स्ट्रेटजी वाइज करना होगा काम
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के डॉ। केपी सिंह ने बताया कि प्रोसोपीस यूलीफ्लोरा को हटाने के कार्य को स्ट्रेटजी वाइज करना होगा। क्योंकि इसकी जड़ों से अमीनो एसिड रिलीज होता है। जो सोइल(मिट्टïी) के मिनरल्स को कम कर देता है। इसलिए पहले विलायती बबूल को जड़ सहित उखाडऩा होगा। इसके बाद उस मिट्टïी को दो से तीन साल तक ऐसे ही छोडऩा होगा। जब विलायती बबूल का असर कम हो जाएगा तब जाकर नए पौधे लगाने पड़ेंगे। इस प्रक्रिया में समय भी लगेगा।

उन्होंने बताया कि यदि प्रोसोपीस यूलीफ्लोरा को कम कर दिया तो सूरसरोवर में आने वाले पक्षियों की संख्या बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि अभी सूरसरोवर में पानी और पानी के किनारे ठहरने वाले पक्षी अभी आते हैैं। लेकिन फॉरेस्ट हैविटाट वाले पक्षी अभी यहां पर ठहर नहीं पाते हैैं। कुछ ही पक्षी इनमें घोंसला बनाते हैैं। यदि यहां पर विलायती बबूल को बदलकर दूसरे पेड़ लगा दिए जाएं तो ऐसा संभव है।


डॉ। केपी सिंह ने बताया कि डॉ। केपी सिंह ने बताया कि सूरसरोवर में 800 हेक्टेयर जमीन में 399 हेक्टेयर वैटलैंड झील है। अन्य 401 हेक्टेयर में विलायती बबूल और अन्य पेड़-पौधे हैैं। अभी सूरसरोवर में वैटलेंड हैविटाट वाले पक्षी जैसे- ग्रे हॉर्नबिल, इंडिया व्हाइट आई, बुलबुल, फ्लैमबैक बुडपैकर, ब्राउन हेडेड बारबेड आ पाते हैैं। लेकिन फॉरेस्ट डिपेंडेंट पक्षी जैसे-पैराडाइज फ्लाई कैचर, गोल्डन ओरियोल नहीं आ पाते हैैं। ब्लैक हुडेड ओरियोल तो सूरसरोवर में पहली बार आया है। यदि फॉरेस्ट वैटलैैंड अच्छा हो गया तो इन पक्षियों की संख्या बढ़ जाएगी और रेजिडेंट्स बर्ड्स की नेस्टिंग वृद्धि हो जाएगी।
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कई पक्षी नहीं बना पाते घोंसला
विलायती बबूल में कई पक्षी इसलिए घोंसला नहीं बना पाते हैैं क्योंकि इसकी कांटेदार शाखाओं, कम पत्ती और नेस्टिंग के लिए अनुकूल नहीं होती है। इसकी शाखाओं के बीच 160 से 190 डिग्री कोण बनता है, जबकि शाखाओं के बीच 100 डिग्री से कम कोण वाले, घने, फूलदार पेड़ों पर ज्यादातर पक्षी अपना डेरा डालते हैैं। विलायती बबूल बर्ड के लिए अनुकूल नहीं है। इसके कांटे, टहनियों की शेप उन्हें नेस्टिंग में मुश्किल करती है।
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800 हेक्टेयर जमीन है सूरसरोवर में
399 हेक्टेयर में वैटलैैंड व झील है
401 हेक्टेयर में विलायती बबूल और अन्य पेड़ पौधे हैैं
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अभी यह पक्षी आते हैैं सूरसरोवर में
ग्रे हॉर्नबिल
इंडिया व्हाइट आई
बुलबुल
फ्लैमबैक बुडपैकर
ब्राउन हेडेड बारबेड
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यह पक्षी कम आते हैैं
पैराडाइज फ्लाई कैचर
गोल्डन ओरियोल
ब्लैक हुडेड ओरियोल
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ये हैं प्रवासी प्रजातियां
पेलिकंस, बिल्डडक, ब्लैक हेडेड आइविस, पेंटेड स्टोर्क ये सभी प्रजातियां प्रवासी बर्ड की है। जो काफी कम संख्या में आ रही हैं।

ये हैं घरेलू प्रजातियां
कोरमोरेंट, कॉमेडक, टील, हेरोंस, लिटिल एग्रेट, कैटल एग्रेट, पर्पल हेरोन, मोरेंट, इंडियन पोंडहैरान ये घरेलू प्रजातियां है। इसमें से कुछ प्रजातियां काफी कम हो गई है। यदि विलायती बबूल हट जाएगा तो इन पक्षियों का आशियाना भी बढ़ जाएगा।


विलायती बबूल को रिप्लेस करने का चयन अच्छा है। इसे स्ट्रेटजी वाइज किया जाए तो इससे सूरसरोवर और चंबल में पक्षियों की संख्या बढ़ जाएगी। फॉरेस्ट हैविटाट वाले पक्षियों की संख्या में इजाफा होगा।
- डॉ। केपी सिंह, फाउंडर, बीडीआरएस

विलायती बबूल को रिप्लेस करने के कार्य में समय लगेगा। इसके लिए सभी को मजबूत इच्छाशक्ति के साथ आगे बढऩा होगा। शहर की बायोडायवर्सिटी के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.
- केसी जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता