झालरवाड़ा रेलवे स्टेशन के दूध वितरण से मिली प्रेरणा
बांकेलाल माहेश्वरी बताते हैैं कि वह हैैंडलूम का कारोबार करते थे। कारोबार के सिलसिले में वह व्यवसायिक टूर करते थे। इस दौरान उनका जाना नाथद्वारा भी होता था। तब रास्ते मे झालरवाड़ा रेलवे स्टेशन पड़ता था। वहां पर सर्दियों के दिनों में यात्रियों को गर्म दूध वितरित किया जाता था और गर्मियों के दिनों में ठंडा पानी पिलाया जाता था। तभी से उन्होंने आगरा में जलसेवा करने का निश्चय किया। इसके बाद 1971 में उन्होंने आगरा में एसएन मेडिकल कॉलेज में एक प्याऊ लगाई। इसका नाम प्रभु श्रीनाथजी के नाम पर रखा।
1987 से आई तेजी
बांकेलाल माहेश्वरी बताते हैैं कि सन 1987 में राजामंडी रेलवे स्टेशन पर छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन में हादसा हो गया। उनका घर नजदीक ही था। वह स्टेशन पर पहुंचे तो यहां पर सैैंकड़ो यात्री हताहत थे। उस दौरान हमने सभी यात्रियों को पानी पिलाया और साथ में उन्हें नाश्ता भी कराया। इसके बाद से सेवा का भाव और अधिक बढ़ गया। अब शहर के विभिन्न क्षेत्रों मेंं श्रीनाथजी जल सेवा की प्याऊ लगाना शुरू कर दिया। बांके लाल माहेश्वरी बताते हैैं कि उस वक्त आगरा में इतने प्याऊ नहीं थे। आज श्रीनाथजी जलसेवा द्वारा 25 स्थायी प्याऊ, पांच मोबाइल प्याऊ संचालित हो रहे हैैं। और भीषण गर्मी में लोगों की प्यास बुझा रहे हैैं।
रैन बसेरा किए शुरू
बांके लाल माहेश्वरी बताते हैैं कि जैसे गर्मियों में पानी जरूरी है, ठीक वैसे ही सर्दियों में ठंड से बचाव जरूरी है। इसलिए हमने 1995 में रैन बसेरों की सेवा शुरू कर दी। शहर में विभिन्न स्थानों पर अस्थाई श्रीनाथजी रैन बसेरे हर साल लगाने लगे। अब जब अस्थाई रैन बसेरों पर रोक लग गई है। अब मानसिक चिकित्सालय के पास स्थाई रैन बसेरा संचालित हो रहा है। यहां पर 100 लोगों के सोने की व्यवस्था है।
सोमवती अमावस्या पर विशेष प्याऊ
बांकेलाल माहेश्वरी ने बताया कि प्याऊ पर सप्ताह में एक बार खरबूजे, जलेबी और लड्डू को भी वितरित किया जाता है। जिससे कि गर्मी के दिनों में कोई भूख व प्यास से न तड़पे। उन्होंने बताया कि 17 जून शनिवार को सोमवती अमावस्या के दिन रावतपाड़ा में शरबत की प्याऊ संचालित होगी। यहां पर प्याऊ के साथ में एक जड़ी-बूटी की पुडिय़ा भी दी जाएगी, जिसे जेब में रखना है। इससे गर्मी में होने वाली बीमारियों से बचाव हो सकेगा।
पूरे शहर में प्रचलित
श्रीनाथ जी जलसेवा शहर में इतनी पुरानी हो गई है कि इससे शहर का हर व्यक्ति परिचित है। दयालबाग क्षेत्र के निवासी अमित बताते हैैं कि श्रीनाथजी जल सेवा से हम स्कूल से लौटते वक्त रोज पानी पीते थे। मेरा बेटा भी यहां से पानी पीता था। श्रीनाथजी जलसेवा सेवाभाव का एक उदाहरण है।
ईश्वर की कृपा से हमने जलसेवा की शुरूआत की थी, जो बीते 52 साल से लगातार चल रही है। आज मैैं अपने कारोबार से रिटायर होकर केवल जलसेवा कर रहा हूं।
- बांकेलाल माहेश्वरी, फाउंडर, श्रीनाथजी जल सेवा