तीन परसेंट की आई गिरावट
2019-21 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे(एनएफएचएस)-5 के अनुसार 43.1 परसेंट बच्चों को छह माह तक एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग का लाभ मिला। वहीं 2015-16 में हुए एनएफएचएस-4 में यह दर 46.1 परसेंट थी। पांच साल में इस मामले में तीन परसेंट गिरावट आई है। एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार 19.5 परसेंट बच्चों को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला गाढ़ा पीला दूध पिलाया गया। एनएफएचएस-4 में यह आंकड़ा 18.6 परसेंट था। इसमें 0.9 परसेंट की बढ़ोत्तरी हुई है।
बच्चों के विकास पर पड़ता है असर
एसएन मेडिकल कॉलेज के बालरोग विभाग के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ। नीरज यादव का कहना है कि मां का दूध पीना बच्चे का अधिकार है और बच्चे को अपना दूध पिलाना मां का अधिकार है। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने मां के दूध के रूप में बच्चे को पौष्टिकता से भरपूर अमृत समान मां का दूध दिया है। जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला गाढ़ा पीला दूध पीने और छह माह तक एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग करने से बच्चे की सेहत और सर्वांगीण विकास पर असर पड़ता है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि लेकिन इसमें कमी देखने को मिल रही है।
मां के दूध में होती है रोगों से लडऩे की क्षमता
डॉ। नीरज यादव ने बताया कि मां का दूध बच्चे के लिए पूर्ण आहार होता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिशंस, मिनरल्स और विटामिन होते हैैं। मां के दूध में विभिन्न रोगों से लडऩे के प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तत्व भी पाए जाते हैैं। अगर देखा जाए तो मां के दूध के फायदे बच्चों के साथ-साथ मां, फैमिली और ईको सिस्टम के लिए फायदेमंद है। उन्होंने बताया कि जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला गाढ़ा दूध जरूर देना चाहिए। यह एक वैक्सीन की तरह काम करता है। जो विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं से लडऩे में मदद करता है।
डब्बे के दूध से बेहतर मां का दूध
डॉ। नीरज ने बताया कि सोसाइटी में गलत धारणा है कि डब्बे का दूध देने से बच्चा तंदरुस्त होता है। जबकि मां का दूध ही बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है। उन्होंने बताया कि देखा गया है कि जिन बच्चों ने छह माह तक केवल मां का दूध पिया है वह कम बीमार पड़ते हैैं। मां का दूध पीने वाले बच्चों को निमोनिया, डायरिया सीवियर नहीं होते हैैं। इसके साथ ही उन्हें मालन्यूट्रिशन की शिकायत भी नहीं होती है। यह बच्चे को नियोनटल सेप्सिस होने से भी बचाता है।
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मनाया जा रहा अवेयरनेस वीक
एक से सात अगस्त तक वल्र्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जा रहा है। इसके तहत आगरा में विभिन्न स्थानों पर अवेयरनेस प्रोग्राम संचालित हो रहे हैैं। शिशु के लिए स्तनपान सर्वोत्तम आहार तथा शिशु का मौलिक अधिकार है जैसे संदेश दिये जा रहे हैं। गर्भवती और धात्री को बताया जा रहा है कि मां का दूध शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास के लिये अत्यन्त आवश्यक है। यह शिशु को डायरिया, निमोनिया और कुपोषण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन्हीं संदेशों के साथ शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शाहगंज के रूई की मंडी शिवनगर स्थित आंगनवाड़ी केंद्र और प्रकाश नगर में कम्युनिटी मीटिंग का भी आयोजन किया गया। इस दौरान प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ.राहुल सारस्वत ने जागरुक किया गया।
मां का दूध बच्चे का अधिकार है और बच्चे को मां का दूध पिलाना जिम्मेदारी है। मां का दूध पिलाने से बच्चा स्वस्थ रहता है और कम बीमार पड़ता है।
- डॉ। नीरज यादव, एचओडी, बालरोग विभाग, एसएनएमसी
वल्र्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक में लोगों को ब्रेस्टफीडिंग के लिए जागरुक किया जा रहा है। यदि मां को दूध नहीं आता है तो वह ट्राई करें। नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर पूछें।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