आगरा। एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ। राजकुमार पटेल ने बताया कि टेंपरेरी तौर पर ताजमहल में बंदरों के आने वाले रास्तों का चिह्नांकन किया जा रहा है। जिन दीवारों या पेड़ की टहनियों से बंदर ताजमहल के भीतर आते हैैं। उनको चिह्नित कर पेड़ की टहनियों को छोटा किया जाएगा। जिससे कि ताजमहल में बंदरों का प्रवेश रुक सकें।


बीते दिनों में यह हुई घटनाएं
-11 सितंबर को तमिलनाडु के नीलगिरी से ताजमहल देखने आए शाहीन रशीद को बंदरों ने काटकर घायल कर दिया।
- 12 सितंबर को चमेली फर्श के पास बंदरों ने स्वीडन की महिला पर्यटक व्योनक ड्रेसलर पर हमला बोला।
-14 सितंबर को चमेली फर्श पर ही दो विदेशी युवतियों पर बंदरों ने हमला किया था।
- 20 सितंबर को स्पेन से ताज का दीदार करने आई महिला पर्यटक सेंड्रा और 12 साल के सुमित को बंदरों ने काटा।
- 21 सिंतबर को स्पेनिश पर्यटक क्रिस्टीना के पैर में बंदर ने काटा।
- 22 सितंबर को पश्चिम बंगाल के रहने वाले सलाम को चमेली फर्श की तरफ जाते वक्त काटा।
-24 सितंबर को ताजमहल देखने आईं दो महिला पर्यटक बंदरों का फोटो क्लिक कर रहीं थी, तभी अचानक बंदर ने उन्हें काट लिया। दोनों पर्यटक के पैरों में बंदरों ने पंजा मारा।


बंदरों के ताजमहल में आने के रास्ते को चिह्नित किया जा रहा है। इन्हें चिह्नित करने के बाद इन रास्तों को बंद किया जाएगा।
- डॉ। राजकुमार पटेल, अधीक्षण पुरातत्वविद, एएसआई

दो करोड़ खर्च होने के बाद भी नहीं मिली निजात
शहर से बंदर पकड़ कर उनकी नसबंदी के लिए पांच साल पहले आगरा डेवलपमेंट अथॉरिटी (एडीए) ने पथकर निधि से वाइल्डलाइफ एसओएस को दो करोड़ रुपए दिए थे। इस राशि से शहर में बंदरों को पकडऩे के लिए ङ्क्षपजरे भी लगने थे। दो-तीन स्थानों पर ङ्क्षपजरे लगाने और एसएन मेडिकल कॉलेज के बंदरों को पकड़कर उनकी नसबंदी के अलावा उन दो करोड़ रुपए का क्या हुआ। इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। इधर, शहर में बंदरों का उत्पात लगातार बढ़ रहा है। बंदर खूंखार हो रहे हैं और लोगों पर हमले बढ़ रहे हैं।

वन विभाग से मांगी अनुमति
लंबे समय से आगरा में बंदरों को पकड़कर जंगलों में छोड़े जाने पर विचार चल रहा था। कई बार प्रयास भी हुए लेकिन किसी न किसी कारण के चलते ठंडे बस्ते में चले गए। अब एक बार फिर कवायद शुरू हो रही है। इसके लिए नगर निगम ने वन विभाग से नसबंदी की अनुमति मांगी है। अनुमति मिलने के बाद इस प्रस्ताव पर काम शुरू हो जाएगा। पिछले कुछ दिनों में बंदरों की वजह से घटनाएं भी कई हुई हैं। 2019 में कीठम स्थित भालू संरक्षण केंद्र और चुरमुरा स्थित हाथी देखभाल केंद्र पर रेस्क्यू सेंटर बनाने की योजना थी। जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है। बंदरों को पकडऩे के लिए वाइल्ड लाइफ एसओएस ने प्रोजेक्ट तैयार किया था, जिसमें 55 करोड़ रुपए खर्च होने थे।

छह साल पहले हुई थी गणना
शहर में बंदरों की गणना वन विभाग ने छह साल पहले कराई थी। तब इनकी संख्या लगभग 18 हजार थी। वर्तमान में शहर में बंदरों की अनुमानित संख्या 30 हजार है।



गाइडों के पैकेज में अब बंदर भी

ताजमहल पर पर्यटकों को घुमाने वाले गाइडों के पैकेज में अब बंदर भी शामिल हो गए हैं। पर्यटकों को स्मारक के इतिहास व वास्तुकला से अवगत कराने के साथ ही वह उन्हें बंदरों से दूर रहने की ताकीद भी कर रहे हैं। उधर, पुलिस ने गाइडों को बंदरों व कुत्तों के काटने के मामलों की जानकारी देने के काम में लगा दिया है। टूरिस्ट गाइड्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक दान ने बताया कि इंस्पेक्टर ताज सुरक्षा ने बंदरों व कुत्तों द्वारा पर्यटकों को काटे जाने के मामलों की जानकारी मांगी है। उन्हें पर्यटकों के साथ हुई घटनाओं की जानकारी दी है। गाइड पर्यटकों को कुत्तों व बंदरों से दूर रहने की ताकीद कर रहे हैं।


बंदरों द्वारा पर्यटकों के काटने के कुछ मामले उनकी जानकारी में थे। व्हाट््सएप ग्रुप से कुछ पोस्ट डिलीट होने पर उन्होंने गाइडों से इस बारे में जानकारी की थी। गाइडों को बंदरों व कुत्तों द्वारा पर्यटकों को काटने के मामलों की जानकारी देने को नहीं कहा गया है।

रीना चौधरी, इंस्पेक्टर, ताज सुरक्षा



जिन दीवारों या पेड़ की टहनियों से बंदर ताजमहल के भीतर आते हैैं। उनको चिह्नित कर पेड़ की टहनियों को छोटा किया जाएगा। जिससे कि ताजमहल में बंदरों का प्रवेश रुक सकें।

डॉ। राजकुमार पटेल, अधीक्षण पुरातत्वविद, एएसआई