आगरा(ब्यूरो)। इस प्यार के खातिर वह सारी हदें पार कर देते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद जब वह इस रिश्ते में एडजस्ट नहीं कर पाते हैं तो ब्रेकअप कर लेेते हैं, ऐसे में कई बार इस दुख को नहीं सह पाते हैं और अपने कुछ गलत कर बैठते हैं। इसके बहुत से कारण हैं। आगरा में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें युवाओं ने कम उम्र में गलत फैसले ले लिए और बाद में पछतावा तो घर छोड़ दिया या फिर अपने साथ कुछ गलत कर लिया।

आसानी से बहकावे से आते हैं
टीनएज की उम्र ऐसी होती है जिसे ना तो बहुत छोटा माना जा सकता है और न ही पूरी तरह से परिपक्व। मन बहुत आसानी से बहकावे में आकर भटक जाता है। इस उम्र में आकर्षण को प्यार समझकर युवा अपने करियर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बे्रकअप होने पर डिप्रेशन मेें चले जाते हैं। ऐसे मेें पेरेंट्स को विशेष ध्यान रखने की जरुरत है, ताकि भविष्य बनाने का सपना साकार किया जा सके।
यह हैं कारण

फ्रेंडशिप करना बना एक फैशन
मनोचिकित्सक अंशू चौहान बताती हैं कि रील्स की चकाचौंध भरी दुनिया में कम उम्र के युवा आकर्षण में अपना करियर बर्बाद कर रहे हैं। चाहे लड़का हो या लड़की इनके लिए प्यार करना एक फैशन बना गया है। दोस्ती, प्यार के चक्कर में युवा अपने मूल उद्देश्य को भूल रहे हैं। मानसिक तनाव से जूझ रहे युवाओं के पेरेंट्स रोजाना अपने बच्चों को लेकर मनोचिकित्सक के पास पहुंच रहे हैं। पेरेंट्स का कहना है कि कुछ दिनों से उनके बेटे का पढ़ाई और खाने में मन नहीं लग रहा है। इसको लेकर पेरेंट्स टेंशन में रहते हैं।


डिप्रेशन में जाने के आए मामले
मनोवैज्ञानिक काउंसलर्स के पास डिप्रेशन के मामले लगातार पहुंच रहे हैं। ऐसा गल्र्स के साथ भी है मनोवैज्ञानिक डॉ। पूनम तिवारी का कहना है कि गांव देहात से जब युवा शहर में पढऩे के लिए आते हैं तो अधिकतर स्टूडेंट्स को आजादी महसूस होती है। स्टूडेंट्स आपस में एक दूसरे से बॉयफ्रेंड के बारे में बात करते हैं, जो बाद में एक दूसरे के प्रति आकर्षण बन जाता है। इसके बाद दोस्ती प्यार में बदल जाती है और परवान चढऩे लगती है। एक समय पर ब्रेकअप और उसके बाद वे डिप्रेशन में चले जाते हैं।

पर्यावरण में छिपे कारण
डायटीशियन सुरभि उपाध्याय का कहना है कि प्लास्टिक के बढ़ते चलन से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण से भी बच्चों में समय से पहले प्यूबर्टी के लक्षण दिख रहे हैं। इसके अलावा इस कारण पढ़ाई में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, घर का कलहपूर्ण माहौल या पेरेंट्स में विवाद, दोस्तों से लड़ाई-झगड़ा, बॉडी इमेज को लेकर कुंठा जैसे कई कारण समय से पहले यंग बनाते हैं। इसके अलावा बॉडी फैट से पैदा होने वाला हॉर्मोन लैप्टिन मस्तिष्क को प्यूबर्टी शुरू होने का संकेत देता है। खानपान में पौष्टिकता बढऩे के कारण ओवर-न्यूट्रिशन भी इसका कारण हो सकता है। व्यायाम और आउटडोर गेम्स की कमी भी इसका एक कारण है।

केस1, मार्च, 2022
ब्वॉयफ्रेंड के लिए छोड़ दिया घर
थाना सदर क्षेत्र के मधुनगर में रहने वाली किशोरी स्कूल जाने के लिए घर से निकली थी, रास्ते में अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ बाइक पर बैठकर उसके साथ चली गई, बाद में घर फोन कर दिया कि उसका अपहरण हो गया है, जब पुलिस ने सीसीटीवी खंगाले तो पता चला कि किशोरी अपनी मर्जी से ब्वॉय फ्रेंड के साथ गई है। युवक किशोरी के पड़ोसी का दूर क ा रिश्तेदार था।

केस2 नवंबर 2022
पढ़ाई को नहीं मिला समय
सादाबाद से पढ़ाई के लिए आगरा आए युवक ने किराए पर पढ़ाई के लिए कमरा लिया था, युवा सिविल सर्विस की तैयारी के लिए घर से आया था। पास रहने वाली युवती से उसकी दोस्ती हो गई, इस कारण पढ़ाई नहीं हो सकी, ब्रेकअप होने पर युवक ने अपने हाथों की नस काट ली, इसकी खबर परिजनों को दी गई। बाद में परिजनों ने उसे घर बुला लिया। परिजनों का कहना था कि उनका बेटा शुरूआत से ही प्रथमश्रेणी का स्टूडेंट्स रहा है।

केस3 अगस्त 2023
ब्रेकअप पर छोड़ दिया घर
कमला नगर के रहने वाले बीजेपी के नेता के नाती ने परिजनों को खुद के अपहरण की कहानी सुनाई, जब पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि छात्र ने ब्रेकअप के कारण घर छोड़ा था, पुलिस ने युवक को खंदौली एक्सप्रेस-वे से बरामद किया था, पूछताछ में अपहरण की बात भी झूठी निकली, फिलहाल पुलिस ने उसे सकुशल परिजनों के हवाले कर दिया है।

पेरेंट्स न करें नजर अंदाज
पार्क और मॉल्स में युवा क्वॉलिटी टाइम स्पेंड करने के लिए जाते हैं, घर से पढ़ाई-लिखाई के लिए आते हैं, वह घूमने फिरने मेें टाइम खर्च कर देते हैं। कुछ दिन सब ठीक चलता है, जब कंप्टीशन क्रैक करने का समय आता तो वे फेल हो जाते हैं। न करियर बन पाया न लड़की साथ में रही।
अंशू चौहान, मनोचिकित्सक

कंपटीशन करें क्वॉलीफाई, बनाएं अच्छा क रियर
शहर में लाखों स्टूडेंट्स करियर बनाने के लिए अपने घरों से पढऩे के लिए स्कूल और कॉलेज जाते हैं, ऐसे मेें वे दूसरे स्टूडेंट्स से आकर्षित होकर दोस्ती में पढ़कर पढ़ाई के उ्द्देश्य से भटक जाते हैं। कांउसलिंग के लिए इस संबंध में पेरेंट्स के फोन आते हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों को कंपटीशन क्वॉलीफाई करने के बारे में बताएं, अच्छा क रियर बनाने की सलाह दें।
-डॉ। पूनम तिवारी, मनोवैज्ञानिक, आरबीएस कॉलेज