आगरा. दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट को एत्मादपुर सीएचसी पर तैनात पीडियाट्रिशियन डॉ। सुरेखा चौधरी ने बताया कि एत्मादपुर सीएचसी पर सात मार्च को गांव बुर्ज गंगी निवासी गर्भवती अपनी डिलीवरी कराने के लिए आईं। दोपहर 2.10 पर डिलीवरी हुई। डिलीवरी के तुरंत बाद नवजात नहीं ले पा रहा था। तब मैैंने उसे मुंह से सांस दी। इसके बाद नवजात ने रोना शुरू कर दिया और वह सांस लेने लगा।


देर से हॉस्पिटल पहुंचने पर दिक्कत
डॉ। सुरेखा ने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि प्रसव के लिए लोग देर से अस्पताल पहुंचते हैं। इस कारण बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो जाती है। यह मामला भी कुछ ऐसा ही था। इसमें नवजात डिलीवरी के बाद रो नहीं रहा था। उसे जब हमने मुंह से सांस दी तो वो रोने लगा और सांस लेने लगा। डॉ। सुरेखा ने बताया कि नवजात का वजन दो किलोग्राम है, लेकिन अब नवजात स्वस्थ है और मां का दूध भी पी रहा है

बच्चा न रोए तो दिया जाता है एनएनआर
डॉ। सुरेखा ने बताया कि जब बच्चा प्रसव के बाद रोता है तो इसका अर्थ है वो सांस लेने लगा। लेकिन जब वो रोए नहीं और सांस नहीं ले तो अंबू बैग और ऑक्सजीन से सांस दी जाती है, जब ये काम न करे तो उसे मुंह से सांस यानि एनएनआर दिया जाता है। जब इससे भी बात नहीं बनती तो अन्य वेंटिलेशन के साधनों का उपयोग किया जाता है।

सीनियर्स को दिया श्रेय
डॉ। सुरेखा ने बताया कि हम अपने अस्पताल में ये सब अपने अधीक्षक डॉ। संजीव वर्मा के प्रोत्साहन के कारण कर पाते हैं। वे हमें लगातार अच्छा कार्य करते रहने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। एत्मादपुर सीएचसी के अधीक्षक डॉ। संजीव वर्मा ने बताया कि डॉ। सुरेखा ने चिकित्सक होने के नाते अपना धर्म निभाया है, उन्होंने नवजात की जान बचाकर काफी सराहनीय कार्य किया है। उनसे अन्य स्टाफ भी प्रेरित होंगे। उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए स्किल बर्थ अटेंडेंट (एसबीए) का प्रशिक्षण समस्त स्टाफ को दिया जाता है। नवजात की मां खुशबू ने बताया कि डॉक्टर साहब ने उनकी बेटी की जान बचा ली, वे हमारे लिए भगवान के समान हैं।


नवजात रो नहीं रहा था। सांस नहीं ले पा रहा था। ट्रेनिंग के अनुसार मैैंने उसे मुंह से सांस दी। सात मिनट तक मुंह से सांस देने के बाद बच्ची रोने लगी। अब बच्ची स्वस्थ है। वो मां का दूध पी पा रही हैै।
-डॉ। सुरेखा चौधरी, पीडियाट्रिशियन, एत्मादपुर सीएचसी