आगरा (ब्यूरो)। लोहामंडी से लेकर गोकुलपुरा आगरा कॉलेज के पीछे मोती कटरा शहर का बड़ा नाला है। जो लगभग साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों की आबादी वाला क्षेत्र है। ये नाला आगे चलकर यमुना की ओर निकलता है। ऐसे में नाला पूरी तरह साफ न हो पाने के कारण हर साल जलभराव का कारण बनता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही होने की संभावना जताई जा रही है। कुछ यही हालात जगदीशपुरा और मदिया कटरा नाले के हैं। यहां नाले से सिल्ट को निकाल कर किनारे पर रखा गया है। एक सप्ताह पूर्व यहां कार्य किया गया था, लेकिन अभी तक सिल्ट को नहीं हटाया गया है। इससे से सिल्ट वापस नाले में जा रही है। इस तरह के कई छोटे बड़े इलाके है, जहां सिल्ट नहीं उठाई गई है।

बारिश से पहले सफाई का दावा
नगर निगम ने मानसून को देखते हुए नालों की सिल्ट निकाले व सफाई का कार्य को शुरू करा दिया है लेकिन कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है। अभी तक मात्र 75 फीसदी ही नालों की सफाई कराने का निगम की ओर से दावा किया जा रहा है। इनमें भी कई नाले ऐसे हैं जो पूरी तरह से साफ नहीं हुए हैं। ऐसे में मानसून आने तक नालों की सफाई मुश्किल है। अगर, जल्द ही नालों की बेहतर ढंग से सिल्ट सफाई न कराई गई तो हल्की बारिश में ही लोगों को जलभराव की समस्या से जूझना होगा। हालांकि विभाग का मानसून से पहले सभी 410 नालों की सफाई का दावा किया जा रहा है।

तीन किलो मीटर लंबा मुख्य नाला
नगर निगम की सीमा में लोहामंडी, छिंगा मोती पुल, राजनगर, शाहगंज गोकुलपुरा से नाई की मंडी रोड स्थित मुख्य नाले की लंबाई लगभग दो किलो मीटर है। यह नाला नगर निगम के 17 वार्डों से होकर निकलता है।
मुख्य नाला में गंदगी और सिल्ट के चलते जलनिकासी नहीं हो पाएगी। तीन किलो मीटर से अधिक क्षेत्र में लाखों लोग निवास करते हैं। ऐसे में अगर नालों की सफाई तय किए मानक के अनुसार नहीं की गई तो मानसून में जलभराव का कारण बन सकता है। स्थानीय लोगों ने तली झाड़ सफाई की मांग की है।

मुख्य नाले एक नजर में
-खतैना, नौबस्ता, लोहामंडी और जयपुर हाउस नाला साढ़े तीन किलो मीटर लंबा है।
-गोकुलपुरा नाले की लंबाई बिजली घर तक ढाई किलो मीटर
-मोतीकटरा नाले की लंबाई, ओपन एरिया, ढाई किलो मीटर

नगर निगम में कुल वार्ड
100

-शहर के वार्ड में बने मुख्य नाले
17

-मुख्य नाला क्षेत्रों में पब्लिक की आबादी
3 लाख से अधिक


इन नालों से यहां होता है जलभराव
नगर निगम क्षेत्र के शाहगंज स्थित पंचकुईयां, नाला चूनपचान, छिंगा मोती पुल, आशोक नगर, राजनगर, खतैना, नौबस्ता और मदिया कटरा, कैलाशपुरी एरिया में हर बार जलभराव के हालात नजर आते हैं। इस बार निगम की ओर से मानसून से पहले सफाई कार्य को पूरा करने का दावा किया जा रहा है।

56 क्षेत्रों से होकर गुजरता है ये नाला
ढाकरान भूमिगत नाले से 56 क्षेत्रों का पानी गुजरता है। इस साल अभी तक नाले की सफाई शुरू नहीं हुई है। नाले में दो से तीन फीट तक सिल्ट जमा हो गई है। इससे जरा सी बारिश में नाला ओवर फ्लो करने लगता है। इसके चलते नगला ढाकरान, सुभाष कॉलोनी, नाई की मंडी, नाला बुंदेला, नीलकटरे, गालिबपुरा आदि क्षेत्रों में जलभराव हो जाता है।

क्या कहते हैं लोग
लोहामंडी, गोकुलपुरा नाले में बरसात के मौसम में जलभराव रहता है। गंदा पानी घरों में घुसता है। वहीं बरसात में तो स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। कई बार घरों में पानी आने के कारण जनजीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। नगर निगम की ओर से सफाई जल्द कराने का आश्वासन दिया गया है।
अनिल चौधरी, खतैना


बरसात के दिनों में नाले के किनारे रहने वाले लोगों के घरों में जलभराव हो जाता है। यहां स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि पानी घरों में भर जाता है। लोगों को स्वयं पानी निकालना पड़ता है। सड़क ऊंची बनने से मकान नीचे हो गए हैं। यही कारण है कि जलभराव होता है।
आकाश, गोकुलपुरा बस्ती


नाले का पानी घरों में घुस जाता है, कई बार हादसा हो चुका है, जनप्रतिनिधि आकर नालों को अंडरग्राउंड कराने का दावा करते हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। आम लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है। सफाई तो होनी चाहिए।
प्रिंस कुमार, लोहामंडी


नालों को पूरी तरह से अंडरग्राउंड करना होगा, इससे घरों से निकलने वाला कचरा नाले में नहीं जाएगा। छोटे मोटे कारखानों से निकलने वाला कचरा भी नाले में फंसकर जलभराव का कारण बनता है। ये बड़ी समस्या है।
सनी, टीला गोकुलपुरा


नाले की सिल्ट सफाई का काम शुरू करा दिया गया है। संबंधित ठेकेदारों को अधिक आदमी लगाकर तेजी से सिल्ट सफाई पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। मानसून आने से पहले सभी नालों की सफाई करा ली जाएगी। ताकि लोगों जलभराव का सामना न करना पड़ा।
एसपी यादव, अपर नगर आयुक्त