कब मिलेगा अपना मकान
रंजीत चौहान भी उन्हीं में से एक हैैं, जिनका घर विशंभरनाथ धर्मशाला की बेसमेंट की खोदाई के कारण ढह गया है। वह और उनकी पत्नी बोल नहीं सकते(गूंगे) हैैं। रंजीत पहले चाय की दुकान पर काम करते थे। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपना साउंड स्पीकर का काम शुरू किया था। घर में खुशियां आई ही थीं कि इस हादसे ने सब कुछ बिखेर दिया। अब रंजीत और उनकी पत्नी को चिंता है कि उन्हें उनका घर कब मिलेगा और किस स्थिति में मिलेगा। यह बातें रंजीत से धर्मशाला में मिलने आई बहन दीपिका तोमर ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम से कहीं। दीपिका ने कहा कि सुनने में आ रहा है कि टूटे हुए मकानों को तोड़ा जाएगा। इस स्थिति में उन्हें चिंता है कि जब घर टूट जाएगा तो बनेगा कैसे? क्या इसे सरकार बनवाएगी और कब तक बनवाएगी? उनके भाई और भाभी को कब तक मकान मिल पाएगा। वह कब तक उधार का आश्रय लेंगे? यदि सरकार ने घर नहीं बनवाया तो उनका भाई कैसे मकान बनवा पाएगा? दीपिका जैसे अन्य परिवारों के लोगों के मन में भी यह सवाल बार-बार कौंध रहा है।

मंजू देवी ने बताया कि उनका घर टूटा नहीं है, लेकिन एहतियातन उनके मकान को असुरक्षित घोषित कर दिया है। इस कारण वह अपने परिवार के छह सदस्यों के साथ में जीवनीमंडी स्थित आश्रय स्थल में आ गई हैैं। उन्होंने कहा कि अपनी बहू-बेटे व उनके बच्चों के साथ वह यहीं पर रह रही हैैं। मंजू ने कहा कि यहां पर व्यवस्थाएं दुरुस्त हैैं। रहने के लिए कमरा और बिस्तर भी मिल गया है। खाने के लिए खाना भी मिल रहा है। लेकिन हमें अपने घर की चिंता सता रही हैैं। हम ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैैं कि हम जल्दी अपने घर में पहुंच जाएं।

चल नहीं सकता, घर की आ रही याद
आश्रय स्थल में शरण लिए रह रहे 72 वर्षीय बुजुर्ग हरिमोहन ने बताया कि उनके दोनों पैर खराब हैैं। वह चल नहीं सकते हैैं। उनका उपचार भी चल रहा है। टीला माईथान में हुई घटना के कारण उनके मकान में भी दरार आई है। अब वह यहां पर आ गए हैैं। उन्होंने कहा कि अपने घर पर मेरे जैसे बीमार को ज्यादा सुविधाएं थीं। अब यहां पर हमें जैसे-तैसे मैनेज करना पड़ रहा है।


मेरे दोनों पैर खराब हैैं। इस स्थिति में मुझे अपना घर छोड़कर यहां आना पड़ा है। जब खोदाई हो रही थी। तब कोई शिकायत करने को एकजुट नहीं हुआ और हादसा हो गया।
- हरिमोहन, पीडि़त

मेरे घर में दरार आ गई है। मेरा मकान टूटे हुए मकानों के बराबर में ही है। मकान असुरक्षित घोषित होने के बाद मैैं अपने परिवार के नौ सदस्यों के साथ शेल्टर होम में आ गया हूं।
- कृष्णा, पीडि़त

हमारे मकान को असुरक्षित घोषित कर दिया है। इस कारण मैैं और मेरे भाई परिवार के सदस्यों के साथ आश्रय स्थल को देखने आए हैैं। अब यहीं पर शिफ्ट हो रहे हैैं।
- अरविंद शर्मा, पीडि़त

शेल्टर होम में आठ परिवार आकर रह रहे हैैं। सभी के लिए रहने व खाने की व्यवस्था की जा रही है। हम लोग उन्हें सभी सुविधाओं का ध्यान रख रहे हैैं।
- अरविंद बाबू, केयरटेकर, जीवनीमंडी आश्रय स्थल