आगरा(ब्यूरो)। जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र की डायटिशियन ललितेश शर्मा ने बताया कि बच्चे या वयस्क किसी को भी ग्लूटेन डिसऑर्डर हो सकता है। इसे सिलिएक रोग भी कहा जाता है। यह रोग 100 में से दो लोगों को होता है। यह रोग होने पर आंतों में छोटे-छोटे घाव हो जाते हैं। इसके कारण खाना नहीं पचता है। इसके कारण उल्टी आना, दस्त होना, पेट दर्द होना, डायरिया होना जैसे लक्षण सामने आते हैं। बच्चों में इसके कारण ग्रोथ भी रुक जाती है।
दही व छाछ को भी खाने में शामिल करना चाहिए
डायटिशियन ललितेश ने बताया कि गेंहू, सूजी, आटा मैदा में ग्लूटेन पाया जाता है। सिलिएक रोग में ग्लूटेन नहीं लिया जाता है। ऐसे में गेहूं के अलावा बाजरा, मक्का, मकई, चावल आदि भी खाने की सलाह दी जाती है। ललितेश ने बताया कि केवल गेहूं को ही खाना न समझें, इसके अलावा फलों व अन्य चीजों को भी खाने में शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही दही व छाछ को भी खाने में शामिल करना चाहिए। इनमें प्रोबायोटिक होते हैं, जिससे खाना पचाने में आसानी होती है। डायटिशियन ललितेश ने बताया कि सिलिएक रोग के लक्षण दिखने पर टीटीजी (टिश्यू ट्रांस ग्लूटामिनेज) टेस्ट कराना चाहिए। टेस्ट में यह 15 से ज्यादा हो तो ग्लूटेन फ्र भोजन करना चाहिए।
ग्लूटेन डिसऑर्डर होने के लक्षण
- उल्टी होना
- दस्त होना
- डायरिया होना
- थकान होना
- जी मचलाना
- पेट दर्द होना
- खाना न पचना
केवल गेंहू को ही खाना न समझे, इसके अलावा फलों व अन्य चीजों को भी खाने में शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही दही व छाछ को भी खाने में शामिल करना चाहिए।
ललितेश, डायटिशियन
होल ग्रेन्स को अपने रोज के भोजन में जरूर शामिल करना चाहिए। ये न्यूट्रिएंट्स का सबसे अच्छा सोर्स होते हैं। इसके साथ ही ब्राउन राइस भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।
अमित जैन, योगा इंस्ट्रक्टर