आगरा (ब्यूरो)। उन्होंने कहा कि हमने बीते पांच महीने में एम्स में पांच बच्चों ने अंगदान किया है। इनकी उम्र 18 महीने, दो साल के करीब है। इन बच्चों की किडनी, लीवर सहित अन्य अंगों से दूसरे बच्चों को नया जीवन मिल सका। इसी तरह से यदि हम अंगदान की इस प्रक्रिया को अपनाएं तो कई और लोगों को नया जीवन मिल सकता है। डॉ। गुप्ता ने बताया कि भारत में अंगदान कानून के तहत राष्ट्रीय अंग और ऊतक ट्रांसप्लांट संस्थान (नोट्टïो) और राज्य अंग और ऊतक ट्रांसप्लांट द्वारा अंगदान कराया जाता है। पहले से ही हजारों जरूरतमंदों की अंग की डिमांड सरकार के पास दर्ज रहती है। यदि किसी मरीज का ब्रेन डेड हो जाता है। या फिर मरीज वेंटीलेटर पर है तो डॉक्टर को एपनीया टेस्ट के माध्यम से मरीज ब्रेन डेड घोषित करना होता है। इसके लिए वेंटीलेटर हटाने के बाद दो बार ऑक्सीजन दी जाती है और ब्लड टेस्ट कराए जाते हैैं। इसके बाद अंगदान किए जा सकते हैैं।
सुरक्षित छज्जा, सुरक्षित बच्चा
भारत में अंगदान कानून ब्रेन डेड लोगों को अंगदान करने की अनुमति देता है। यदि एक व्यक्ति अंगदान करे तो आठ से दस लोगों को नया जीवन मिल सकता है।
- डॉ। दीपक गुप्ता, प्रोफेसर, न्यूरोसर्जरी विभाग, एम्स