आगरा(ब्यूरो)। आगरा व्यापार मंडल के प्रेसिडेंट टीएन अग्रवाल बताते हैैं कि गंज, दरेसी, रावतपाड़ा, सुभाष बाजार, किनारी बाजार, बेलनगंज, घटिया, नवा बाजार, फव्वारा जैसे बाजार सैैकड़ों साल पुराने बाजार हैैं। यह पहले 200 किलोमीटर एरिया का प्रमुख व्यवसायिक केंद्र होते थे और देश की जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्शन) में बड़ा योगदान देते थे लेकिन आज असुविधाओं के अभाव में इन बाजारों की जीडीपी यानि व्यापार सिकुड़ गई है। यहां पर ट्रैफिक गंभीर समस्या है। व्यापारी हो या ग्राहक अपना टू-व्हीलर लेकर भी यहां से जाना मुश्किल हो जाता है।

आगरा क्लोथ मर्केंडाइज एसोसिएशन के राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि आजकल सभी लोग अपना वाहन लेकर आते हैं। ऐसे में ग्राहकों को वाहन खड़ा करने की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में ग्राहकों को यहां आने पर खासी दिक्कत होती है। इसके साथ ही बाजारों में टॉयलेट की काफी समस्या है। यह पुराने बाजार हैैं यहां पर टॉयलेट की कोई भी सुविधा नहीं है। ऐसे में महिला ग्राहकों को बहुत समस्या होती है। प्रशासन को इस बारे में ध्यान देना चाहिए।

40 परसेंट तक घट गया व्यापार
टीएन अग्रवाल ने बताया कि पहले इन बाजारों में यदि 100 परसेंट व्यापार होता था तो आज यह मात्र 40 परसेंट ही रह गया है। व्यापार के अलग-अलग ट्रेड में गिरावट आई है। कपड़ा, जूता, ग्रॉसरी, इलैक्ट्रिक प्रोडक्ट, फर्नीचर आदि क्षेत्रों में व्यापार में कमी आई है।

माल के आवागमन में आती है दिक्कत
व्यापारियों ने बताया कि ट्रैफिक जाम के कारण ग्राहकों के साथ-साथ व्यापारियों को भी दिक्कत होती है। व्यापारियों को भी अपना सामान लाने में दिक्कत होती है। जब व्यापारी अपना माल ही नहीं ला पाएगा तो व्यापार कैसे करेगा? उन्होंने कहा कि इस ओर सीरियस होकर ध्यान देना होगा।

पनप गई छोटी मंडियां
टीएन अग्रवाल ने बताया कि धीरे-धीरे आगरा के इन पुराने बाजारों में ट्रैफिक की समस्या बढऩे लगी। बाजारों के कंजस्टेड होने से जो ग्राहक पहले आते थे। वह अब यहां आने से कतराते हैैं। रिटेल हो या होलसेल अब पहले की तुलना में ग्राहक कम हुए हैैं। इसके साथ ही खेरागढ़, बाह, एत्मादपुर सहित शहर के भीतर कमला नगर, बोदला जैसे बाजार भी पनप गए हैैं।

बच्चे भी नहीं करना चाह रहे काम
व्यापारी राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि हम लोगों को पुराने व्यापार हैैं। व्यापार का आउटपुट भी काफी अच्छा था लेकिन अब चीजें बदल रही हैैं। ऐसे में अब हमारे बच्चे भी पारंपरिक व्यापार की ओर नहीं जाना चाह रहे हैैं। वह अब पढ़-लिखकर अच्छी कंपनी में नौकरी करने के इच्छुक हैैं। वह इन पुराने बाजारों में नहीं रहना चाहते हैैं।


इन कारणों से कम हो रहा व्यापार
- ट्रैफिक जाम की वजह से पुराने शहर में नहीं आना चाहते ग्राहक
- ऑनलाइन मार्केट ने कर दिया व्यापार चौपट
- बाजारों में नहीं हैैं टॉयलेट, ग्राहकों को होती है मुश्किल
- पार्किंग की कोई सुविधा नहीं, वाहन को खड़ा करना मुश्किल
- बाजारों में पुलिस द्वारा व्यापारियों को परेशान किया जाना

इन क्षेत्रों में इतनी गिरावट
ओवरऑल- 60 परसेंट
कपड़ा- 50 परसेंट
फर्नीचर- 45 परसेंट
ग्रॉसरी- 40 परसेंट
पान, बीड़ी तंबाकू- 40 परसेंट
प्लास्टिक-60 परसेंट
इलैक्ट्रिॉनिक आइटम्स- 40 परसेंट
ब्यूटी प्रोडक्ट्स- 40 परसेंट
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यह बाजार हो रहे प्रभावित
दरेसी- साइकिल, प्लास्टिक, पान
हींग की मंडी- जूता
मोतीगंज- ग्रॉसरी
बेलनगंज- इलैक्ट्रिसिटी
घटिया- फर्नीचर
किनारी बाजार- ज्वैलर्स
सुभाष बाजार- कपड़ा
जौहरी बाजार- कपड़ा
रावतपाड़ा- कलर, ब्यूटी प्रोडक्ट्स
लुहारगली- ब्यूटी प्रोडक्ट्स

