टेंशन और घबराहट है तो नोमोफोबिया है
नोमोफोबिया या नो मोबाइल फोन फोबिया शब्द का इस्तेमाल एक मनोवैज्ञानिक स्थिति दर्शाने के लिए किया जाता है। जब लोगों को मोबाइल फोन कनेक्टिविटी से अलग होने का डर होता है। जब कोई व्यक्ति मोबाइल फोन का अधिक यूज करता है। तो अलग-अलग मनोवैज्ञानिक रीजन शामिल होते है। इस समस्या का ग्राफ अब तेजी से बढ़ रहा है। जिसमें मानसिक बीमारी जैसे, सामाजिक भय या सामाजिक टेंशन और घबराहट भी नोमोफोबिया को जन्म देती है।

स्मार्ट फोन ओझल होने पर घबराहट
प्रो। रचना सिंह, मनोवैज्ञानिक विभाग आगरा कॉलेज आगरा बताती हंै कि स्मार्ट फोन का आज हर कोई यूज करता है। इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल आपको कई मानसिक बीमारियों का शिकार बना सकता है। इतना ही नहीं हड्डियों से संबंधित कई नई बीमारियां भी आपको अपनी चपेट में ले सकती हैं। एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है। अगर आप अपने महंगे और मल्टीपरपज स्मार्ट फोन को लेकर बहुत परेशान रहते हैं और पल भर के लिए भी यह आपकी नजरों से ओझल हो जाए तो आप घबराने लगते हैं। तो अब आप सावधान हो जाइए। ऐसे लक्षण किसी मानसिक बीमारी की ओर इशारा करते हैं। ये बीमारी आपके स्मार्ट फोन की देन हो सकती है।


ये बीमारियां मोबाइल की देन
एसएन मेडिकल कॉलेज मनोरोग विभाग अध्यक्ष डॉ। विशाल सिन्हा ने बताया कि हाल ही में स्मार्ट फोन के बढ़ते इस्तेमाल और उसके नुकसान पर एक सर्वे किया है, जिसमें कईं ऐसी बीमारियों का पता चला है। जो सीधे तौर पर स्मार्ट फोन की देन हैं। सर्वे में डॉक्टर्स, नर्स के अलावा मीडिया और कंपनियों में काम करने वाले लोगों से बातचीत की गई। जिसमें अधिकतर लोग इस बीमारी से ग्रस्त नजर आए।

स्मार्टफोन नहीं बजता तो होती है घबराहट

एमएन मेडिकल कॉलेज में किए गए एक सर्वे के अनुसार 43 फीसदी लोग नोमोफोबिया जूझ रहे हैं। उनको मोबाइल खोने का डर लगा रहता है। 50 फीसदी लोगों ने रिंगएंग्जायटी की शिकायत की। अगर उनका फोन देर तक नहीं बजता जो उन्हें घबराहट होने लगती है। 25 फीसदी लोगों ने माना कि वो फैंटमरिंगिग बीमारी का शिकार हैं। ऐसे लोगों को बार-बार लगता है कि उनका फोन बज रहा है।


सेहत पर पढ़ रहा बुरा असर
सर्वे में ब्लैकबैरी थम नामक बीमारी का विशेष तौर पर जिक्र किया गया है। स्मार्ट फोन के कारण युवाओं में हड्डी से जुडी कई नई बीमारियां सामने आ रही हैं। एक हॉस्पिटल के डॉक्टर राजेश माथुर का कहना है की स्मार्ट फोन समय की जरूरत है, लेकिन इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।

नोमोफोबिया के सामान्य लक्षण
-चिंता
-श्वांस संबंधी परिवर्तन
-हाथों में कंपन
-पसीना आना
-घबराहट होना
-भटकाव
-हार्ट का तेजी से धड़कना


एमएन मेडिकल कॉलेज में किया सर्वे
-नोमोफोबिया से जूझ रहे लोग
43 फीसदी
-फीसदी लोगों ने रिंगएंग्जायटी की कंप्लेन
50 फीसदी
-फैंटमरिंगिग बीमारी का शिकार
25 फीसदी


केस-1
हर वक्त सुनाई पड़ती है रिंगटोन
बाईपास खंदारी में स्थित एक कॉलोनी में रहने वाले निजी कंपनी में कार्यरत रीनेश मोबाइल पर चैटिंग ज्यादा करते हैं जिसकी वजह से उन्हें चार-पांच महीने से हर समय महसूस होता था कि उनके मोबाइल फोन को कोई रिंग कर रहा है। इसके चलते वह डिप्रेशन में हैं।


केस-2
मोबाइल गिरा तो हो गई बीमार
कमला नगर के रहने वाले आनंद अग्रवाल ने बताया कि उनकी बेटी इंटरमीडिएट की स्टूडेंट्स है। जुलाई में उसका मोबाइल फोन मार्केट में कहीं गिर गया था, जिसके बाद से उसकी बेटी डिप्रेशन में चली गई। उन्होंने समझाया लेकिन वे गुमशुम रहने लगी। जिसके बाद उन्होंने काउंसलिंग कराई। वहीं ट्रीटमेंट के बाद उनकी बेटी का हालत में सुधार होने लगा।

केस-3
पबजी के चलते छोड़ी पढ़ाई
खेरगढ़ में रहने वाले राहुल ने बताया कि उसका बेटा फोर्थ क्लास का स्टूडेंट्स है। अक्सर उसका बेटा मोबाइल फोन पर पबजी खेलता रहता है। जिस चलते उनके बेटे ने पढऩा-लिखना छोड़ दिया। जब से वह बेटे को लेकर काउंसलिंग करने पहुंची तो धीरे-धीरे सुधार हुआ है।

वर्जन
मोबाइल के ज्यादा यूज से यूथ डिप्रेशन, दिमागी कमजोरी, भूलने की बीमारी बढ़ रही है। बीते एक साल में सैकड़ों लोगों ने काउंसलिंग कराई। इनमें ज्यादातर लोगों को नोमोफोबिया नाम की बीमारी थी। यह बीमारी ज्यादा मोबाइल फोन के यूज करने से होती है। खास कर यूथ इसका शिकार तेजी से हो रहा है।
डॉ। विशाल सिन्हा, एचओडी एसएन मेडिकल कॉलेज मनोवैज्ञानिक विभाग

वर्जन
अगर आप अपने महंगे और मल्टीपर्पज स्मार्ट फोन को लेकर बहुत परेशान रहते हों और पल भर के लिए भी यह आपकी नजरों से ओझल हो जाए, तो आप घबराने लगते हैं। तो अब आप सावधान हो जाइए। ऐसे लक्षण नोमोफोबिया नाम की मानसिक बीमारी की ओर इशारा करते हैं। ये बीमारी आपके स्मार्ट फोन की देन हो सकती है।
डॉ। रचना सिंह, मनोवैज्ञानिक विभाग, आगरा कॉलेज आगरा