नृत्य नाटक का भी होगा मंचन
संस्कार भारती के अखिल भारतीय संरक्षक बांकेलाल गौड़ व क्रांति तीर्थ शृंखला के मंडल समन्वयक व साहित्यकार राज बहादुर ङ्क्षसह राज ने बताया कि 1857 की क्रांति से लेकर 1933 तक आजादी के संग्राम में सैकड़ों क्रांतिकारियों ने अपनी जान न्यौछावर की थी। छह जुलाई को ही स्वराज का जयघोष किया गया था। संयोजक आलोक आर्य ने बताया कि राष्ट्र वंदना व 'शहीदों को नमन' नृत्य नाटक का मंचन भी किया जाएगा। डा। अमृता शिल्पी ने कहा कि क्रांति तीर्थ शृंखला का उद्देश्य नई पीढ़ी को राष्ट्रीयता की मूल धारा से जोडऩा और आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले गुमनाम क्रांतिकारियों को प्रकाश में लाना था। अध्यक्षता उद्यमी राजेश अग्रवाल (प्राचीन पेठा) करेंगे। पोस्टर विमोचन के दौरान डॉ। शुचि यादव, अशोक कुलश्रेष्ठ, नंद नंदन गर्ग, ओम स्वरूप गर्ग, अर्पित चित्रांश, यतेंद्र सोलंकी, प्रखर अवस्थी उपस्थित रहे।
इनका होगा अभिनंदन
बटेश्वर के रहने वाले काकोरी कांड के योजनाकार और राम प्रसाद बिस्मिल के गुरु पंडित गेंदा लाल दीक्षित, मद्रास में क्रांति की ज्योत जगाने वाले कचौरा घाट, बाह के शंभू नाथ आजाद, फतेहपुर सीकरी के सुचेता गांव को क्रांतिकारियों का अड्डा बनाने वाले भगवंत बाबा खंडेलवाल, शीतला गली में बम बनाने वाले फतेहाबाद निवासी राजेंद्र प्रसाद दौनेरिया, किरावली निवासी नंदू बाबा बंड और बालमुकुंद बल्ला के परिजनों का अभिनंदन किया जाएगा।