पुराने बाजारों में टॉयलेट, पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैैं। ट्रैफिक की वजह से व्यापारियों और ग्राहकों को काफी मुश्किल होती है। पहले यह बाजार 100 से 200 किलोमीटर एरिया का व्यापारिक केंद्र होते थे। लेकिन अनदेखी के कारण यह बाजार सिकुड़ते जा रहे हैैं। बीते 20 साल से तुलना की जाए तो अब इन बाजारों में 40 परसेंट ही व्यापार रह गया है।
- टीएन अग्रवाल, प्रेसिडेंट, आगरा व्यापार मंडल

बाजारों में टॉयलेट से लेकर पार्किंग की सुविधा से व्यापारी जूझ रहे हैैं। कई बार अपनी परेशानी को रखा है, लेकिन इनका समाधान नहीं हो सका है। ग्राहक जब बाजार आता है तो सबसे पहले उसे गाड़ी को पार्क करने में दिक्कत आती है। वह जब शॉपिंग करता है तो एक से दो घंटे उसे लग ही जाते हैैं। ऐसे में उसे टॉयलेट भी जाना पड़े तो काफी मुश्किल हो जाती है। ग्राहक जब महिला हो तो और ज्यादा परेशानी का सबब बन जाता है।
- राजीव कुमार गुप्ता, प्रेसिडेंट, आगरा क्लोथ मर्केंडाइज एसोसिएशन

छत्ता में 400 से अधिक दुकानें हैैं। बाजार में ट्रैफिक जाम प्रमुख समस्या है। ग्राहक के साथ-साथ माल को दुकान तक लाने में भी काफी दिक्कत होती है। इस कारण ग्राहक छिटकता जा रहा है। खाद्य तेल के बाजार में 35 से 40 परसेंट तक की गिरावट आई है। यही हाल रहा तो सैकड़ों साल पुराने बाजार में व्यापार की स्थिति गंभीर हो जाएगी। इसके लिए शासन-प्रशासन को सोचने की जरूरत है।
- अमित गुप्ता, प्रेसिडेंट, आगरा तेल वनस्पति व्यापार समिति

रावतपाड़ा शहर के सबसे पुराने बाजारों में से एक है। यहां पर टॉयलेट नहीं है। सीवर की पाइपलाइन ध्वस्त हो गई है। कई बार नगर निगम में शिकायत की है। लेकिन पाइपलाइन नहीं जुड़ पाई। ऐसे में पूरे बाजार में गंदगी होती है। दुकानदारों और ग्राहकों को नेचर कॉल आने पर परेशान होना पड़ता है। बाजार में पुरुष-महिला सभी प्रकार के ग्राहक आते हैैं। सुविधाओं के अभाव में व्यापार पर भी फर्क पड़ा है।
- अतुल बंसल, सेक्रेटरी, आगरा किराना कलर एंड केमिकल मर्चेंट एसोसिएशन


किनारी बाजार में दुकान है। हजारों दुकानें हैैं। ज्यादातर ज्वैलर्स की दुकानें हैैं। दिनभर जाम लगा रहता है। टॉयलेट नहीं है। लेडीज ग्राहक आती हैैं तो हमें खुद शर्मिंदा होना पड़ता है। पार्किंग की सुविधा नहीं है। ग्राहक अपना वाहन खड़ा नहीं कर पाता है। वहीं व्यापारियों को बिजली का लोड बढ़वाने में दिक्कत होती है। टोरंट पावर लोड नहीं बढ़ाती है। कोतवाली के पास में जगह है। वहां पर पार्किंग बन सकती है।
- ब्रज मोहन रैपुरिया, आगरा पायल प्राइवेट लिमिटेड किनारी बाजार


लुहारगली में दुकान है। ट्रैफिक की समस्या है। ग्राहक दुकान तक नहीं पहुंच पाता है। पारंपरिक ग्राहकों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। टॉयलेट की सुविधा नहीं है। महिला ग्राहक के लिए काफी मुश्किल है। इस कारण महिला ग्राहकों का आना कम हो गया है। वह अपने परिवार में से किसी को भेज देती है। मोबाइल पर फोटो खींचकर वो शॉपिंग करती हैैं। यदि वह दुकान में आए एक की जगह दो आइटम खरीदकर ले जाएंगी। यदि मल्टीलेवल पार्किंग की सुविधा हो जाए तो हमें काफी आसानी होगी।
- राकेश कुमार बंसल, प्रेसिडेंट आगरा हॉजरी एसोसिएशन