान की आयतें पढ़ी जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर दुर्गा सप्तशती के मंत्र अनुगूंजित हो रहे है।
पथवारी मंदिर के पास मस्जिद
ऐसा अंनूठा नजारा शहर के बीचों-बीच स्थित मां पथवारी देवी मंदिर और शाही जामा मस्जिद पर देखने को मिल रहा है। जोकि एक ही दीवार पर निर्मित है। एक ओर जहां भारतवर्ष में इन दिनों भारत माता की जय और राष्ट्रवाद को लेकर एक नई बहस छिड़ी हुई है। धर्म और मजहब के नाम पर राजनीतिक दलों के साथ साथ कुछ फिकरापरस्त ताकतें एक दूसरे को कोसने में लगी हुई है। एक दूसरे को खुलेआम चैलेंज दिए जा किए जा रहे हैं। जिससे देशभर में एक अजीब सा माहौल बना हुआ है। किसी अंजाने डर के साये में जी रहे तमाम देशवासियों के लिए कान्हा की नगरी एक बार फिर साम्प्रदायिक सद्भाव की अंनूठी मिशाल कायम करती दिखाई दे रही है। कृष्ण की भूमि से उठे प्रेम के संदेश का ही कमाल है, जहां सम्राट अकबर ने भी इस भक्ति को नमन किया।
मजहब से ऊपर कृष्ण भक्ति
धर्म और मजहब से उपर उठकर रसखान ने भी कृष्ण की भक्ति को स्वीकारा तो आक्रांता के रूप में प्रचलित हुए औरंगजेब को भी इस भूमि में भक्ति का चमत्कार देखने को मिला। इस पवित्र भूमि का ही कमाल है कि यहां एक ही दीवार सारी मजहबी दीवारों को आईना दिखा रही हैं। उसी दीवार पर मंदिर बना है और उसी पर मस्जिद सैकड़ों वर्षो से साम्प्रदायिक सद्भाव का यह नजारा लोगों को जिंदा दिल बनाये हुए है। बताया जाता है कि प्राचीन पथवारी देवी मंदिर का इतिहास करीब दो सौ वर्ष पुराना है। पूर्व में एक कच्चे मकान में मां देवी की आराधना होती थी, लेकिन मस्जिद तब भी कायम थी। शाही जामा मस्जिद के अध्यक्ष आजाद कुरैशी बताते है, कि यह मस्जिद करीब तीन सौ वर्ष पुरानी है। जोकि तत्कालीन बादशाह ने बनवाई थी। उन्होंने बताया कि मस्जिद और मंदिर दोनों एक ही दीवार पर टिके हुए है। करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व अलीगढ़ के तत्कालीन नवाब ने मस्जिद का जीर्णोद्धार कराया था।
इस्लाम देता भाईचारे का संदेश
मुस्तफा आलम, उस्मान कुरैशी, बसीम, शाहरुख खान, समीर खान, मौहम्मद रहीश कुरैशी, चांद मौहम्मद का कहना है, कि इस्लाम धर्म में कही नहीं कहा गया है कि धर्म और मजहब के नाम पर एक दूसरे के खून के प्यासे हो। इस्लाम भाईचारे का संदेश देता है। इसी दौरान मंदिर भी बना था। मां पथवारी देवी मंदिर के सेवायत गोपालकृष्ण शर्मा बताते हैं, कि करीब सात दशक से उनके पूर्वजों द्वारा मां पथवारी की आराधना अनवरत रूप से की जा रही है। इससे पूर्व एक देवी भक्त साधु ने मां पथवारी स्थापना की थी। मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य भी समय समय पर चलता रहता है। उन्होंने बताया कि सबसे खास बात यह है कि एक ही सबमर्सिबल बोरिंग से मंदिर और मस्जिद में जलापूर्ति होती है ना तो कभी पानी को लेकर ना ही कभी दीवार को लेकर कोई विवाद हुआ है।
पर्व मनाने की होती है खुशी
इसके अलावा हिन्दु धर्म के सभी पर्वो पर मुस्लिम समुदाय के लोग भी पूरी खुशी के साथ शिरकत करते है। होली, ईद सभी पर्व भाईचारे के साथ मनाये जाते हैं। जहां देश में धर्म और मजहब के नाम पर भाषाई जहर उगलने का काम किया जा रहा है। वहीं कान्हा की नगरी में जुमे की नमाज पर कुरान की आयतें और दुर्गा सप्तशती के मंत्र एक साथ अनुगूंजित होकर पूरे विश्व को भाईचारे का संदेश दे रहे है।