आगरा : नगर निगम ने शहर को स्वच्छ बनाने के लिए खूब-अंधाधुंध बजट खर्च किया। इसमें केवल मॉनीटरिंग करने के लिए 18 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए गए, लेकिन स्थिति बेहतर नहीं हुई है। इसमें पांच कंपनियों को कूड़ा कलेक्शन के लिए लगाया गया था। कंपनियों द्वारा 10 फीसदी कूड़ा उठाकर 36 करोड़ के बिल प्रस्तुत कर दिए। निगम के अफसर इसकी मॉनीटरिंग तक नहीं कर सके, जबकि मॉनीटरिंग और निगरानी के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए।
जीपीएस लगे, पर मॉनीटरिंग नहीं
नगर निगम की ओर से 150 से ज्यादा वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाए गए, इसमें एक वाहन पर जीपीएस लगाने पर 15 हजार रुपये तक खर्च किए गए हैं। इसमें जिन व्हीकल्स पर जीपीएस लगाए गए, उनको कूड़ा लेकर कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर जाना था, लेकिन इनकी मॉनीटरिंग के लिए कोई नेटवर्क तैयार नहीं किया गया।
डस्टबिन में चिप सिर्फ डमी
इसमें जो चिप डस्टबिन में लगाई गई, उनमें कूड़ा उठने के बाद मोबाइल पर मैसेज से सूचना प्राप्त होने की बात कही गई थी, लेकिन ये व्यवस्था धरातल पर नहीं आई।
क्यू आर स्कैन कोड बने शोपीस
कूड़े की मॉनीटरिंग के लिए सेनेटरी इंस्पेक्टरों को रिस्ट वॉच दी गई। इसके लिए एक लाख से ज्यादा घरों में क्यूआर स्कैन कोड लगाए गए। लेकिन ये मौजूदा समय में शोपीस बनकर रह गए हैं। 22.65 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड करते हुए नोटिस देकर टेंडर निरस्त कर दिए। इसके बाद क्यूआर स्कैन कोड शोपीस बनकर रह गए हैं।
इतना हुआ खर्च
योजनाएं खर्च
व्हीकल्स सिटस्म जीपीएस 17,76,029
क्यूआर टैग कमर्शियल 3,86,287
सीसीटीवी कैमरा 2,22, 66,950
आरएफआईडी रीडर 55,53,41031
आरएफआईडी टैग कूड़ा 42,41,377
जीपीआरएस वेट ब्रिज 3,71,486