धड़ल्ले से बन रहा नकली दूध
एक वक्त था जब दूध में केवल पानी मिलाया जाता था। लेकिन वक्त बदला और धीरे-धीरे मिलावट का पूरा खेल ही बदल गया। एक दशक पहले तक पच्चीस फीसदी तक की मिलावट की जाती थी। तर्क दिया जाता था कि इससे अधिक से मूल स्वाद नष्ट हो सकता है। लेकिन अब पैसे की चाह ने सब कुछ बदल दिया है। अब पूरा का पूरा दूध ही नकली बनाया जा रहा है।

ऐसे बना रहे दूध
नकली दूध बनाने का माफिया शहर से दूर दराज के क्षेत्रों में हावी है। यही पर नकली दूध बनाया जाता है। यह यमुना पार, ताजगंज, छत्ता आदि क्षेत्रों में खूब बनाया जाता है। एक जानकार ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि दूध को अब केमिकलों के माध्यम से तैयार किया जाता है। पहले रिफाइंड ग्लिसरीन, पैराएसिटिक एसिड और कास्टिक पोटाश से दूध का मिश्रण तैयार कर लिया जाता है। इसको गाढ़ा करने के लिए और चिकनाई देने के लिए लिक्विड पैराफीन व रिफाइंड मिलाया जाता है। दूध को सफेद बनाने के लिए इसमें हाइड्रोजन परऑक्साइड का प्रयोग किया जाता है। मिश्रण को तरोताजा रखने के लिए भी केमिकल प्रयोग किया जाता है। वहीं कुछ गांवों में निश्चित मात्रा में रिफाइंड ऑयल, रैंजी, चीनी,ग्लूकोज, पानी को निश्चित मात्रा में मिलाकर दूध तैयार किया जाता है। एक अन्य विधि में सपरेटा दूध को मानकों तक पहुंचाने के लिए पनीर का पानी मिला दिया जाता है। इसको गाढ़ा करने के लिए मिथाइलीन फ्लोराइड और पैराफीन जैसे रसायन प्रयोग किए जाते हैं। यह दूध उपकरणों की तेज निगाहों से आसानी से बच निकलता है। कुछ शातिरों ने कसैलेपन से बचने के लिए मिलावट में रिफाइंड की जगह व्हाइट ऑयल का प्रयोग शुरू कर दिया है। यह और भी अधिक नुकसान दायक है। इससे फेफड़ों को नुकसान होता है।
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ऐसे करते हैं खपत
जानकारों की मानें तो मिलावटी दूध की बिक्री नियमित ग्राहकों को नहीं की जाती है। इसके लिए बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, हाइवे किनारे ढाबे आदि को चुना जाता है। इन स्थलों पर प्रयोगकर्ता के वापस लौटने की संभावना कम ही रहती है। यह कह दिया जाता है कि कहीं गड़बड़ वस्तु का सेवन कर लिया गया होगा। त्योहार के अवसर पर यह कारोबार और ज्यादा फलने-फूलने लगता है। बढ़ती डिमांड के बीच में माल की खपत करना आसान होता है।

आगरा में जो दूध के नमूने लिए गए उनमें अधोमानक (सब स्टैंडर्ड) ज्यादा पाए गए हैं। जबकि स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होने के मामले कम ही रहे। मिलावट के विरुद्ध अभियान संचालित है। उपभोक्ताओं को भी सजग रहना चाहिए।
-अमित कुमार, सहायक आयुक्त, एफएसडीए
नकली मिल्क प्रोडक्ट को कई प्रकार के केमिकलों से बनाया जाता है। इससे सेहत पर काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इससे अपच, कब्ज जैसी शिकायत हो सकती है। इसके साथ ही लगातार सेवन से किडनी पर भी असर पड़ेगा।
- डॉ। प्रभात अग्रवाल, फिजिशियन

बाजार में नकली मिल्क प्रोडक्ट का कारोबार काफी तेजी से पनप रहा है। इससे पूरे समाज को खतरा है। ऐसे कारोबार को करने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
- गौरव, पब्लिक

मैैं डेयरी से दूध खरीदता हूं। लेकिन एक दिन डेयरी वाला नहीं आया तो मैैंने बाजार से दूध खरीदा। दूध को उबालने के बाद वो पीला पड़ गया। मैैंने दूध को फेंक दिया।
- राजेश मगरानी, पब्लिक
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नकली पनीर का भी खेल
जानकारों की मानें तो स्टार्च, अरारोट और सिंथेटिक दूध की मिलावट कर पनीर तैयार किया जाता है। सिंथेटिक पनीर को बनाने के लिए स्किम्ड मिल्क, खाने वाले सोडे के अलावा घटिया पॉम आयल, वेजीटेबल ऑयल और बेकिंग पाउडर का प्रयोग होता है। यह थोक में 90 रुपए किलो तक में तैयार होता है। यह पनीर खाने में रबर सा और पीले रंग का होता है।


नकली घी भी बन रहा जनाब
दूध और पनीर ही नहीं देसी घी के नाम पर भी धड़ल्ले से लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जाता है। मिलावट खोर बनावटी एवं मिलावटी देसी घी तैयार करने के लिए डालडा घी, उबले आलू का स्टार्च के साथ ही केमिकल का प्रयोग करते हैं। देसी घी की महक के लिए सेंट का प्रयोग करते हैं।
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नकली मिल्क प्रोडक्ट से शरीर पर पड़ता है बुरा प्रभाव
-त्वचा पर लाल चकत्ते, जलन पडऩा
-किडनी की गंभीर बीमारियां होने का खतरा
- ब्लड प्रेशर को कम कर देता है
-आंत संबंधी बीमारियां होती हैं
- आंख की रोशनी प्रभावित होती है
- कब्ज होने लगती है
- अपच होने लगती है
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ऐसे पहचानें नकली दूध
- दूध की कुछ बूंदों को ढलान वाली सतह पर गिराएं। शुद्ध दूध वहां धीरे-धीरे प्रवाहित होगा और सफेद निशान छोड़ता जाएगा। नकली बिना निशान छोड़े अपेक्षाकृत तेजी से बहेगा.
- दूध में साबुन जैसी गंध आए तो वह सिंथेटिक है। असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती.
- असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है। वहीं नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है.
-असली दूध को उबालने पर रंग नहीं बदलता है। वहीं, नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है.
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290 केस एडीएम सिटी कोर्ट में निस्तारित हुए बीते वित्तीय वर्ष में
29 मामले सबसे ज्यादा दूध के थे
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यहां होता है नकली दूध का खेल
ताजगंज
छत्ता
यमुना पार
फतेहाबाद